अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का हुआ समापन, साधकों ने सीखे योग के कई सूत्र
देहरादून। गढ़वाल मंडल विकास निगम व उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आज समापन हो गया। 7 दिन चले इस महोत्सव में योग के कई गुण सीखने को मिले। महोत्सव के छठे दिन योग साधकों ने योग के सूत्र यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि के माध्यम से शरीर को स्फूर्तिदायक व ऊर्जावान बनाने का अभ्यास सीखा। विश्व हिदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व मार्गदर्शक दिनेश चंद ने योग साधकों को प्राणायाम की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि योग व प्राणायाम भारतीय जीवन पद्धति के अभिन्न अंग हैं। आज पूरा विश्व भारतीय योग विधा को अपनाकर इसकी उपयोगिता और महत्व को समझ रहा है।
योग साधकों ने जाना नाड़ी विज्ञान का महत्व
अपराह्न बाद उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी ने योग साधकों को नाड़ी विज्ञान का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी रोग का कारण नाड़ियों में प्राण शक्ति के प्रवाह का बाधित होना है। यदि हम नाड़ियों में प्राण शक्ति के प्रवाह को पुन: प्रवाहित कर दें तो तुरंत उसका लाभ प्राप्त किया जा सकता है। कहा कि शरीर का कोई भी अंग तीन वजहों से काम करता है, पहला यदि उसे हृदय से लगातार रक्त का प्रवाह मिलता रहे, दूसरा मस्तिष्क से नर्वस (स्नायु) को सप्लाई मिलती रहे, तीसरा प्राण ऊर्जा का प्रवाह यदि मिलता रहे तो अंग सदैव काम करता है।
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कैलाश खेर के गीतों पर झूमे योग साधक
महोत्सव के पांचवे दिन योग साधकों ने सूफी गायक कैलाश खेर और कैलासा बैंड के सूफी संगीत का आनंद लिया। कैलाश खेर के गीतों पर देश-विदेश से आए योग साधक जमकर झूमे। शुक्रवार को बॉलीवुड गायक कैलाश खेर अपने बैंड कैलाशा के साथ परमार्थ निकेतन पहुंचे। परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों ने वेद मंत्रों और शंख ध्वनि के साथ उनका स्वागत किया। परमार्थ निकेतन में आज की शाम सूफी संगीत कैलाश खेर के नाम रही। कैलाश खेर की आवाज पर योग साधकों ने जमकर नृत्य किया।