स्वास्थ्य और आर्थिक आधार पर लिंग असामनता में पिछड़ा भारत, अब 112वीं रैंक पर पहुंचा
नई दिल्ली। मंगलवार को जारी एक वैश्विक रिपोर्ट में पता चला है कि भारत लिंग असामनता के मामले में बीते साल के मुकाबले 4 रैंक पिछड़ गया है। पिछले साल भारत को इसमें 108वां स्थान प्राप्त था, लेकिन इस साल 112वीं रैंक मिली है। जबकि इस मामले में दुनिया का सबसे बेहतर देश आईसलैंड है, जहां महिलाओं के साथ किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता है।
भारत में व्यापक असमानता
यानी महिलाओं से स्वास्थ्य और आर्थिक भागीदारी के मामले में भारत में व्यापक असमानता देखने को मिलती है। विश्व आर्थिक मंच (डब्लूईएफ) की लिंगभेद पर जारी इस रिपोर्ट में चीन (106), श्रीलंका (102), नेपाल (101), ब्राजील (92), इंडोनेशिया (85) और बांग्लादेश (50) की स्थिति भारत से बेहतर है। वहीं यमन की रैंक 153, ईराक की 152 और पाकिस्तान की 151 है।
अभी भी भेदभाव मौजूद है
अपनी रिपोर्ट में डब्लूईएफ ने कहा है कि दुनियाभर में लिंगभेद कम तो हो रहा है लेकिन अभी भी महिलाओं और पुरुषों के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा, कार्यालय और राजनीति में भेदभाव मौजूद है। जेनेवा स्थित इस अंतरराष्ट्रीय संगठन ने कहा कि ये साल राजनीति में महिलाओं की उल्लेखनीय वृद्धि के रूप में जाना जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक अगर राजनीति में महिलाओं की भागीदारी ऐसे ही बढ़ी तो लिंगभेद खत्म करने में 95 साल लगेंगे, ये आंकड़ा बीते साल 107 साल था।
कई क्षेत्रों में खराब स्थिति
वहीं आर्थिक आधार पर महिलाओं की स्थिति काफी खराब रही है। इसमें कहा गया है कि अगर सब ऐसे ही चलता रहा तो आर्थिक आधार पर इस खाई को पाटने में 202 साल की तुलना में 257 साल लग जाएंगे। इसके पीछे की वजह उभरते क्षेत्रों में महिलाओं की कम भूमिका को बताया गया है। महिलाओं की स्थिति क्लाउड कंम्पयूटिंग, इंजीनियरिंग, डाटा और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में काफी खराब बनी हुई है। बता दें डब्लूईएफ ने लिंगभेद पर अपनी पहली रिपोर्ट साल 2006 में जारी की थी। तब भारत की रैंक 98 थी। जो साल दर साल खराब होती गई।
राजनतिक सश्क्तिकरण के मामले में सुधार
हालांकि राजनतिक सश्क्तिकरण के मामले में भारत की रैंक 18 है, जिसमें काफी सुधार हुआ है। लेकिन स्वास्थ्य और उत्तरजीविता के मामले में भारत पिछड़कर 150वीं रैंक पर आ गया है। डब्लूईएफ ने कहा है कि आर्थिक अवसर जिन देशों में महिलाओं के लिए कम हैं, वो देश भारत (35.4 फीसदी), पाकिस्तान (32.7 फीसदी), यमन (27.3 फीसदी), सीरिया (24.9 फीसदी) और इराक (22.7 फीसदी) हैं। इसने कंपनी बोर्डों में बहुत कम महिला प्रतिनिधित्व वाले देशों में भारत (13.8 फीसदी) का नाम भी शामिल किया है। इस मामले में चीन की हालत और भी ज्यादा खराब (9.7 फीसदी) है।
महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता
रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य और उत्तरजीविका के मामले में पाकिस्तान, भारत, चीन और वियतनाम में महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता है। भारत में जन्मदर 100 लड़कों पर 91 लड़की हैं। और पाकिस्तान में 100 लड़कों पर 92 लड़की। यूं तो भारत में लिंगभेद को कम करने के लिए प्रयास हुए हैं लेकिन फिर भी भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति उतनी ठीक नहीं है।
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