Video: अनंतनाग में शहीद मेजर केतन की मां पूछ रही, 'मेरा शेर बेटा कहां गया'
मेरठ। सोमवार को अनंतनाग के बादूरा गांव में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में इंडियन आर्मी ऑफिसर मेजर केतन शर्मा शहीद हो गए। मेजर केतन शर्मा 19 राष्ट्रीय राइफल्स से थे और शहादत से पहले उन्होंने अपनी जान पर खेलकर तीन साथी जवानों की जिंदगी बचाई। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के रहने वाले मेजर केतन अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। अपने लाडले को सिर्फ 32 वर्ष की उम्र में गंवा देने वाली उनकी मां का रो-रोकर बुरा हाल है। मंगलवार को जब आर्मी ऑफिसर्स उनके घर पहुंचे तो उनकी मां के आगे वे सब बेबस हो गए।
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'शेर की मां को क्यों छोड़ गए'
मेजर केतन के पिता मोदी कॉन्टिनेंटल से रिटायर हैं और उनकी एक बहन है मेघा। मेघा की शादी हो चुकी है। ऑफिसर्स, मेजर केतन के घर वालों को लगातार ढांढस बंधा रहे थे लेकिन मां का दिल नहीं मान रहा था। वह बार-बार ऑफिसर को पकड़ कर पूछ रही थीं, 'मुझे बताओ मेरा शेर बेटा कहां गया?' मेजर केतन की मां अपने बेटे को एक शेर कह रही थीं और कह रही थीं कि जब शेर को ले गए तो फिर उसकी मां को क्यों छोड़कर चले गए, उसे भी ले जाते। पिता भी अपने बेटे को याद कर रोने लग जाते हैं।
साल 2012 में बने आर्मी ऑफिसर
मेजर केतन का जन्म चार अक्टूबर 1987 को हुआ था। साल 2012 में केतन, इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) से ग्रेजुएट होकर लेफ्टिनेंट के तौर पर सेना में गए। 57 इंजीनियर रेजीमेंट में उनकी पहली पोस्टिंग पुणे में हुई थी। दो साल पहले ही अनंतनाग में उनकी पोस्टिंग आई थी। मेजर केतन की शादी दिल्ली की रहने वाली इरा से करीब पांच वर्ष पहले हुई थी और दोनों की एक चार साल की बेटी काइरा है।
अपने साथियों की जान बचाई
मेजर केतन मेरठ कंकरखेड़ा की श्रद्धापुरी कॉलोनी के रहने वाले थे। मेजर केतन ने शहीद होने से पहले दो आतंकियों को ढेर किया था। उनके साथी मेजर राहुल और तीन जवान एनकाउंटर में बुरी तरह से घायल हो गए थे। मेजर केतन ने अपनी जान की परवाह न करते हुए आतंकियों की भारी गोलीबारी के बीच इन तीनों को सुरक्षित निकाला। अपने साथियों की जान बचाने के बाद वह खुद आतंकियों को जवाब देने चले गए। आतंकी झाड़ी में छिपे थे और वह उस झाड़ी का आग लगाने की तैयारी कर चुके थे।
हो रहा था फोन कॉल का इंतजार
आतंकियों के खिलाफ उन्होंने ऑपरेशन में अपने ट्रूप्स का बहादुरी से नेतृत्व किया। मेजर केतन आतंकियों को जवाब दे ही रहे थे कि एक गोली उनके सिर में लग गई। बुरी तरह से घायल मेजर को बचाने की डॉक्टरों ने लाख कोशिशों कीं लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। मेजर केतन मेरठ के में घर पर उनके माता-पिता अपने बेटे के फोन कॉल का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही बेटे के शहीद होने की खबर आई तो घर में मातम पसर गया।