पानी का संकट- जानिए कौन-कौन से राज्य हैं खतरे में
बेंगलुरु। जब उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों में सूरज से अंगारे बरस रहे थे, जब चेन्नई में पीने का पानी ट्रेनों से पहुंचाया जा रहा था। जी हां ऐसा मंजर कई अन्य राज्यों में भी देखने को मिल सकता है। कहते हैं वह दिन जब नल में पानी की एक बूंद भी न आई हो उसे हम 'डे जीरो' (Day Zero) होगा। ऐसी स्थिति विश्व के कुछ प्रमुख राज्यों व शहरों में गंभीर रूप से उभर रही है। इनमें भारत के कई राज्य शामिल हैं। जैसा कि भारत के चेन्नाई से लेकर केप टाउन व साऊ पोलो तक देखने को भी मिली है। ये शहर तो सिर्फ एक उदाहरण है की पानी का संकट किस तरह शहर में रहनेवाले लोग, आजीविका और व्यवसायों को पूरे विश्व में प्रभावित कर सकता है।
हम बात करने जा रहे हैं एक्वीडक्ट वोटर रिस्क एटलास की ताज़ा रिपोर्ट की, जिसमें दर्शाया गया है कि किस तरह से जल संकट गहरा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 17 देश, जहां विश्व की कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा है, वे पानी के 'अति गंभीर' संकट का सामना कर रहे हैं। दुनिया के 198 देश, उनके राज्य व गांवों को पानी का संकट, अकाल का संकट और बाढ़ के जोखिम के आधार पर क्रम दिया गया है। लोग दुनिया के इस एटलस को आसानी से समझ पाएं इसलिए एक्वीडक्ट ने इस रिपोर्ट को सरल रूप में प्रस्तुत किया है। एक्वीडक्ट के अपडेटेड हाईड्रोलोजिकल मोडल में पानी के संकट का पहले कभी न दिया गया हो ऐसा एकदम सटिक व स्पष्ट चित्र पेश किया गया है। एक्वीडक्ट वोटर रिस्क एटलास रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण अंश हम यहां रखने जा रहे हैं।
भारत में जल संकट
पानी के संकट के मामले में भारत का क्रम 13वां है। जबकी भारत की आबादी पानी के 'अति गंभीर' संकट वाले 16 देशों की आबादी से तीन गुना अधिक है। वहीं उसके पड़ोसी देश चीन इस मामले में काफी सुरक्षित और 56 वें स्थान पर है। साफ़ ज़ाहिर है कि पानी को संरक्षित रखने के प्रयासों में चीन भारत से ज्यादा सक्रीय रहा है और उसने अपने को इस संकट से सुरक्षित रखा है।
भारत में अत्याधिक गंभीर जल संकट का सामना करने वाले 9 राज्य व केंद्रशासित प्रदेश हैं-
1.
चंडीगढ़
2.
हरियाणा
3.
राजस्थान
4.
उत्तर
प्रदेश
5.
पंजाब
6.
गुजरात
7.
उत्तराखंड
8.
मध्य
प्रदेश
9.
जम्मू
और
कश्मीर
10.
पोंडीचेरी
(स्थिति
गंभीर
है)
अब बात अन्य देशों की
बेल्जियम का क्रम 'हाई' केटेगरी में 23वां है। वास्तव में युरोप के कई राष्ट्र जो टूरिस्ट के लिए हाट स्पाट है। वहां पानी का संकट गहरा होता जा रहा है। इनमें दक्षिण का ईटली, सार्दिनिया और सिसिली, दक्षिण औरपश्चिम स्पेन, भूमध्य समुद्र किनारे पर बसा तुर्की प्रमुख हैं। खासकर गर्मी के महिनों में टूरीजम की वजह से पानी की मांग बढ़ जाती है। होटेल्स, स्विमिंग पूल और गोल्फ कोर्सिस में पानी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। वहीं स्पेन 28वें, तुर्की 32वें और ईटली 44वें स्थान पर हैं। ये भी 'पानी के अति गंभीर' संकट वाले राष्ट्रों की श्रेणी में आते हैं। मध्यम श्रेणी में आने वाले देशों की बात करें तो दक्षिण आफ्रिका 48वें क्रम पर है। वहीं ओस्ट्रेलिया का 50वें, चीन का 56वें, फ्रान्स का 59वें, जर्मनी का 62वें और इंडोनेशिया का 65वें क्रम है। युनाइटेड स्टेट्स लो-मिडियम श्रेणी में आता है और उसका क्रम 74वां है।
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डिमांड ज्यादा सप्लाई कम
विश्व के जो 17 देश पानी के अति गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं, वहां जमीन के उपर के पानी और भूजल का 80 फिसदी इस्तेमाल कृषि, उद्योग और म्युनिसिपिलटी की ओर से पीने के पानी की सपलाई में किया जाता है। जब सप्लाई की मांग ज्यादा बढ़ जाती है तो छोटे-छोटे नलकूप सूखे पड़ने लगते हैं, जिनकी संख्या जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ने की संभावना है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
वोटर रिसोर्स इन्स्टीट्युट के सीईओ और प्रेसिडेन्ट डो. एन्ड्रू स्टीर का कहना है कि पानी की कमी सबसे बडा संकट है, लेकिन कोई भी इस पर चर्चा नहीं करता। इस के परिणाम खाद्य असुरक्षा, संघर्ष और स्थानान्तरण, आर्थिक अस्थिरता के रूप में हमारी आंखो के सामने हैं। नया एक्वीडक्ट अलग-अलग देशों को जल संकट की स्थिति से अवगत कराता है। वे अपने हिसाब से योजनाएं भी बनाते हैं लेकिन उन योजनाओं के क्रियान्वन में विफलता बड़े पैमाने पर महंगी साबित हो सकती है।
इस पर भारत के जल संसाधन मंत्रालय के पूर्व सचिव और डब्ल्यू आर आई, भारत के वरिष्ठ सदस्य शशि शेखर कहते हैं कि, हाल ही में चेन्नाई में आए पानी के संकटने पूरे विश्व का ध्यान खिंचा, लेकन भारत में ऐसे कई ईलाके हैं जो पानी के गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। भारत अपने पानी के संकट को बारिश का पानी, जमीन के उपर का पानी और भूजल के विश्वसनीय और ठोस डेटा के जरीए नीतियां बनाते हुए मैनेज कर सकता है।
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