22 करोड़ की होती है व्हेल मछली की उल्टी, महंगे शौक के आती है काम
ठाणे। आपको जानकर हैरानी हुई होगी लेकिन ये सच है कि व्हेल मछली की उल्टी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 22 करोड़ रुपये तक होती है। ये खुलासा कुछ तस्करों ने किया है जिन्हें हाल ही में महाराष्ट्र के ठाणे की क्राइम ब्रांच ने व्हेल मछली की उल्टी की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया है। न्यूज 18 की खबर के मुताबिक पूछताछ में इन तस्करों ने बताया कि वो पिछले कुछ समय से लगातार समुद्र में सक्रिय थे। इसी दौरान उनके हाथ में व्हेल मछली की उल्टी से बना एक पत्थर लगा। ये कोई सामान्य पत्थर नहीं था बल्कि ये व्हेल मछली की उल्टी से बना पत्थर था। उन्होंने बताया कि इस पत्थर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों में है।
व्हेल की उल्टी की तस्करी के आरोप में 3 गिरफ्तार
पूरे मामले पर ठाणे क्राइम ब्रांच ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली थी कि कुछ तस्कर यहां तस्करी के लिए आने वाले हैं। जिसके बाद उन्होंने कार्रवाई की और तीन आरोपियों को एक विशेष तरह के पत्थर के साथ गिरफ्तार किया। न्यूज 18 की खबर के मुताबिक जांच में पता चला कि पकड़े गए आरोपियों के पास से बरामद पत्थर सामान्य नहीं है। ये व्हेल मछली की उल्टी के जम जाने की वजह से बना है। बरामद पत्थर का वजन करीब 11 किलोग्राम का था। फिलहाल तस्करी के तीनों आरोपियों को 6 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
क्यों बेशकीमती है व्हेल की ये 'उल्टी'
गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि व्हेल मछली की उल्टी जम जाने की वजह से इनकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपये तक पहुंच जाती है। इन्हें समुद्र से निकालने में कई महीनों का समय लगता है। काफी तलाश के बाद ही इन्हें हासिल किया जा सकता है। पकड़े गए आरोपियों के मुताबिक इसका इस्तेमाल खास तरह के परफ्यूम बनाने में होता है। इसके अलावा प्लेग की रोकथाम में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसके साथ-साथ इसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में दवा के इस्तेमाल के लिए भी होता है।
सऊदी अरब, कुवैत, ओमान जैसे खाड़ी देशों में ज्यादा डिमांड
मामले में ठाणे पुलिस ने बताया कि व्हेल की उल्टी (एम्बरग्रीस) दुर्लभ प्रजाति की व्हेल की आंतों से निकलता है। ये व्हेल के उल्टी करने पर ही बाहर आता और सूखने पर सख्त हो जाता है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में एक मछुआरा दिलीप महादेव बिरजे शामिल है। इसके अलावा दो अन्य की पहचान काशीनाथ पवार और ज्ञानेश्वर मोरे के तौर पर हुई है। महादेव बिरजे ने बताया कि उसे व्हेल की उल्टी गुहागर के समुद्री किनारे पर मिली थी। बरामद की गई व्हेल की उल्टी की सबसे ज्यादा डिमांड सऊदी अरब, कुवैत, ओमान जैसे खाड़ी देशों में होती है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों के मुताबिक व्हेल मछली की उल्टी से बनने वाला ये खास पत्थर एक तरह का अपशिष्ट होता है। जिसे व्हेल पचा नहीं पाती और कई बार अपने मुंह से ही उगल देती है। इन्हें वैज्ञानिक भाषा में एम्बरग्रीस भी कहा जाता है। इसका रंग काले रंग का या फिर भूरे रंग का होता है। ये मोम जैसा ज्वलनशील पदार्थ है। आम तौर इसका वजह से 15 ग्राम से 50 किलोग्राम तक हो सकता है।
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