CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग पर फैसला हो सकता है जल्द, आज उपराष्ट्रपति से मिलेंगे पीएम मोदी
, कल उपराष्ट्रपति को मिल सकती है रिपोर्ट
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति एम.वैंकेया नायडू इकलौते शख्स हैं जो यह फैसला करेंगे कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाया गया महाभियोग स्वीकार होगा या नहीं। नायडू ने अब सलाह मशविरा लेना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि नायडू हैदराबाद गए हुए थे। हालांकि दौरे में कटौती करते हए वो रविवार दोपहर ही दिल्ली वापस आ गए। सूत्रों ने कहा कि वैंकेया ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी, सुभाष कश्यप, पूर्व कानून सचिव पीके मल्होत्रा, संजय सिंह और राज्यसभा के अन्य अधिकारियों से बात की। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अगर, महाभियोग को स्वीकार नहीं किया गया तो वो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। बता दें कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी मसले पर उपराष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।
विपक्षी दलों ने दी नोटिस
गौरतलब है कि शुक्रवार को कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी दलों ने दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने की नोटिस दी। बता दें कि राज्यसभा में CJI के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए 50 सांसदों के आवश्यकता होती है,जबकि विपक्षी दलों ने 71 सांसदों के हस्ताक्षर की नोटिस दी है।
संविधान के अनुसार
संविधान के मुताबिक भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर महाभियोग लाया जा जा सकत है। विपक्ष ने पांच आधार पर अपनी मांग का समर्थन किया है, जिसे कांग्रेस ने कहा, दुर्व्यवहार के बराबर है। दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने नोटिस को बदला लेने की भावना से प्रेरित बताया है।
फिर होगी जांच
हालांकि भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही कभी नहीं की गई है, प्रक्रिया के अनुसार कहा गया है कि इस तरह के नोटिस दिए जाने के बाद, सभापित इसे राज्यसभा सचिवालय को मुख्य रूप से दो चीजों की पुष्टि करने के लिए आगे बढ़ाते हैं - जिन सदस्यों पर हस्ताक्षर किए गए उनके हस्ताक्षर का मिलाना और क्या नियम और प्रक्रियाओं का पालन किया गया है या नहीं।
मंगलवार तक रिपोर्ट मिलने की संभावना
इसके बाद राज्यसभा के महासचिव, सभापति को एक रिपोर्ट भेजते हैं जो तब निर्णय लेते है कि याचिका को स्वीकार करना है या नहीं। अध्यक्ष को रिपोर्ट मंगलवार तक मिलने की संभावना है। यदि प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई जाएगी।
तीन लोगों की कमेटी
समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश और एक न्यायवादी शामिल होंगे। यदि वे प्रस्ताव का समर्थन करते हैं, तो यह हाउस में चर्चा और मतदान होगा। यदि किसी विशेष बहुमत के साथ पहले हाउस में महाभियोग पारित हो गया तो तो प्रक्रिया दूसरे हाउस में होती है।