ममता सरकार का चौंकाने वाला फैसला, जनसंघ संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि मनाएगी
नई दिल्ली- पश्चिम बंगाल सरकार ने एक बहुत ही बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया है। ममता बनर्जी की सरकार ने रविवार को भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि मनाने का फैसला किया है। इस समय प्रदेश में भाजपा और टीएमसी के बीच तल्खी का जो आलम है, उस वक्त में ममता सरकार का बीजेपी के आइकन को लेकर किया गया यह फैसला बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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ममता सरकार का मन डोला?
बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने बीजेपी के आइकन और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि सरकारी स्तर पर मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वाकायदा मीडिया वालों को एक निमंत्रण पत्र भेजा है। इस पत्र में कहा गया है कि रविवार सुबह 11.30 बजे कोलकाता के केयोराताला श्मशान घाट पर उनकी पुण्यतिथि का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस मौके पर राज्य के ऊर्जा मंत्री सोभनदेब चट्टोपाध्याय उन्हें राज्य सरकार की ओर से श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। मीडिया वालों से इस कार्यक्रम को कवर करने का आग्रह किया गया है। खास बात ये है कि चट्टोपाध्याय जिस रासबिहारी असेंबली का प्रतिनिधित्व करते हैं, वह साउथ कोलकाता लोकसभा सीट के तहत आता है, जिसका प्रतिनिधित्व कभी मुखर्जी भी कर चुके हैं।
क्या हो सकती ही ममता की रणनीति?
जिस वक्त में बीजेपी और टीएमसी के बीच बंगाल में हिंसक झड़पें हो रही हैं, कोलकाता से दिल्ली तक सियासी तनाव का आलम है, ऐसे में ममता सरकार के इस फैसले को लेकर माना जा रहा है कि वह बीजेपी की बढ़त की धार को कुंद करने के लिए ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे हिंदुत्व के चेहरे को अपने रंग में रंगने की कोशिश कर रही है। खबरों के मुताबिक ममता बनर्जी बंगाल में बीजेपी और उसके हिंदुत्व की बढ़त से बहुत परेशान हैं। इसकी काट में उन्होंने बंगाली अस्मिता को उभारने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसमें उन्हें उतनी कामयाबी नहीं मिली है। इसलिए, अब वो हिंदुत्व और भाजपा के आइकन श्यामा प्रसाद मुखर्जी को 'बंगाली आइकन' के तौर पर पेश करने की कोशिशों में जुट गई हैं।
विद्यासागर की प्रतिमा टूटने से हुआ था विवाद
लोकसभा चुनाव के दौरान कोलकाता में ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा टूटने के बाद विवाद उत्पन्न हो गया था। 15 मई को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान यह मूर्ति टूटी थी। बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस ने इसको लेकर एक-दूसरे पर लगाया था। ममता ने उस समय इसे बंगाली अस्मिता से जोड़कर बड़ा मुद्दा बना दिया था। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने उनकी नई प्रतिमा का अनावरण भी कर दिया है। इसलिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि मनाने के फैसले को उसी बंगाली अस्मिता की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है, जिसके माध्यम से टीएमसी प्रबुद्ध मीडिल क्लास बंगालियों को अपने पक्ष में करके बीजेपी की धार को कम करना चाहती है।
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