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पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी का चुनाव आयोग पर भड़कना कितना जायज़? लोकसभा चुनाव 2019

पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार की गरमागर्मी के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने माहौल को ये कहते हुए और गर्म कर दिया है कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है.

By रजत रॉय
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ममता बनर्जी
Getty Images
ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार की गरमागर्मी के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने माहौल को ये कहते हुए और गर्म कर दिया है कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है.

उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से आदेश लेता है.

ममता बनर्जी ने आयोग को अपने ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की चुनौती दी.

ममता ने बुधवार रात कहा, "मैं चुनाव आयोग को चुनौती देती हूं कि वो मेरे ख़िलाफ कदम उठाए. भले ही मुझे 50 बार कारण बताओ नोटिस मिल चुके हैं, या मुझे गिरफ़्तार किया जा चुका है, ये भी होने दीजिए, मुझे फर्क नहीं पड़ता."

बीजेपी के ख़िलाफ़ समर्थन जुटाने की कोशिशों के तहत ममता ने चुनाव आयोग के 'भेदभावपूर्ण' आदेशों के ख़िलाफ़ राज्य के लोगों से आज सड़कों पर उतरने की अपील की है.

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ममता की नाराज़गी की वजह क्या है?

चुनाव के अंतिम चरण के आख़िरी वक्त में ममता बनर्जी के दो विश्वासपात्र अधिकारियों को पद से हटा दिया गया.

दरअसल गृह सचिव अत्री भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग के सीईओ को चिट्ठी लिखकर चुनाव प्रक्रिया में केंद्रीय बलों की भूमिका को लेकर शिकायत की थी, जिसे चुनाव आयोग ने नियमों का उल्लंघन माना.

आम तौर पर ये भी माना जाता है कि भट्टाचार्य जैसे वरिष्ठ अधिकारी राजीनितक नेतृत्व के कहे बगैर ऐसी चिट्ठी नहीं लिखेंगे.

एडीजी सीआईडी राजीव कुमार को हटाने के आदेश को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें राजीव कुमार के बारे में कुछ अहम बातें पता चली थीं.

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अगर चुनाव आयोग की बातों पर गौर करें तो ये साफ़ हो जाएगा कि बंगाल के प्रशासन का बहुत ज़्यादा राजनीतिकरण हो गया है.

सांतवे और आख़िरी चरण के चुनाव में बंगाल के नौ निर्वाचन क्षेत्रों पर मतदान होगा: उत्तरी कोलकाता, दक्षिण कोलकाता, दम दम, बशीरहाट, बारासात, जादवपुर, जयनगर, मथुरापुर और डायमंड हार्बर.

चुनाव आयोग के बयान से स्पष्ट है कि उसके ताज़ा फैसलों के पीछे बहुत हद तक मंगलवार रात अमित शाह की रैली के दौरान हुई हिंसा का मामला है. लेकिन इसकी वजह गुरुवार को चुनाव आयोग की चुनावी तैयारियों को लेकर की गई नियमित समीक्षा बैठक को ज़्यादा माना जा रहा है.

राज्य सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ हुई दंडात्मक कार्रवाई की जानकारी मिलने के बाद ममता बनर्जी ने आनन-फानन में प्रेस कांफ्रेंस की और चुनाव आयोग और बीजेपी के मोदी-शाह पर आरोप लगाए.

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले की वजह से एक आपातकाल वाली स्थिति बन गई है.

अमित शाह
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अमित शाह

ममता की लोगों से प्रदर्शन की अपील

चुनाव आयोग की धारा 324 के तहत चुनाव प्रचार में एक दिन की कटौती को लेकर ममता बनर्जी ने कहा, "राज्य में कानून-व्यवस्था की कोई दिक्कत नहीं है. ये अभूतपूर्व, असंवैधानिक और अनैतिक है."

अब ममता पूरी कोशिश कर रही हैं कि वो माहौल को अपने प्रतिद्वंदियों के खिलाफ कर सकें और इसके लिए उन्होंने राज्य के मतदाताओं से चुनाव आयोग की 'मनमानी' कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन करने की अपील की है.

बीजेपी को 'बाहरियों' की पार्टी बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि वो बंगाल के नहीं है.

उनके मुताबिक बंगाल के शांतिपूर्ण माहौल को ख़राब करने के लिए बीजेपी बिहार से बाहरियों को लेकर आई, जिन्होंने अमित शाह के रोड शो के दौरान कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट पर लड़ाई-झगड़ा किया.

अमित शाह
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अमित शाह

बंगाल में बीजेपी

पिछले चुनावों से उलट इस बार सड़कों पर होने वाली हिंसा की घटनाओं में सत्तारूढ़ टीएमसी के साथ बंगाल बीजेपी का नाम भी आने लगा है. चुनाव अभियान और मतदान के दिन होने वाली छिटपुट झड़पें अब एकतरफा नहीं रही हैं, कुछ इलाकों में बीजेपी की टीएमसी समर्थकों से भिड़ने की ख़बरें आती हैं.

यहां ये बताना बहुत ज़रूरी है कि ज़्यादातर इलाकों में टीएमसी के लोगों का प्रभाव है, जैसा कि केशपुर (घाटल) में चुनाव के दिन देखने को मिला. लेकिन अब बीजेपी कई इलाकों में उनकी बराबरी करने की कोशिश कर रही है और वो दबाव में आसानी से मैदान छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.

बीजेपी बंगाल के दो पड़ोसी राज्यों झारखंड और बिहार (नीतीश कुमार के साथ) में सत्ता में है. ममता का आरोप है कि बीजेपी बंगाल में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए पड़ोसी राज्यों से बीजेपी कार्यकर्ताओं को यहां ला रही है.

बीजेपी
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बीजेपी

चुनाव आयोग पहले भी उठा चुका है ऐसे कदम

प. बंगाल में धारा 324 का इस्तेमाल करके चुनाव आयोग ने कुछ भी नया और असंवैधानिक नहीं किया है.

चुनाव आयोग ने पहले भी ऐसे कदम उठाए हैं. 2018 में चुनाव आयोग ने प्रमुख सचिव रैंक के एक अधिकारी को हटा दिया था. इसमें मिज़ोरम में विधानसभा चुनाव के दौरान गृह सचिव का हटा दिया गया था.

इससे पहले 1993 में त्रिपुरा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव एम दामोदरन को हटा दिया था.

ममता बनर्जी
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ममता बनर्जी

राजनीतिक पार्टियां मतदान के वक्त चुनाव आयोग पर दबाव बनाए रखने के लिए ढेरों शिकायतें करती हैं. टीएमसी और बीजेपी दोनों ही ऐसा करती रही हैं.

लेकिन शुरुआत से पश्चिम बंगाल में जिस तरह से चुनाव कराने के लिए भारी केंद्रीय बलों की तैनाती की गई है, उससे ममता बनर्जी को ये शक हुआ कि चुनाव आयोग बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है.

नरेंद्र मोदी और अमित शाह के ख़िलाफ आचार संहिता का उल्लंघन करने की शिकायतों को जिस तरह से चुनाव आयोग ने हैंडल किया है, उससे टीएमसी समेत दूसरी राजनीतिक पार्टियां चुनाव आयोग की स्वतंत्र भूमिका पर सवाल उठा रही हैं.

लेकिन चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी के राज्य की कानून-व्यवस्था ठीक होने के दावे को भी ख़ारिज कर दिया है.

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English summary
West Bengal: How logical is Mamata Banerjee's anger on election commission? Lok Sabha Elections 2019
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