कोरोना के खिलाफ जंग: पी चिदंबरम का सरकार पर 7 प्रहार
नई दिल्ली- कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग और उससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों और उसकी वजह से पैदा हुई हालातों को लेकर खासकर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों पर तंज कसे हैं। उनका कहना है कि इस जंग की अगुवाई केंद्र और राज्य सरकारें कर रही हैं और जनता के पास उसके परिणामों को लेकर कुछ कल्पना करने के अलावा कोई उपाय नहीं है।
पी चिदंबरम ने एक अखबार के लिए लिखे लेख में कुल मिलाकर 7 बिंदुओ पर सरकार पर निशाना साधने की कोशिश की है। हालांकि, उन्होंने राज्य सरकारों का भी जिक्र किया है, लेकिन जाहिरा तौर पर उनके निशाने पर मुख्य रूप से केंद्र सरकार ही है। उन्होंने इस संकट से उबरने के बारे में 7 तरह की संभावनाओं की कल्पना का जिक्र करके राजनीतिक तंज कसा है। पहला, यह वायरस बिना किसी वैक्सीन के हार जाए। इसी में उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन से इस वायरस को खत्म नहीं किया जा सकता, उसके प्रकोप को कम किया जा सकता है। लेकिन, अब इसके भी 40 दिन पूरे हो गए हैं, क्या सरकार को और वक्त चाहिए?
दूसरा, जिन प्रवासी मजदूरों को घर जाने से रोक दिया गया था, वह अपने शेल्टर होम और कैंप में ही खुश हो जाएं! इसके बाद उन्होंने एक रिपोर्ट के जरिए दिल्ली के एक शेल्टर होम की दुर्दशा बयां की है। तीसरा, प्रवासी मजदूर बिना रोजगार, बिना घर पर पैसे भेजे, कई लोगों से भरे अपने छोटे से कमरे (मुंबई या सूरत) में ही खुश हो जाएं! जबकि, तथ्य ये है कि ये मजदूर इस वक्त सिर्फ अपने घर भेजे जाने की मांग कर रहे हैं। चौथा, कल्पना कीजिए कि किसी की जॉब न जाए और नौकरियां तब तक बरकरार रहें, जब तक लोग अपने काम पर आना शुरू न कर दें! इसमें उन्होंने उस रिपोर्ट का हवाला दिया है कि भारत में बेरोजगारी की दर किस कदर बढ़ गई है।
पांचवां, कल्पना कीजिए कि केंद्र सरकार कारोबार विशेष कर एमएसएमई की सहायता के लिए अपने वादे के मुताबिक फाइनेंसियल ऐक्शन प्लान-2 लेकर आए। उनका आरोप है कि हकीकत ये है कि अभी तक इसको लेकर कुछ नहीं किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने बैंकों की हालत पर भी कटाक्ष किए हैं। छठा, कल्पना कीजिए कि बड़े उद्योग किसी तरह बच जाएं और पहले ही की तरह काम करने लगें। लेकिन, उनका आरोप है कि बड़े उद्योंगों को पता चल चुका है कि पुराने दिन लद चुके हैं। वह कैश बचाने में लगे हैं, वर्कफोर्स कम करने लगे हैं और पूंजी खपत घटाने लगे हैं, आदि। सातवां, कल्पना कीजिए कि लॉकडाउन हटने के बाद इकोनॉमी बहुत अच्छे से बाउंसबैक कर जाए और हमें V-curve देखने को मिले! इसके बाद उन्होंने मोदी सरकार पर ये कहकर प्रहार किया है कि हकीकत ये है कि इकोनॉमी न तो 'डिमोनेटाइजेशन ब्लंडर' के बाद कभी रिकवर हुई और न ही उलझन भरे जीएसटी के बाद। इसलिए लॉकडाउन के बाद भी आसानी से पटरी पर नहीं लौटेगी!
आखिरी में उन्होंने लुइस कैरॉल को कोट करके व्यंग कसा है, 'वास्तविकता के खिलाफ जंग में कल्पना ही एकमात्र हथियार है।'
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