West Bengal assembly elections:बंगाल में 60 से 80 सीटों पर ममता का खेल बिगाड़ सकते हैं ये 'भाईजान'
West Bengal assembly elections 2021: पश्चिम बंगाल के हुगली जिला स्थित फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी अपने अनुयायियों के बीच प्यार से 'भाईजान' के नाम से भी लोकप्रिय हैं। अब इस बात का संदेह मिट चुका है कि वह पश्चिम बंगाल में अपनी राजनीतिक पार्टी को चुनाव मैदान में उतारेंगे या नहीं। वैसे राजनीति में उनकी दिलचस्पी नई नहीं है, लेकिन 34 साल के इस मुस्लिम धर्मगुरु की ख्वाहिश अब सीधे अपने लोगों को चुनाव में जीत दिलाकर विधानसभा तक पहुंचाने की है। शुरू में उन्होंने कोशिश की थी कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मान जाएं और कुछ सीटों पर तृणमूल कांग्रेस इन्हें प्रत्याशियों का नाम तय करने का अधिकार दे दे। लेकिन, टीएमसी सुप्रीमो इसके लिए राजी नहीं हुईं। अब इनकी नई राजनीतिक पार्टी 10 दलों के गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी करेगी। इन्होंने जिस तरह के गठबंधन का मंसूबा जताया है, जाहिर है कि वह सत्ताधारी टीएमसी के लिए शुभ संकेत नहीं है। क्योंकि, बीजेपी ने पहले से ही उसकी लड़ाई को चुनौतीपूर्ण बना दी है।
मुस्लिम वोट बटोरने की 'नई' राजनीति
मुस्लिम आबादी के बीच 'भाईजान' के नाम से चर्चित फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दी (Pirzada Abbas Siddiqui Furfura Sharif) इन दिनों लगातार पश्चिम बंगाल (West Bengal)के विभिन्न जिलों में घूम-घूमकर धार्मिक उपदेश तो देते ही रहे हैं, साथ ही साथ खुद को ना सिर्फ मुसलमानों का, बल्कि आदिवासियों और दलितों के रहनुमा की तरह भी पेश कर रहे हैं। उन्हें जहां भी मौका मिलता है, वो भाजपा (BJP) के विस्तार के लिए तृणमूल (TMC) पर तोहमत लगाते हैं कि उसी की मदद से प्रदेश में बीजेपी का ग्राफ बढ़ा है। इन्हें उम्मीद है कि यह बंगाली मुसलमान (bengali muslim) वोट बैंक के बड़े हिस्से पर कब्जा कर सकते हैं, जो कि दक्षिण बंगाल में अभी टीएमसी (TMC)और उत्तर बंगाल में कांग्रेस(Congress) के साथ हैं। सिद्दीकी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि 'बंगाल में वर्षों तक कांग्रेस, सीपीएम और तृणमूल का शासन रहा, लेकिन मुसलमानों और गरीबों के लिए कुछ नहीं किया गया। मैं सिर्फ मुसलमानों की नहीं, बल्कि राज्य के गरीब आदिवासियों और दबे-कुचलों की भी बात कर रहा हूं।'
Recommended Video
'टीएमसी ने मुस्लिम वोट से खिलवाड़ किया'
पीरजादा सिद्दीकी (Pirzada Abbas Siddiqui) को लगने लगा है कि अब मुसलमानों की मुरादें तब तक पूरी नहीं की जा सकती, जबतक उनके कौम के खुद अपने प्रतिनिधि विधानसभा में नहीं पहुंचते। उनका कहना है, 'मैं सबसे पहले एनआरसी (NRC) और सीसीए (CAA) की वजह से धार्मिक उपदेशों की जगह राजनीतिक प्लेटफॉर्म के लिए काम करने की ओर आगे बढ़ा। मुझे इस बात का यकीन है कि हमें विधानसभा में अपने लोगों को भेजने की जरूरत है, जिससे वहां सही मुद्दे उठाए जाएं और गलत का विरोध किया जाए। बीजेपी तो देश की दुश्मन है।' उनका कहना है कि तृणमूल और दूसरी पार्टियों ने मुसलमानों और गरीबों के वोट के साथ खिलवाड़ किए हैं, जिसकी वजह से बीजेपी बंगाल में इतना आगे बढ़ी है 2019 के लोकसभा चुनावों में 18 सीटें जीत गई।
सिद्दीकी-ओवैसी की होगी गोलबंदी!
फुरफुरा शरीफ को राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह के बाद मुसलमानों के बीच सबसे ज्यादा अहमियत प्राप्त है। इसके प्रमुख पीरजादा सिद्दीकी की बातें इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या (Muslim Population in West Bengal)करीब 27.01 फीसदी से ज्यादा होने का अनुमान है। बीजेपी अगर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पर मुस्लिम तुष्टिकरण (Muslim appeasement) के आरोप लगाती है तो उसकी वजह भी यही है कि यहां के मुस्लिम अभी तक पूरी तरह से टीएमसी के पीछे गोलबंद दिखाई पड़ते हैं और सिद्दीकी हों या हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi), उनकी नजर उसी मुस्लिम वोट बैंक पर अपना हक जताने की है। इसका इशारा भारत के दोनों ही युवा मुस्लिम नेता बार-बार कर रहे हैं।
60-80 सीटों पर बढ़ेगी टीएमसी की टेंशन
असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi)बंगाल में चुनावी भाग्य आजमाने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं और सिद्दीकी का आशीर्वाद लेने के लिए वह बीते 3 जनवरी को उनके साथ मुलाकात भी कर चुके हैं। अब सिद्दीकी जिस चुनावी गठबंधन की बात कर रहे हैं, उसमें ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को भी जगह मिलने की संभावना है। सिद्दीकी ने अपना अगला चुनावी इरादा जाहिर करते हुए कहा है, 'हमारे साथ 10 पार्टियों का गठबंधन होगा और हम उन 60 से 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जहां हमारी जीत की संभावना अच्छी होगी।' मतलब साफ है कि जितनी भी सीटों पर यह मुस्लिम-समर्थक दलों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे तो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee)की पार्टी के उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एक उम्मीदवार तो खुद सिद्दीकी के छोटे भाई पीरजादा नौशाद के ही होने वाले हैं।
जब राजनीति में नहीं था तो क्या बीजेपी नहीं जीती-सिद्दीकी
अपनी राजनीतिक पार्टी बनाकर मुस्लिम वोट में विभाजन करने के आरोपों पर सिद्दीकी का कहना है कि 'मैंने तो टीएमसी को भी मेरे साथ हाथ मिलाने का ऑफर दिया था,लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया। जब मैं राजनीति में नहीं था तब क्या बीजेपी बंगाल और दूसरे जगहों पर सीटें नहीं जीती?.......कुछ लोग कहते हैं कि पीरजादा राजनीति में क्यों आ रहे हैं। मैं कहता हूं कि यह मेरा संवैधानिक अधिकार है......मैं लोगों को जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं पर गाइड करता था। अब वक्त आ चुका है कि उन्हें वैश्विक मामलों पर भी राह दिखाऊं।'
इसे भी पढ़ें- ममता बनर्जी के ऐलान के बाद नंदीग्राम में चल क्या रहा है, ग्राउंड रिपोर्ट