पेंडिंग मामलों को लेकर SC ने राज्यों से कहा, कोर्ट कोई ‘नरभक्षी बाघ’ नहीं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राज्यों से कहा है कि अगर कोई मामला शीर्ष अदालत में लंबित है तो उन्हें डरना नहीं चाहिए क्योंकि हम कोई नरभक्षी बाघ नहीं है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने खनन से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की है।
दरअसल जजों की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब एक निजी फर्म की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि राज्य सरकार पर दबाव बनाने के इरादे से आंध्र प्रदेश में गैरकानूनी खनन का आरोप लगाते हुये कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की गयी है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने हाल ही में ट्रिमेक्स ग्रुप द्वारा किए जाने वाले खनन के काम पर रोक लगा दी थी। रोहतगी ने कहा, 'यह मामला अवैध खनन का नहीं था बल्कि राज्य सरकार ने ऐसा निर्णय लिया क्योंकि अपेक्स कोर्ट में सुनवाई चल रही थी।'
ऐडवोकेट प्रशांत भूषण ने अभियोजन पक्ष की तरफ से कहा कि राज्य ने कंपनी का लाइसेंस केवल सस्पेंड किया है जबकि लाइसेंस कैंसल करके धन वसूला जा सकता था। जब उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह आदेश अभियोजकों की सफलता है तो बेंच ने कहा कि राज्य सरकार इतनी कमजोर नहीं है कि एक या दो लोग उसे मजबूर कर सकें। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 27 सितंबर तक टाल दी।