West Bengal assembly elections 2021:BJP के 'बदले' चाल-चरित्र और चेहरा पर क्यों हो रही है RSS को चिंता
RSS conclave in Ahmedabad:मंगलवार से अहमदाबाद (Ahmedabad) में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) का एक कॉन्क्लेव शुरू होने जा रहा है। माना जा रहा है कि तीन दिनों तक चलने वाली इस बैठक में भाजपा संगठन में कुछ फेरबदल से लेकर आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर भी मंथन हो सकता है। खासकर पश्चिम बंगाल का चुनाव (West Bengal assembly elections) ना सिर्फ बीजेपी (BJP) के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि संघ (RSS)ने भी बीते वर्षों में वहां काफी मेहनत की है, जिसकी फसल काटने का समय आ रहा है। बहुत दिनों बाद आरएसएस की यह बड़ी बैठक होने जा रही है, जिसे 'समन्वय बैठक' कहा जा रहा है। इसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat)तो पहुंचने ही वाले हैं, बीजेपी के भी बड़े नेताओं, यहां तक कि कुछ केंद्रीय मंत्रियों के भी पहुंचने की संभावना है। देखने वाली बात होगी कि इस बैठक में पश्चिम बंगाल में भाजपा की चुनावी रणनीति को लेकर संघ की ओर से क्या कहा जाता है। क्योंकि, वहां ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को घेरने के लिए पार्टी ने जिस तरीके से तृणमूल (TMC) के नेताओं की ताबड़तोड़ एंट्री करवाई है, उसको लेकर संघ में भी उसके 'बदले' हुए चाल-चरित्र और चेहरा को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
संगठन में फेरबदल और चुनाव पर चर्चा की संभावना
भारतीय जनता पार्टी में आमतौर पर संगठन महामंत्रियों (joint general secretary) का पद आरएसएस (RSS) के पदाधिकारियों के लिए ही सुरक्षित रखे जाने की परंपरा रही है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP president J P Nadda) ने कुछ प्रदेशों के संगठन महामंत्रियों सुडान सिंह, वी सतीश और शिव प्रकाश को नई जिम्मेदारियां सौपी हैं। जानकारी के मुताबिक संघ के इस समन्वय बैठक में इन खाली पदों के लिए भी नए नाम फाइनल हो सकते हैं। आमतौर पर इन पदों पर आरएसएस के प्रचारकों को बिठाया जाता है, जो कि वैचारिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और राजनीतिक संगठन भाजपा के बीच रोजमर्रा के विषयों में पुल का काम करता है। कोविड-19 की वजह से संघ बहुत दिनों से ऐसी बैठक नहीं कर पाया है, इसलिए इसकी अहमियत काफी बढ़ गई है। लेकिन, मूल रूप से इस बैठक में आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की रणनीति को लेकर चर्चा होने की संभावना है, जिसमें भगवा संगठन के लिए पश्चिम बंगाल सबसे प्रमुख एजेंडा है।
कुछ केंद्रीय मंत्रियों के भी पहुंचने की संभावना
इस बैठक की अध्यक्षता के लिए खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) अहमदाबाद पहुंच रहे हैं और साथ ही बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP president J P Nadda)और पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष (national organisation secretary BL Santhosh) भी मौजूद रहने वाले हैं। भाजपा और संघ के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी से इस बैठक की अहमियत समझी जा सकती है। खबरें तो ये भी हैं कि इस बैठक में कुछ केंद्रीय मंत्रियों के अलावा राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी की भी संभावना है। इनके अलावा संघ के कुछ और वरिष्ठ पदाधिकारों के भी इस तीन दिवसीय बैठक में हिस्सा लेने की उम्मीद है।
बांग्लादेशी घुसपैठ और मुस्लिम कट्टरपंथ पर नजर
वैसे तो संघ की ओर से इसे सामान्य वार्षिक बैठक बताया जा रहा है, लेकिन चुनावी रणनीतियों के चलते यह उतना सामान्य भी नजर नहीं आ रहा है। संघ के एक पदाधिकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल में 'बांग्लादेश से बढ़ती घुसपैठ और हाल ही में अलीपुरद्वार (Alipurduar) से गिरफ्तार किए गए अल-कायदा (Al-Qaeda terrorists) के 6 आतंकवादियों के चलते मुस्लिम कट्टरपंथ (Islamic radicalism)बहुत बड़ी चिंता की वजहें हैं।' उनके मुताबिक संघ से जुड़े संगठन राज्य में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने का काम कर रहा है। खासकर जलपाईगुड़ी (Jalpaiguri ) और अलीपुरद्वार Alipurduar)और कूच बेहार (Cooch Behar) जिले के ऊपरी इलाकों की समस्याओं पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
संघ परिवार को अपने 'चाल, चरित्र और चेहरा की चिंता
लेकिन, संघ के पदाधिकारियों की एक चिंता और है। वह है तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के नेताओं और कार्यकर्ताओं का भाजपा(TMC) में आते जाना। आरएसएस(RSS) के एक ऐसे ही नेता ने बताया है, 'हम समझते हैं कि टीएमसी को हराने के बड़े लक्ष्य के लिए यह आवश्यक है, लेकिन हम यह भी चाहते हैं कि यह सुनिश्चित रहे कि इससे संघ परिवार का 'चाल, चरित्र और चेहरा' ना प्रभावित हो।' उन्होंने कहा कि आने वाले चुनाव में उम्मीदवार तय करने में भी आरएसएस की भूमिक अहम रहने वाली है। उनके मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के 42 उम्मीदवारों में से 29 का आरएसएस से नजदीकी संबंध था।
बंगाली हिंदू की सुरक्षा संघ का मुख्य एजेंडा
संघ से जुड़े एक शख्स के मुताबिक दरअसल, पश्चिम बंगाल में जब लेफ्ट का राज था तो आरएसएस ने सीधे और परोक्ष रूप से ममता बनर्जी (chief minister Mamata Banerjee ) को मुख्यमंत्री बनवाने के लिए काफी संघर्ष किया था। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से बंगाली हिंदुओं की सुरक्षा की चिंताएं बढ़ी हैं, उसने इसे अपना स्टैंड बदलने पर मजबूर कर दिया है। (तस्वीरें-फाइल )