AGR भुगतान की समयसीमा बढ़ाने की मांग को लेकर टेलीकॉम कंपनियों ने SC में दायर की अर्जी
नई दिल्ली। तमाम दूरसंचार कंपनियों ने दूरसंचार विभाग के साथ भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वोडाफोन आइडिया, टाटा टेलीसर्विसेज और भारती एयरटेल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है, जिसमे अपील की गई है उन्हें भुगतान अनुसूचि पर दूरसंचार विभाग से बात करने के लिए अनुमति दी जाए। कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से अपने पहले के आदेश में संशोधन की मांग करते हुए दूरसंचार विभाग से बातचीत करने की अनुमति मांगी है। कोर्ट से कंपनियों ने कहा है कि उन्हें दूरसंचार विभाग के साथ बातचीत के लिए और भुगतान करने के लिए समुचित समय सीमा दी जाए।
कोर्ट
ने
खारिज
कर
दी
थी
याचिका
बता
दें
कि
इससे
पहले
सुप्रीम
कोर्ट
ने
बड़ा
फैसला
सुनाते
हुए
कहा
था
कि
तमाम
टेलीकॉम
कंपनियां
अपना
भुगतान
करें।
कोर्ट
ने
इन
कंपनियों
की
याचिका
को
खारिज
कर
दिया
था।
कोर्ट
के
झटके
के
बाद
इन
कंपनियों
को
92000
करोड़
रुपए
चुकाने
होंगे।
बता
दें
कि
एडजेस्टेड
ग्रॉस
रेवेन्यू
मामले
में
पिछले
वर्ष
24
अक्टूबर
को
दिए
सुप्रीम
कोर्ट
के
फैसले
के
खिलाफ
तीनों
कंपनियों
ने
पुनर्विचार
याचिका
दायर
की
थी।
याचिका
में
जुर्माना,
ब्याज
और
जुर्माने
पर
लगाए
गए
ब्याज
पर
छूट
देने
का
अनुरोध
किया
गया
था
जिसे
कोर्ट
ने
मामने
से
इनकार
कर
दिया।
92
हजार
करोड़
का
बकाया
गौरतलब
है
कि
टेलीकॉम
कंपनियों
को
सुप्रीम
कोर्ट
ने
92
हजार
करोड़
रुपये
से
ज्यादा
का
बकाया
और
लाइसेंस
फीस
केंद्र
सरकार
को
देने
का
आदेश
दिया
था।
दूरसंचार
विभाग
की
याचिका
को
मंजूर
करते
हुए
सुप्रीम
कोर्ट
ने
बकाया
चुकाने
के
लिए
कंपनियों
को
3
महीने
की
मोहलत
दी
थी
जो
इसी
23
जनवरी
को
पूरी
हो
रही
है।
कोर्ट
ने
कहा
कि
AGR
में
लाइसेंस
फीस
और
स्पेक्ट्रम
उपयोग
के
अलावा
अन्य
आय
भी
शामिल
हैं।
क्या
है
एजीआर
टेलीकॉम
कंपनियों
को
एजीआर
का
3%
स्पेक्ट्रम
फीस
और
8%
लाइसेंस
फीस
के
तौर
पर
सरकार
को
देना
होता
है।
कंपनियां
एजीआर
की
गणना
टेलीकॉम
ट्रिब्यूनल
के
2015
के
फैसले
के
आधार
पर
करती
थीं।
ट्रिब्यूनल
ने
उस
वक्त
कहा
था
कि
किराए,
स्थायी
संपत्ति
की
बिक्री
से
लाभ,
डिविडेंड
और
ब्याज
जैसे
नॉन
कोर
स्त्रोतों
से
प्राप्त
रेवेन्यू
को
छोड़
बाकी
प्राप्तियां
एजीआर
में
शामिल
होंगी।
विदेशी
मुद्रा
विनिमय
(फॉरेक्स)
एडजस्टमेंट
को
भी
एजीआर
में
माना
गया।
हालांकि
फंसे
हुए
कर्ज,
विदेशी
मुद्रा
में
उतार-चढ़ाव
और
कबाड़
की
बिक्री
को
एजीआर
की
गणना
से
अलग
रखा
गया।
दूरसंचार
विभाग
किराए,
स्थायी
संपत्ति
की
बिक्री
से
लाभ
और
कबाड़
की
बिक्री
से
प्राप्त
रकम
को
भी
एजीआर
में
मानता
है।
इसी
आधार
पर
वह
टेलीकॉम
कंपनियों
से
बकाया
फीस
की
मांग
कर
रहा
था।