चीन और पाकिस्तान दोनों सीमा पर एकसाथ नजर, लद्दाख में BRO ने क्या कर दिया है ? देखिए Video
लेह, 6 जनवरी: सीमा सड़क संगठन ने इस साल कड़ाके की सर्दियों में भी लद्दाख के दुर्गम से दुर्गम इलाकों को भी पहुंच के दायरे में ला दिया है। बीआरओ के जवानों की यह उपलब्धि सामरिक तौर पर बहुत ही मायने रखती है। लेह का एयरफिल्ड हो या फिर दुनिया का सबसे ऊंचा वाहन चलाने लायक उमलिंग्ला दर्रा, इस बार इतने कड़ाके की सर्दियों में भी सब खुले हुए हैं। इसमें वह खार्दुंग ला दर्रा भी शामिल है, जहां से सड़क मार्ग के जरिए एक साथ चीन और पाकिस्तान की सीमा तक पहुंचा जा सकता है। लद्दाख में स्थित देश के यह इलाके इतने कठिन और चुनौतियों से भरे हैं कि यहां का तापमान माइनस 40 डिग्री तक गिर जाता है; और ऑक्सीजन का स्तर आधे से भी कम रह जाता है। लेकिन, बीआरओ ने सभी परेशानियों के बावजूद अपना मिशन पूरा किया है।

लद्दाख बदल रहा है, हर मौसम के लिए सुलभ हुआ है
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने लद्दाख में पाकिस्तान और चीन से सटी दोनों सीमाओं की फिजा इन सर्दियों में बदल डाली है। ऐसा पहली बार हुआ है कि लद्दाख में सभी अहम ठिकानें और महत्त्वपूर्ण दर्रे, सबसे भीषण सर्दी के दिनों में भी खुले हुए हैं। दूनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल सड़क हो या दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची वाहन चलाने लायक सड़क 2022 की जनवरी महीने में भी खुले हुए हैं। इससे पहले जोजिला दर्रे को सामान्य यातायात के लिए इस साल कैसे खोले रखा गया है, वह देश देख ही चुका है। लेह का सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एयरफिल्ड हो या फिर प्रोजेकट हिमाक के तहत दुनिया का सबसे ऊंचा (19,300 फीट) मोटरेबल उमलिंग्ला दर्रा, इसबार सब खुला हुआ है।

चीन और पाकिस्तान सीमा तक सर्दियों में भी पहुंचना आसान
बीआरओ के जवानों ने इसबार दूनिया की दूसरी सबसे ऊंची वाहन चलाने लायक सड़क जो कि खार्दुंग ला दर्रे से होकर गुजरती है, उसे भी बर्फ हटाने का ऑपरेशन चलाकर इस मौसम में भी खुला रखा है। खार्दुंग ला दर्रा इसलिए अहम है क्योंकि, चीन और पाकिस्तान दोनों की सीमाओं तक जाने वाली सड़कें यहां से होकर गुजरती हैं। यानी सामरिक रूप से अहम इस सड़क को आवाजाही के लिए उलब्ध करवाकर बीआरओ ने भारतीय सेना को एक नई ताकत मुहैया करा दी है।

ये तमाम दर्रे और सड़कें भी खुले हुए हैं
सीमा सड़क संगठन के इस हर मौसम में इस्तेमाल लायक सड़कें उपलब्ध करवाने के मिशन में और कई दर्रे और मार्ग शामिल हैं। इनमें 17,216 फीट ऊंचा वारिला दर्रा, 17,688 फीट ऊंचा दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा चांगला दर्रा, 18,953 फीट ऊंचा मारसिमिक-ला दर्रा और 16,535 फीट ऊंची दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड भी शामिल हैं।
|
उमलिंग्ला दर्रे को मिल चुका है गिनीज बुक अवाॉर्ड
आपको बता दें कि बीते साल नवंबर में ही बीआरओ को लद्दाख में उमलिंग्ला दर्रे के नजदीक 19,024 फीट ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची वाहन चलाने लायक सड़क के निर्माण और उसकी ब्लैक टॉपिंग के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से नवाजा गया था। ऐसा करके सीमा सड़क संगठन ने माउंट एवरेस्ट की दोनों बेस कैंप की ऊंचाइयों को भी हरा दिया था। 52 किलोमीटर लंबी यह सड़क चिसुमले से डेमचोक तक जाती है और इसी दर्रे से होकर गुजरती है।
|
माइनस 40 डिग्री तक सर्दी और 50% ऑक्सीजन में दिखाया हौसला
बीआरओ की यह उपलब्धि इसलिए बहुत बड़ी मानी जा रही है कि उन तमाम इलाकों में जनवरी के महीनों में कई बार तापमान माइनस 20 डिग्री से लेकर माइनस 40 डिग्री तक भी गिर जाता है और कई बार यहां के वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर घटकर 50% तक ही रह जाता है। ये वो इलाके हैं, जो हमेशा से प्राकृतिक तौर पर दुर्गम रहे हैं, लेकिन बीआरओ ने इसे हर मौसम में पहुंच लायक बना दिया है।