अखिलेश यादव बोले, 23 मई को एक नया प्रयोग देखने को मिलेगा
नई दिल्ली- लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। 19 मई को अंतिम दौर की वोटिंग से पहले ही सरकार बनाने के मकसद से नए-नए समीकरण बनने की कवायद शुरू हो चुकी है। कांग्रेस ने इसको ध्यान में रखकर दिल्ली में विपक्षी पार्टियों की एक बैठक बुलाई हुई है। उधर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) भी किसी दक्षिण भारतीय चेहरे को प्रधानमंत्री पद दिलाने की मुहिम में जुटे हुए हैं। इन्हीं सब कयासों और कवायदों के बीच समाजवादी पार्टी (SP) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी इस बार केंद्र में एक नए प्रयोग का दावा ठोक दिया है। उन्हें लगता है कि 23 मई के बाद बनने वाली अगली सरकार में उनके महागठबंधन (SP+BSP+RLD) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है।
अति-पिछड़ों का भी मिल रहा है साथ-अखिलेश
इकोनॉमिक्स टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने जिस आधार पर 23 मई के बाद दिल्ली की सत्ता में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने बात कही है, उनमें से एक ये भी है कि उन्हें लगता है कि इस बार महागठबंधन को उनका भी साथ मिल रहा है, जो पहले नहीं मिला था। उनको लगता है कि अबकी बार वो महादलित एवं अति-पिछड़े वर्ग का वोट पाने में भी काफी हद तक सफल हो रहे हैं। 2014 के चुनाव में इन समुदायों के ज्यादातर वोट बीजेपी में जाने की बात कही गई थी। लेकिन, अखिलेश का दावा है कि उन्होंने इस दफे कई अति-पिछड़ी जातियों के उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, इसलिए वो महागठबंधन को वोट दे रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक उन्हें उनका सही प्रतिनिधित्व नहीं देंगे, वे उन्हें वोट क्यों देंगे। इसलिए इसबार काफी सोच-समझकर उन्होंने उम्मीदवारों को चुना है।
सभी समुदायों और जातियों को टिकट दिए- अखिलेश
अखिलेश यादव ने दावा किया है कि उन्होंने टिकट बांटने में अति पिछड़ों के अलावा सभी समुदायों और जातियों का ख्याल रखा है। उनका कहना है कि जब सबको टिकट मिलता है, तो वे एक साथ एक प्लेटफॉर्म पर आ जाते हैं। उनकी मानें तो इसका मकसद देश को एक नया प्रधानमंत्री देना है और उनका सामाजिक जोड़ लंबे वक्त के लिए मजबूत और प्रभावी रहने वाला है। जब उनसे सवाल हुआ कि इतनी एकता वाराणसी में विपक्ष के एक उम्मीदवार उतारने के लिए क्यों नहीं बनाई गई? तो उनका जवाब था कि 'उनसे संपर्क नहीं किया गया। वे (कांग्रेस) जवाब भी नहीं दे रहे थे। तीन राज्य का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने किसी से बात तक नहीं की। मैं वहां से एक फौजी को उतारना चाहता था। तब वहां एक अलग ही चुनाव हो जाता।'
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23 तारीख के बाद नया प्रयोग दिखेगा- अखिलेश
अखिलेश ने इस बार की सत्ता में नए प्रयोग होने का दावा किया है। अखिलेश के इस दावे के पीछे की दलील ये है कि 23 मई को जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे, तो गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेसी दलों की सीटें इन दोनों से कहीं ज्यादा होंगी। अखिलेश ने कहा, "गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेसी ग्रुप के कई सारे बड़े ब्लॉक्स जीतकर आ रहे हैं। केसीआर (KCR), नायडू सब प्रयास में लगे हुए हैं। ममता दीदी ने हमें बुलाया और हम सब गए थे। 23 तारीख के बाद ऐसा प्रयोग देखने को मिलेगा। पहले भी क्षेत्रीय दलों के प्रधानमंत्री रहे हैं। लेकिन, इस बार गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस दलों का यह ग्रुप कहीं बड़ा रहने वाला है।"
इस बार हम साथ-साथ हैं- अखिलेश
अखिलेश यादव का कहना है कि पिछली बार उन्हें इसलिए बीजेपी से हार मिली, क्योंकि वे अपनी कल्याणकारी योजनाएं जनता तक पहुंचा नहीं पाए। उनका आरोप है कि बीते पांच साल में मोदी सरकार ने गरीबों और पिछड़ों के जीवन में कोई बदलाव नहीं लाया है। इस बार वे कमजोर तबकों को साथ में लाने के लिए ही बीएसपी और आरएलडी के साथ जुड़े हैं।