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West bengal election: नंदीग्राम के 'महासंग्राम' में ममता जीतेंगीं या शुभेंदु?

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नंदीग्राम के महासंग्राम में ममता जीतेंगीं या शुभेंदु?

West Bengal assembly elections: पश्चिम बंगाल में चुनाव के पहले का परिदृश्य। 20 जनवरी 2021 को दक्षिणी कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस की रैली हुई। इस रैली में नारा लगाया गया, बंगाल के गद्दारों को गोली मारो। हाल ही में दक्षिणी दिनाजपुर जिले में तृणमूल कांग्रेस के दो गुटों लड़ाई में तीन लोग मारे गये। पश्चिम बंगाल में गोली और बम की संस्कृति अब जड़ जमा चुकी है। दुनिया को विश्व बंधुत्व का पाठ पढ़ाने वाले स्वामी विवेकानंद की धरती आज क्या से क्या हो गयी है। ज्ञान और क्रांति की भूमि अब हिंसा से लाल है। चुनाव आयोग राज्य की विधि व्यवस्था से बहुत नाखुश है। चुनाव आयोग ने राज्य के पुलिस अधिकारियों को फटकार लगाते हुए स्थिति को सुधारने का निर्देश दिया है। क्या तृणमूल को सत्ता खोने का डर सताने लगा है ? ममता बनर्जी को सत्ता विरोधी लहर की आशंका ने परेशान कर रखा है। दो सीटों से चुनाव लड़ने की उनकी तैयारी को इसी डर से जोड़ कर देखा जा रहा है। नंदीग्राम फिर चर्चा में है। ममता बनर्जी ने यहां से भी चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

सत्ता बचाने की जद्दोजहद

सत्ता बचाने की जद्दोजहद

ममता बनर्जी ने 2011 में पोरिबोर्तन चाइ (परिवर्तन चाहिए) नारे के साथ वाम मोर्चा की 34 साल पुरानी सरकार को उखाड़ फेंका था। ममता के मां-मांटी-मानुष के एजेंडा पर लोगों ने भरोसा किया। वामपंथिय़ों की हिंसा और दबंगई से त्रस्त लोगों ने बदलाव कर दिया। अब भाजपा का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस अपनी राजनीति जमीन बचाने के लिए हिंसा का सहारा ले रही है। राज्य की पुलिस पर आरोप है कि वह तृणमूल के इशारे पर काम कर रही है। 2016 में ममता बनर्जी ने नारा दिया था, ठंडा-ठंडा कूल कूल, ऐ बार जितेबे तृणमूल । वे दोबारा जीतीं। लेकिन 2021 में ठंड-ठंडा की जगह मामला गर्म-गर्म हो चुका है। ममता बनर्जी भाजपा से निबटने के लिए फिर उसी नंदीग्राम की शरण में पहुंची हैं जहां से 13 साल पहले उन्होंने अपनी राजनीतिक ताकत प्राप्त की थी। एबीपी-सी वोटर के हालिया सर्वे के मुताबित पश्चिम बंगाल के 27 फीसदी लोग ममता सरकार से नाखुश हैं। ममता बनर्जी पिछले दस साल से सत्ता में हैं। जनता ने जिस बदलव की उम्मीद में उन्हें सत्ता सौपी थी, वह पूरी नहीं हुई। भाजपा के बढ़ते असर और सत्ता विरोधी लहर से चिंतित ममता अब दो सीटों से चुनाव लड़ेंगी।

चुनाव लड़ने नंदीग्राम क्यों पहुंची ममता ?

चुनाव लड़ने नंदीग्राम क्यों पहुंची ममता ?

ममता बनर्जी ने एलान किया है कि 2021 का विधानसभा वे नंदीग्राम से लड़ेंगी। उन्होंने चुनाव 2016 का चुनाव दक्षिणी कोलकाता की भवानीपुर सीट से जीता था। लेकिन अब ममता नंदीग्राम और भवानीपुर, दोनों सीटों से किस्मत आजामाएंगी। कोई नेता तभी दो सीटों से चुनाव लड़ने की सोचता है जब उसके मन असुरक्षा की भावना घर जाती है। उसे डर सताने लगता है एक सीट से चुनाव लड़ने पर कहीं हार न जाए। ममता बनर्जी जैसे शक्तिशाली नेता के लिए ऐसा सोचना, हैरान करने वाली बात है। नंदीग्राम दक्षिणी दिनाजपुर जिले का एक खेतीहर गांव है। यह कोलकाता से करीब 70 किलोमीटर दूर है। 2007 में तत्कालीन वाममोर्चा की सरकार ने इंडोनेशिया के सलीम ग्रुप को नंदीग्राम में रसायनिक कारखाना खोलने के लिए जमीन आवंटित किया था। किसानों का आरोप था कि सरकार ने उनसे जबरन जमीन ले ली है। इसके खिलाफ किसानों ने जोरदार आंदोलन किया। किसानों के प्रदर्शन पर बंगाल पुलिस ने फायरिंग कर दी जिसमें 14 लोग मारे गये। इसके बाद नंदीग्राम आंदोलन का गढ़ बन गया। ममता बनर्जी ने शुभेंदु अधिकारी के साथ मिल कर नंदीग्राम आंदोलन का नेतृत्व किया। इस आंदोलन ने ममता को बुलंदी पर पहुंचा दिया। चार साल बाद ही उन्होंने वामपंथी सरकार को उखाड़ फेंका।

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कौन जीतेगा नंदीग्राम में ?

कौन जीतेगा नंदीग्राम में ?

2016 के विधानसभा चुनाव में शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल के टिकट पर नंदीग्राम से चुनाव जीता था। वे नंदीग्राम के स्थानीय नेता हैं और माना जाता है जनता पर उनकी मजबूत पकड़ है। नंदीग्राम आंदोलन का असल रणनीतिकार शुभेंदु को ही माना जाता है। लेकिन 2021 में स्थिति बदल गयी है। शुभेंदु अब भाजपा के नेता बन चुके हैं। यानी अब नंदीग्राम में ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के बीच मुकबाला होगा। शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी की चुनौती को स्वीकार कर लिया है। ममता के चुनावी मैदान में कूदने से नंदीग्राम एक बार फिर चर्चा में आ गया है। यहां के लोग दोनों (ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी) को नायक मानते हैं। आंदोलन के समय भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति के सदस्य रहे लोगों का कहना है, हम इन दोनों नेताओं को कभी नहीं भूल सकते। इन्होंने हमारे लिए लाठियां खायीं और तकलीफें सहीं। तब जा कर हमारी जमीन बची। हमने कभी कल्पना नहीं की थी कि ये (ममता और शुभेंदु) कभी अलग होंगे। कुछ सोच ही नहीं पा रहे कि अब क्या करें ? यहां कौन जीतेगा, हम भी नहीं जानते।

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English summary
West bengal election 2021: Who Will will in the political battle of Nandigram, Mamata or Shubhendu
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