पेट से निकाला चार नवजातों के वज़न बराबर ट्यूमर
दिल्ली के गांधी नगर में रहने वाले चंपालाल पिछले पांच महीने से एक अजीब बीमारी से परेशान थे.
महीने दर महीने उनका पेट ऐसे फूल रहा था मानो पेट में कोई बच्चा पल रहा हो.
लेकिन उनको पेट में दर्द ज़रा भी नहीं था. सिर्फ़ भूख नहीं लगती थी और हर वक़्त पेट में किसी वज़नदार चीज़ के होने का अहसास रहता था.
दिल्ली के गांधी नगर में रहने वाले चंपालाल पिछले पांच महीने से एक अजीब बीमारी से परेशान थे.
महीने दर महीने उनका पेट ऐसे फूल रहा था मानो पेट में कोई बच्चा पल रहा हो.
लेकिन उनको पेट में दर्द ज़रा भी नहीं था. सिर्फ़ भूख नहीं लगती थी और हर वक़्त पेट में किसी वज़नदार चीज़ के होने का अहसास रहता था.
अपने फूले पेट के साथ चंपालाल सबसे पहले इलाज़ के लिए दिल्ली के सरकारी अस्पताल गए.
वहां कई तरह के टेस्ट करवाए गए, लेकिन असल बीमारी का पता नहीं चला.
पहले डॉक्टरों ने पेट का अल्ट्रासाउंड कराया और फिर सीटी स्कैन.
अस्पताल के चक्कर
डॉक्टरों ने चंपालाल को बताया कि उनके पेट में गांठ है और ऑपरेशन करना पड़ेगा.
चंपालाल को किसी तरह का दर्द नहीं था, सो वो किसी हड़बड़ी में नहीं थे.
उन्होंने सेकेण्ड ओपिनियन के लिए दूसरे डॉक्टर से जांच करवाने का फ़ैसला लिया.
इसके लिए उन्होंने दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल का रुख़ किया.
वहां भी तमाम टेस्ट करवाने के बाद डॉक्टर ने चंपालाल को ऑपरेशन की ही सलाह दी.
इस बीच चंपालाल कि परेशानी थोड़ी बढ़ने लगी थी. अब धीरे-धीरे पेट के साथ साथ उनका पैर भी फूलने लगा. भूख न लगने की वजह से उनका वजन भी बहुत घट गया था.
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इसलिए चंपालाल और उनका परिवार इस बार ऑपरेशन के लिए राज़ी हो गए.
चंपालाल ने बीबीसी से कहा, "ऑपरेशन के बारे में जब पहली बार मुझे पता चला तो मैं थोड़ा घबराया, लेकिन मुझे नहीं पता था कि ट्यूमर बहुत बड़ा है."
वो कहते हैं, "ऑपरेशन के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे चार बच्चे पेट से निकल गए हों. अब मैं काफ़ी हल्का महसूस कर रहा हूं."
कैसे हुआ ऑपरेशन?
चंपालाल के बेटे दिनेश के मुताबिक, "ऑपरेशन के पहले बाबूजी का वजन 63 किलो था. ऑपरेशन के बाद सिर्फ़ 48 किलो रह गया.
सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर उशस्त धीर के मुताबिक उन्होंने अपने पूरे करियर में ऐसा केस नहीं देखा था.
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10 किलो का ट्यूमर
बीबीसी से बातचीत में डॉ. धीर ने बताया कि सीटी स्कैन में ये तो साफ़ था कि पेट का ट्यूमर काफ़ी बड़ा है.
उन्होंने पेट के सीटी स्कैन की तस्वीर बीबीसी के साथ साझा की है. उन्होंने कहा कि सीटी स्कैन की तस्वीर देख कर पता चल गया था कि पेट के 80 फ़ीसदी हिस्से में ट्यूमर फैला हुआ था. लेकिन इमेज से ट्यूमर के वज़न का अंदाज़ा नहीं लग पाया था.
ऑपरेशन के लिए सबसे बड़ी दिक्कत थी चंपालाल की उम्र. चंपालाल 62 साल के है. इस उम्र में इतने बड़े ऑपरेशन में खून ज़्यादा बहने का ख़तरा रहता है इसलिए ऑपरेशन बड़ा पेचीदा होता है.
डॉ. धीर ने 10 डॉक्टरों कि टीम तैयार की. 26 मई को चंपालाल का ऑपरेशन हुआ. एनेस्थीसिया देने से लेकर ट्यूमर निकालने में 12 घंटे का वक्त लगा.
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लेकिन पूरा ऑपरेशन अपने आप में ऐतिहासिक था. पेट से निकले ट्यूमर का जब वजन लिया तो वह 10 किलो निकला.
डॉ. धीर के मुताबिक उनकी जानकारी में भारत में पेट से इससे पहले कभी इतना वज़नदार ट्यूमर नहीं निकाला गया.
चंपालाल के पेट में इस ट्यूमर की वजह से आंते, किडनी और गुर्दे के काम पर भी काफ़ी असर पड़ा.
दिल तक ख़ून पहुंचाने वाली दो नसें बिलकुल सिकुड़ सी गई थीं.
डॉ. धीर के मुताबिक इसी वजह से ऑपरेशन के दौरान किसी भी तरह से ब्लड लॉस का ख़तरा हम मोल नहीं ले सकते थे.
लेकिन राहत की बात ये रही पूरे ऑपरेशन के दौरान केवल एक बोतल ख़ून की ही ज़रूरत पड़ी.
सर्जरी के बाद फिलहाल चंपालाल स्वस्थ हैं और अपने घर पर हैं.
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