अयोध्या फैसले पर बोलीं उमा भारती, आडवाणी की वजह से हम यहां तक पहुंचे
नई दिल्ली। दशकों पुराने और राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने फैसला सुना दिया है। इस मौके पर कई नेता काफी खुश दिखाई दे रहे हैं। कोर्ट के फैसले पर भाजपा नेता उमा भारती ने भी अपनी राय दी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को निष्पक्ष और दिव्य बताया है।
उमा भारती ने कहा है, 'कोर्ट ने एक निष्पक्ष किंतु दिव्य निर्णय दिया है। मैं आडवाणी जी के घर में उनको माथा टेकने आई हूं, आडवाणी जी ही वे व्यक्ति हैं, जिन्होंने छद्म धर्मनिरपेक्षता को चुनौती दी थी... और उसके लिए अयोध्या एक बहुत बड़ा उदाहरण बनी थी। आडवाणी जी ने संसद में इस पूरे पक्ष को तर्क के साथ प्रस्तुत किया था। उन्हीं की बदौलत आज हम यहां तक पहुंचे हैं।' बता दें अयोध्या के इस फैसले का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। दशकों बाद ही सही लेकिन विवाद आज समाप्त हुआ है।
#WATCH Uma Bharti,BJP on #AyodhyaVerdict: Court ne ek nishpaksh kintu divya nirnaya diya hai. Main Advani ji ke ghar mein unko maatha tekne aayi hoon, Advani ji hi veh vyakti the jinhone pseudo-secularism ko challenge kiya tha...unhi ki badaulat aaj hum yahan tak pahunche hain. pic.twitter.com/YYtY4RCz06
— ANI (@ANI) November 9, 2019
कोर्ट के फैसले पर सभी पक्षों का कहना है कि वह इसका सम्मान करते हैं। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने अयोध्या पर फैसला सुनाया है। इस पीठ में गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नजीर हैं।
क्या है फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया है। निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना है। कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को अतार्किक करार दिया। कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को कहीं और 5 एकड़ की जमीन दी जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए। इसमें निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व देने का आदेश दिया गया है।
रामलला की है विवादित जमीन
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित स्थल पर 1856-57 तक नमाज पढ़ने के सबूत नहीं है। हिंदू इससे पहले अंदरूनी हिस्से में भी पूजा करते थे। हिंदू बाहर सदियों से पूजा करते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को दे दिया है। कोर्ट ने आगे कहा कि हर मजहब के लोगों को संविधान में बराबर का सम्मान दिया गया है।
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