शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने दिया बड़ा बयान, बीजेपी-RSS नहीं हम बनाएंगे राम मंदिर
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती राममंदिर को लेकर पहले भी केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार पर निशाना साध चुके हैं
नई दिल्ली। राममंदिर के मुद्दे पर द्वारिकापीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वरूपानंद सरस्वती ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस नहीं बल्कि हमारे जैसे रामभक्त ही राम मंदिर बनाएंगे। शंकराचार्य जगद्गुरु स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि बीजेपी और संघ के लोग कहते हैं कि केंद्र में उनकी सरकार है और वो राममंदिर बनाएंगे। संविधान के मुताबिक केंद्र सरकार सेक्युलर है। एक सेक्युलर सरकार मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा नहीं बना सकती। हमारे जैसे रामभक्त राम मंदिर बनाएंगे।' शंकराचार्य जगद्गुरु स्वरूपानंद सरस्वती तीन दिन के प्रवास पर वृंदावन में थे। इसी दौरान उन्होंने ये बात कही हैं।
'1992 में कारसेवकों ने जिस ढांचे को तोड़ा था वो मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर था'
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती राममंदिर को लेकर पहले भी केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार पर निशाना साध चुके हैं। बीते दिनों में विवादों में रही अयोध्या की भूमि को लेकर द्वारका पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एक नया और अनोखा बयान दिया था। उन्होंने यह कहकर सबको चौंका दिया था कि 1992 में कारसेवकों ने जिस ढांचे को तोड़ा था वो मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर था। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि में मस्जिद कभी थी ही नहीं। संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि पर कोई ऐसा चिह्न नहीं था, जिससे उसे मस्जिद कहा जा सके।
'शंकराचार्य होने के नाते सनातन धर्म की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी'
शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इस दौरान कहा कि आईन-ए-अकबरी और बाबरनामा में भी ऐसा कोई जिक्र नहीं मिलता, जिससे यह साबित हो सके कि बाबर ने अयोध्या में किसी मस्जिद का निर्माण भी कराया था। उन्होंने कहा कि एक शंकराचार्य होने के नाते सनातन धर्म की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है। शंकराचार्य ने कहा था कि अदालत का आदेश आने के बाद से हम अयोध्या में विवादित स्थल पर भव्य राम मंदिर का निर्माण कराएंगे।
शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी को कांग्रेसी बताया जाता है
बता दें कि शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी को कांग्रेसी बताया जाता है। थोड़े दिनों पहले इसको लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा था कि 'जब भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी जा रही थी, तब वह कांग्रेसी थे क्योंकि उस समय कांग्रेस के अलाव कोई और पार्टी आजादी की लड़ाई को पुरजोर तरीके से नहीं लड़ रही थी। उन्होंने बताया कि फिलहाक वे खुद को धर्माचार्य मानते हैं। स्वरूपानंद सरस्वती और संघ के अलावा विहिप के बीच 36 का आंकड़ा माना जाता है। ऐसे में वे अक्सर ही विवादित बयान देते रहते हैं।
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