किसान बोले- PM मोदी मुंह में राम बगल में छूरी वाला का काम कर रहें हैं, सशर्त बात मंजूर नहीं
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। सरकार जहां सशर्त बातचीत की बात कह रही है तो वहीं दूसरी और किसानों ने सशर्त बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। सोमवार को किसान संगठनों के बीच हुई बैठक के बाद किसान नेता गुरनाम सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस आंदोलन को कुचलने के लिए 30 से ज्यादा मुकदमा दर्ज हो चुके हैं। ये लड़ाई सिर्फ किसान की नहीं है, सबकी है।
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उन्होंने कहा कि, संविधान में लोगों का, लोगों के द्वारा और लोगों के लिए शासन की बात कही गई है, लेकिन अब यह कॉरपोरेट्स द्वारा, कॉरपोरेट्स का और कॉरपोरेट्स के लिए नियम बनाए जा रहे हैं। लोगों का शोषण किया जा रहा है। पूरी जनता का शोषण कारपोरेट कर रही है। पूरे देश के नागरिक इस लड़ाई में शामिल हों। अपील करता हूं। जब तक बाते नहीं मानी जाएंगी, आंदोलन जारी रहेगा। कहीं इससे भी कड़ा कदम ना उठाना पड़े। उससे पहले बातचीत के लिए आ जाएं।
भारती किसान यूनियन (दकुंडा) के जनरल सेक्रेट्री जगमोहन सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, हम सभी राज्यों के किसान संगठनों के साथ बैठक नहीं कर सकते। हम केवल पंजाब के 30 संगठनों के साथ ही ऐसा कर सकते थे। हमने मोदीजी के सशर्त निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है। किसानों ने कहा मोदी जी मुंह में राम बगल में छूरी वाला का काम कर रहें हैं ये हरगिज मंजूर नहीं है। अमित शाह फ़ोन पर बात कर रहे हैं, लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है।
उन्होंने कहा कि, ये पंजाब का संघर्ष नहीं है. ये सभी का संघर्ष है। सभी की जो स्थिति है, हम जहां हैं वही रहंगे, और आगे कैसे बढ़ना है। आज देश के किसान अपने मन की बात सुनाने आए हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगेंद्र यादव ने कहा कि, यह आंदोलन ऐतिहासिक है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह किसान और सत्ता की लड़ाई है। यह आंदोलन भारत के लोकतंत्र के लिए एक मिशाल की तरह है।
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