ट्रंप की धमकियों के बावजूद व्लादिमिर पुतिन अगले माह भारत आकर वॉरशिप डील पर लगाएंगे मुहर
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अगले माह अक्टूबर में मुलाकात करेंगे, तब दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण वॉरशिप डील पर मुहर लगेगी। व्लादिमिर पुतिन वार्षिक समिट के लिए नई दिल्ली आ रहे हैं। पुतिन और मोदी के बीच इस दौरान एक वॉरशिप डील पर साइन होने की संभावना है, जिसमें इंडियन नेवी को कुल 4 वॉरशिप सौंपे जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, इस डील में दो वॉरशिप रूस की कंपनी यांतार शिपयार्ड बनाएगी, वहीं बाकि के दो भारत की गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) कंपनी तैयार करेगी।
रूस में बनेंगे दो वॉरशिप
जीएसएल चेयरमेन शेखर मितल ने कहा कि इस डील के लिए दोनों देशों ने अपना ग्राउंडवर्क पूरा कर लिया है। मित्तल ने कहा, 'कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के बाद, रूस चार साल बाद भारत को दो वॉरशिप बनाकर सौंपेगा। हमें पहला वॉरशिप बनाने में छह साल लग जाएंगे और उसके बाद दूसरे के लिए कुछ और साल लग जाएंगे।' भारत ने इन चार युद्धपोतों के लिए 2016 में रूस के साथ इंटर गवर्नमेंट एग्रीमेंट (आईजीआई) के तहत बात की थी।
अभी भारत के पास 6 वॉरशिप
भारत के पास फिलहाल कुल तीन तलवार और तीन टेग क्लास के कुल छह स्टील्थ लड़ाकू युद्धपोत है। भारत ने अपने सभी वॉरशिप को रूस से खरीदे हैं, जिन्हें 2003 से 2013 के बीच में इंडियन नेवी में शामिल किया गया था। अब भारत को जो रूस अपना अगला वॉरशिप देने जा रहा है, उसमें गैस टरबाइन इंजिन होगा, जिसे यूक्रेनियन फर्म यूक्रोबोरोनप्रोम बनाकर तैयार करेगा। वहीं, कई रूसी अधिकारियों ने भी जीएसएल का दौरा कर गोवा में स्थित इस कंपनी की फैसिलिटी को सही ठहराया है।
अमेरिकी धमकियों के बाद भी भारत खरीदेगा हथियार
अमेरिकी धमकियों के बीच दोनों देशों 39,000 करोड़ रुपये वाली एस-400 मिसाइल डील पर भी अंतिम मुहर लगने की संभावना है। एस-400 मिसाइल 400 किमी की दूरी पर जेट, मिसाइल और मानव रहित हवाई वाहनों को नष्ट करने में सक्षम है। बता दें कि ट्रंप धमकी दे चुके हैं कि अगर रूस के साथ नई दिल्ली डिफेंस डील जारी रखता है, तो इससे भारत और अमेरिका के रिश्तें खराब हो सकते हैं।
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