West Bengal:क्या ममता बनर्जी ने मान ली BJP से हार, TMC ने कांग्रेस-लेफ्ट से लगाई समर्थन की गुहार
West Bengal assembly elections 2021:पश्चिम बंगाल की राजनीतिक घटनाक्रम में बुधवार को एक बड़ा मोड़ आता दिखाई दिया है। बीते दस वर्षों से बंगाल की राजनीति पर पूरी तरह से हावी हो चुकी तृणमूल कांग्रेस अब खुद को भारतीय जनता पार्टी का अकेले मुकाबला करने में घबराती दिख रही है। पार्टी ने लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस से भाजपा के खिलाफ सियासी अभियान में साथ देने की अपील की है। इस साल अप्रैल-मई में 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव से ठीक पहले राज्य की सत्ताधारी पार्टी का इस तरह का बयान इसी घबराहट की ओर इशारा कर रहा है।
ममता ने क्यों लगाई कांग्रेस-लेफ्ट से समर्थन की गुहार?
टीएमसी के वरिष्ठ नेता और पार्टी सांसद सौगत रॉय ने बुधवार को मीडिया के सामने जो कुछ भी कहा है, उससे लगता है कि ममता बनर्जी खुद को बीजेपी का अकेले मुकाबला कर पाने में असमर्थ पा रही हैं। पार्टी सुप्रीमो के करीबी नेता रॉय ने कहा है, 'अगर लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस सही में बीजेपी-विरोधी हैं तो उन्हें भगवा पार्टी की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ ममता बनर्जी के संघर्ष में साथ खड़े होना चाहिए।' उन्होंने दावा किया कि टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ही 'बीजेपी के खिलाफ सेकुलर पॉलिटिक्स का असली चेहरा हैं।' गौरतलब है कि तृणमूल के बड़े नेता का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब खुद मुख्यमंत्री के भाई ने ही बिना उनका नाम लिए राज्य से वंशवाद की राजनीति खत्म करने की वकालत कर दी है।
अमित शाह और बीएसएफ पर निशाना
चुनावी साल में बंगाल में पशुओं की तस्करी एक बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। इसपर टीएमसी नेता ने कहा कि 'टीएमसी विकास के हितों को देखते हुए रचनात्मक आलोचना में विश्वास करती है।' वे बोले कि अगर पशुओं की तस्करी रही है तो इसे रोकना राज्य की पुलिस की नहीं, बल्कि केंद्र की बीएसएफ (BSF) की जिम्मेदारी है। टीएमसी सांसद बोले, 'देश की सीमा की हिफाजत बीएसएफ के जिम्मे है, जो केंद्र सरकार के अधीन है। यह उसकी ड्यूटी है कि पशुओं की सीमापार होने वाली तस्करी को रोके, ना कि पुलिस की।' इस मुद्दे पर उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए सीमा सुरक्षा बल पर भी सवाल उठा दिए हैं। वो बोले, 'उन्हें (अमित शाह को) जगह-जगह भोजन करने की बजाय सीमाओं पर जाकर यह देखना चाहिए कि बीएसएफ अपनी ड्यूटी ठीक से निभा रही है या नहीं।'
वंशवाद की राजनीति के आरोपों से खलबली?
टीएमसी नेता से जब यह सवाल किया गया कि क्या प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष चुनावों में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं तो उन्होंने इसे बीजेपी का आंतरिक मसला तो कहा, लेकिन लगे हाथ ममता के भतीजे और पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी से उनकी तुलना करके उन्हें छोटा नेता साबित करने की भी कोशिश की। सौगत रॉय ने कहा, 'डायमंड हार्बर के एमपी और टीएमसी यूथ विंग के चीफ अभिषेक बनर्जी का राजनीतिक अनुभव घोष से कहीं ज्यादा है, जो 2015 में राजनीति में आए थे, लेकिन उन्होंने भी कभी सीएम फेस होने का दावा नहीं किया।' माना जा रहा है कि ऐसा कहकर वह ममता पर लग रहे वंशवाद की राजनीति के आरोपों से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
ममता के भाई ने भी खोला वंशवाद के खिलाफ मोर्चा
गौरतलब है कि ममता बनर्जी की पार्टी की ओर से कांग्रेस और वामपंथियों से सहयोग ऐसे वक्त में मांगा गया है, जब उनके अपने भाई कार्तिक बनर्जी ने कहा है कि वह पश्चिम बंगाल से वंशवाद की राजनीति खत्म करना चाहते हैं। इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने ममता का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि 'मैं सामान्य तौर पर राजनीतिक पाखंड के खिलाफ बोल रहा हूं। राजनीति लोगों के लिए होनी चाहिए, उनके जीवन को बेहतर करने के लिए होनी चाहिए। सार्वजनिक जीवन वाले लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि संतों ने क्या सलाह दी है। उन्हें पहले जनता के लिए फिर परिवार के बारे में सोचना चाहिए।' गौरतलब है कि भाजपा ममता पर अपने भतीजे को अगला मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश का आरोप लगाती है।
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