क्या छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को अस्थिर करने की कोशिश थी आयकर विभाग की कार्रवाई?
नई दिल्ली- पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में आयकर विभाग ने राज्य सरकार के ठिकानों, अधिकारियों और राजनेताओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर छापेमारी की। इस छापेमारी के लिए आयकर विभाग ने बड़ी तादाद में अपने अफसरों-कर्मचारियों को लगाया। अपने काम को तसल्ली से निपटाने के लिए भारी संख्या में केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों की भी मदद ली। लेकिन, उससे निकला क्या ? अभी तक पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा रहा। सवाल उठना स्वाभाविक है कि आयकर विभाग को इतने बड़े स्तर पर कार्रवाई करने की आवश्यकता आखिर क्यों पड़ी? अगर उनके पास कुछ बड़ी जानकारी थी तो कुछ बड़ा मिला क्यों नहीं ? अगर बहुत बड़ा कुछ हाथ लगा है तो उसका खुलासा क्यों नहीं किया जा रहा?
छत्तीसगढ़ में आयकर विभाग की कार्रवाई पर यूं ही सवाल नहीं उठ रहे हैं। आयकर विभाग ने 200 से ज्यादा अधिकारियों के साथ पिछले दिनों मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर राज्य सरकार के अधिकारियों तक के ठिकानों पर छापेमारी की थी। प्रदेश के राजनेताओं तक के यहां रेड डाली गई। लेकिन, 6 दिनों की लगातार कार्रवाई के बावजूद आयकर अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर रेड को लेकर कोई खुलासा क्यों नहीं किया है? किसी संदिग्ध दस्तावेज के बारे में क्यों नहीं बताया है? छापेमारी में क्या बरामदगी हुई है, उसके बारे में विस्तार से क्यों नहीं बताया है? जाहिर है कि अगर इनकम टैक्स विभाग को कुछ मिला होता तो वह चुप क्यों रहते। लगता ऐसा ही है कि वो खाली ही हाथ रह गए हैं।
ऐसे में अगर प्रदेश की सत्ताधारी दल केंद्र सरकार के इशारे पर राज्य सरकार के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक साजिश रचने का आरोप लगा रही है तो उसे सीधे तौर पर खारिज भी नहीं किया जा सकता। राज्य की भूपेश बघेल सरकार 3/4 बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं यह सारी कवायद लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई एक सरकार को अस्थिर करने की कोशिश तो नहीं थी, ताकि वह केंद्र की भाजपा सरकार के आगे घुटने टेक दे? क्योंकि, आयकर विभाग की कार्रवाई पूरी तरह से नाकाम रही है, इसके संकेत इस बात से भी मिलते हैं कि दिल्ली में उसने इस संबंध में जो भी प्रेस विज्ञप्ति जारी किए हैं, उनकी भाषा बहुत ही भ्रामक बताई जा रही है।
छत्तीसगढ़ एक नक्सल-प्रभावित राज्य है और जिस तरह से वहां की राजधानी रायपुर में आयकर विभाग ने ऐक्शन लिया है, उसका दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। लेकिन, एक तरफ तो आयकर विभाग छापेमारी को लेकर भरोसेमंद जानकारी देने में नाकाम रहा है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में बैठी भाजपा सरकार पर अपने पसंदीदा न्यूज चैनलों के जरिए आधारहीन और भ्रामक समाचार चलवाने के आरोप लग रहे हैं।
ऐसे में यह आरोप लगने भी लाजिमी हैं कि कहीं भूपेश बघेल की अगुवाई वाली सरकार ने पिछले एक साल में विकास के जो कार्य किए हैं, उसपर पानी फेरन के लिए यह सारा सियासी खेल तो नहीं खेला गया है? अबतक सारी बातों की पड़ताल के बाद तो ऐसा ही महसूस हो रहा है कि आयकर विभाग पहाड़ खोदने की कोशिश में निकली थी, लेकिन उसके हाथ एक चुहिया भी नहीं लगी है!