अब ममता बनर्जी ने शुरू की पार्टी के 'गद्दारों' की निशानदेही
नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों में बड़ी संख्या में सीटें खोने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी के अंदर के धोखेबाजों को खोजना शुरू कर दिया है। बता दें कि लोकसभा चुनावों में टीएमसी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। इस चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल मे 123 सीटों पर बढ़त हासिल की है। इससे गुस्साई ममता बनर्जी पार्टी में ऐसे लोगों की पहचान करने में जुट गईं हैं जिनकी वजह से पार्टी को इस चुनाव में इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।
भगवा पार्टी राज्य की अन्य 60 सीटों पर मात्र 4 हजार वोटों से हारी है
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, टीएमसी के एक सूत्र ने बताया कि भगवा पार्टी राज्य की अन्य 60 सीटों पर मात्र 4 हजार वोटों से हारी है जो उनकी पार्टी के लिए और ज्यादा चिंता की बात है। इसके अलावा कम से कम 192 ऐसे विधानसभा क्षेत्रों की पहचान की गई है जो 'अशांत जोन' हैं। ये क्षेत्र ज्यादातर स्टेट के नॉर्थ और वेस्ट इलाके के हैं। दीदी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिला और ब्लॉक स्तर के नेताओं की पहचान करने का निर्देश दिया हैं जिन्होंने सीपीएमऔर कुछ मामलों में टीएमसी से बीजेपी को वोट ट्रांसफर कराने में मदद की।
बंगाल में टीएमसी ने ज्यादातर गरीब मतदाताओं को खो दिया
पार्टी की एक आंतरिक सर्वे से पता चला कि जंगल महल और उत्तरी बंगाल में टीएमसी ने ज्यादातर गरीब मतदाताओं को खो दिया है। इस इलाके में अधिकतर मतदाता आदिवासी थे। नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि, पार्टी शहरी और अर्द्ध शहरी इलाके में अपना समर्थन बेस बनाए रखने में सफल रही है। उन्होंने कहा, 'हमें करीब 70 लाख सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवार का वोट नहीं मिला है क्योंकि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को राज्य में लागू नहीं किया गया है।
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'हमारे सभी वोटर अचानक देशभक्त बन गए'
पार्टी के नेता ने बताया कि, नाराज बनर्जी ने कहा कि वह पार्टी पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगी और हर जिले में जाकर प्रशासनिक बैठक कम करेंगी। रिव्यू मीटिंग में शामिल एक सीनियर नेता ने कहा कि, विकास कार्य चुनाव परिणामों में नहीं दिखाई दे रहे हैं। हमारे सभी वोटर अचानक देशभक्त बन गए। हमने कई ब्लॉकों में देखा है कि नेता बहुत भ्रष्ट हैं। जोकि लोगों को हमसे दूर ले गए। इन सभी नेताओं की पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने दावा किया कि सीपीएम से बीजेपी को वोट शिफ्ट होने की बात हमारे खराब प्रदर्शन का 'अतिसरलीकरण' है।
पार्टी के गद्दार जानते थे वोट कैसे ट्रांसफर किए जाएं
उन्होंने कहा, कई अन्य कारक हैं जिन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यदि आप उन निर्वाचन क्षेत्रों के संदर्भ में मानचित्र का विश्लेषण करते हैं जिन्हें हमने खो दिया था, तो आप समझेंगे कि यह एक डिज़ाइन द्वारा किया गया था न कि डिफ़ॉल्ट रूप से। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के गद्दार जो भाजपा में शामिल हुए, वे जानते थे कि किससे संपर्क किया जाए और वोट कैसे ट्रांसफर किए जाएं। इसके अलावा, सीपीएम के मतदाता नहीं चाहते थे कि ममता बनर्जी केंद्र में अहम भूमिका निभाएं।
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