पश्चिम बंगाल: 'बात-बात पर पिस्तौल, गोली चाकू की धमकी दी जाती है'
"टीएमसी वालों से बहुत डर लगता है. बीजेपी से चुनाव जीती हूं. इसके बाद से ही वे लोग टीएमसी में शामिल होने के डरा-धमका रहे हैं."
एक सांस में यह सब बताते हुए सेमोली दास चुप हो जाती हैं, "कभी कहते हैं बच्चे को उठा लेंगे, कभी कहते हैं हसबैंड (पति) को मार देंगे. सच पूछिए तो जीना मुश्किल कर दिया है. हम यहां से नहीं जाएंगे. नरेंद्र मोदी जी और बीजेपी से रिक्वेस्ट है कि पार्टी के
"टीएमसी वालों से बहुत डर लगता है. बीजेपी से चुनाव जीती हूं. इसके बाद से ही वे लोग टीएमसी में शामिल होने के डरा-धमका रहे हैं."
एक सांस में यह सब बताते हुए सेमोली दास चुप हो जाती हैं, "कभी कहते हैं बच्चे को उठा लेंगे, कभी कहते हैं हसबैंड (पति) को मार देंगे. सच पूछिए तो जीना मुश्किल कर दिया है. हम यहां से नहीं जाएंगे. नरेंद्र मोदी जी और बीजेपी से रिक्वेस्ट है कि पार्टी के बैनर तले चुनाव जीतने वाले पंचायत प्रतिनिधियों और उनके घर- परिवार को सुरक्षा दिलाई जाए."
फिर धीरे से कहती हैं, "बाबा रे बाबा बहुत जुल्म हो रहा है, बात-बात पर पिस्तौल, गोली चाकू की धमकी दी जाती है."
सेमोली पश्चिम बंगाल के मालदा जिले की रहने वाली हैं. हाल ही में उन्होंने पुखरिया से पंचायत चुनाव जीता है. दहशत के बीच वो मालदा की सीमा से सटे झारखंड के साहिबंगज में शरण लेने पहुंची हैं.
गांव- घर छोड़कर झारखंड में शरण लेने पहुंची वो अकेली भी नहीं. वो बताती हैं कि बीजेपी से पंचायत का चुनाव जीतने वाले कम से कम डेढ़ सौ प्रतिनिधियों के अलावा कई परिवारों के लोग यहां पहुंचे हैं. इनमें महिलाएं-बच्चे शामिल हैं. जबकि डर से पलायन का सिलसिला भी जारी है.
पलायन का सिलसिला जारी
बंगाल से आए इन पंचायत प्रतिनिधियों का आरोप है कि टीएमसी में शामिल होने के लिए उन्हें लगातार धमकियां दी जा रही है. परिस्थितियां बिगड़नमे लगी, तो वे लोग बच्चों को लेकर घर छोड़ने को विवश हुए.
इधर, साहिबगंज मे बीजेपी के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने उन्हें स्थानीय अमख धर्मशाला में ठहराया है. यहां उनके रहने- खाने का इंतजाम किया जा रहा है.
तृणमूल में शामिल होने के सवाल पर सोमेली कहती हैं, "बीजेपी को छोड़कर नहीं जाएंगी. पहले ही हमलोगों ने बहुत सितम सहा है. तृणमूल ठीक पार्टी नहीं है. जबकि पुलिस के पास दर्द बयां करने पर कहा जाता है कि खुद सुरक्षा संभालो."
उन्होंने बीबीसी को बताया कि मालदा जिले के बाबनगोला, हबीबपुर, मानिकचक, अराई डागा, गाजोल ब्लॉक से सैकड़ों लोग झारखंड में शरण लेने पहुंचे हैं.
प्रतिशोध की राजनीति
इस बीच पश्चिम बंगाल में बीजेपी की वरिष्ठ नेता श्रीरूपा मित्रा चौधरी और मालदा जिला के अध्यक्ष सुब्रतो किंडो साहिबगंज पहुंचे हैं. इन नेताओं ने धर्मशाला में शरण लिए पंचायत प्रतिनिधियों और विभिन्न परिवार के सदस्यों से मुलकात कर उनका हाल जाना.
श्रीरूपा चौधरी का कहना है, "पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता प्रतिशोध की राजनीति कर रहे हैं. पंचायच चुनाव से पहले और वोट के दिन हिंसा की दर्जनों घटनाओं को अंजाम दिया गया. चुनावों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गई. जबकि परिणाम आने के बाद बीजेपी के लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है."
"महिलाओं को भी नहीं बख्शा जा रहा है. परिस्थितियां विकट है और सब तरफ दहशत है. इन हालात के मद्देनजर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर सारी जानकारी दी दई है पर किसी प्रकास की ठोस कार्रवाई नहीं की गई."
बंगाल के पंचायत चुनाव
मालदा के ही गोविंदपुर-महेशपुर इलाके से चुनाव जीते पंचायत प्रतिनिधि पोलटू बासुकी बताते हैं, "हिंसा और आगजनी की कई घटनाओं मे बेकसूर लोगो को जान गंवाते उन्होंने देखा है. डर इसका है भी कि झारखंड से लौट जाने के बाद भी वे लोग पीछा नही छोड़ेंगे."
"पंचायत का चुनाव जीतने के बाद से उन्हें टीएमसी में शामिल होने के लिए डराया धमकाया जाने लगा. इसके बाद वे लोग मालदा के पार्टी दफ्तर में पहुंचे. वहां से पार्टी के नेताओं ने बताया कि बात हो गई है, अच्छा होगा कि वे लोग साहिबगंज चले जाएं. ये जगह हमारे ज़िले से बिल्कुल सटा है. तब हमलोग ट्रेन पकड़कर इधर चले आए."
उनका कहना था कि फोन पर गांव और घर वालों से बात की तो पता चला कि जैसे पागल कुत्ते को मारने के लिए खोजा जाता है वैसे ही तृणमूल कांग्रेस वाले हमलोग को तलाश रहे हैं. इसलिए गांव वालों ने फिलहाल नहीं लौटने को कहा है.
पूरी मदद की जा रही...
उधर, बंगाल से आए शरणार्थियों की मदद में साहिबगंज के दर्जनों बीजेपी नेता-कार्यकर्ता जुटे हैं. व्यवस्था संभाल रहे महेंद्र कुमार पोद्दार तृणमूल कांग्रेस के कथित रवैये पर तंज कसते हुए हुए कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है. इसलिए वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए.
पोद्दार कहते हैं कि वे लोग बंगाल से आए लोगों को किसी किस्म की तकलीफ नही होने देने के लिए तत्पर हैं.
मीडिया प्रभारी संजय पटेल कहते हैं, "इस मुसीबत की घड़ी में वे लोग बंगाल के कार्यकर्ताओं के साथ खड़े हैं. धर्मशाला में खाना पकाने के लिए चार रसोइए तैनात किए गए हैं. गर्मी को लेकर कई पंखे लगवाए गए हैं. बच्चों-महिलाओं का खास ख्याल रखा जा रहा है. साथ ही झारखंड- बंगाल में बीजेपी के कई नेता हालात पर नजर बनाए हुए हैं."
इस बीच राजमहल ( साहिबगंज) से बीजेपी के विधायक अनंत ओझा ने बताया है कि तीन दिनों से लोगों के आने का सिलसिला जारी है. जाहिर है मालदा में हालात अच्छे नहीं हैं. तृणमूल कांग्रेस, विकास के मुद्दे पर राजनीति करने के बजाय हिंसा और ताकत को प्राथमिकता दे रही है.
आंखों में खौफ़
धर्मशाला में ही शरण लिए सुशांतो मुखर्जी बताते हैं कि बहुत मुश्किल से भाग निकलने में सफल रहे. ना जाने अब आगे क्या होगा. अब तो तृणमूल के लोग स्टेशनों और रेलगाड़ियों पर पैनी नजर रख रहे हैं कि बीजेपी से कौन लोग झारखंड की तरफ जा रहे हैं. कई लोग छिपते- छुपाते यहां पहुंच रहे हैं.
उनका कहना है कि 17 मई को परिणाम आने के बाद से चुन- चुन कर बीजेपी के विजयी उम्मीदवारों और उनके परिवार तथा समर्थकों को डराया जा रहा है.
साहिबगंज के स्थानीय पत्रकार डाबर इमरान बताते हैं, "बेशक बंगाल से आए बीजेपी के कार्यकर्ताओं-समर्थकों में डर का माहौल है. बच्चे माताओं से पूछ रहे हैं कि अपनमा देस कब लौटेंगे. लेकिन झारखंड में बीजेपी के लोगों ने उन्हें हाथों हाथ लिया है."
"इससे उनकी हिम्मत बढ़ी है. तीन वक्त के खाना का इंतजाम किया गया है. तथा नेताओं की एक टीम बनी है जो आला नेताओं को परिस्थतियों की रिपोर्ट पहुंचाने में जुटे हैं. बंगाल से भी बड़े नेताओं का आना शुरू हो गया है.
पीछा करते हैं वे लोग
आदिवासी महिला जीतू उरांव बंगला भाषा में बताती हैं, "पहले तो पैसे का प्रलोभन देकर कहा गया कि बीजेपी ठीक पार्टी नहीं इसलिए तृणमूल की राजनीति करो. जब उन्होंने इस पेशकश को स्वीकार नहीं किया, तो पिस्तौल बम दिखाकर धमकी दी जाने लगी. महिलाओं का पीछा तक किया जाता है. सांझ होते ही आंखों के सामने खौफ नाचने लगता है. क्योंकि कई घरों में आग लगा दी गई है."
नंदिता विश्वास बताती हैं, "कोई अपना घर- बार छोड़कर इस भीषण गरमी में दूसरी जगह क्यों पनाह लेगा. लेकिन बदसलूकी का सामना करते हुए वे लोग थक गई हैं. जान और इज्जत दोनों ख़तरे में दिखता है."
उनका कहना है कि तृणमूल कांग्रेस को यह अहसास नहीं था कि मालदा से बीजेपी के लोग जीत जाएंगे वरना गुंजाइश पक्की थी कि इन धमकियों और खतरे से उन्हे पहले ही सामना करना पड़ता.
सबसे ज्यादा डर
जबकि मालदा ज़िले में तृणमूल कांग्रेस से जुड़े मोहम्मद मुअज्जिम हुसैन इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहते हैं कि बीजेपी के लोग ही सुनियोजित तरीके से सभी को झारखंड और दूसरी जगह लेकर जा रहे हैं. दरअसल अभी कई पदों पर चयन की प्रक्रिया बाकी है.
इसमें बीजेपी के नेता वोट जुटाने में जुटे हैं. इसी की कवायद की जा रही है और बदले में तृणमूल का बदनाम किया जा रहा है. तृणमूल को जनता का समर्थन हासिल है, तभी तो हमारी जोरदार जीत हुई है. तृणमूल कांग्रेस के किसी नेता- कार्यकर्ता या समर्थक ने मालदा के उन इलाकों में कभी किसी को डराया धमकाया नहीं है और ना ही उन इलाकों में किसी हिंसक घटना को अंजाम दिया है.
जबकि बीजेपी के नेता सुब्रतो कुंडू इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखते. उनका आरोप है कि बीजेपी के नेताओं- कार्यकर्ताओं और समर्थकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. बीजेपी का झंडा उठाने तक नहीं दिए जाता. दरअसल तृणमूल को से ही सबसे ज्यादा डर है.