इराक में 39 की मौत: पार्थिव अवशेषों को भारत लाने के लिए कल रवाना होंगे जनरल वीके सिंह
विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह एक अप्रैल को इराक के लिए रवाना होंगे। वीके सिंह इराक के शहर मोसुल में आईएसआईएस के हाथों मारे गए 39 भारतीयों के अवशेषों को लाने के लिए रवाना हो रहे हैं।
नई दिल्ली। विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह एक अप्रैल को इराक के लिए रवाना होंगे। वीके सिंह इराक के शहर मोसुल में आईएसआईएस के हाथों मारे गए 39 भारतीयों के अवशेषों को लाने के लिए रवाना हो रहे हैं। आपको बता दें कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कुछ दिनों पहले राज्यसभा में जानकारी दी थी कि इराक के शहर मोसुल में जिन 39 भारतीयों को बंधक बनाया गया था, उनकी मौत हो चुकी है। गौरतलब है कि साल 2014 में जब आईएसआईएस ने इराक के शहर मोसुल में अपने पैर पसारने शुरू किए थे तो उस समय आईएसआईएस ने 40 भारतीयों को बंधक बना लिया था। इनमें से एक भारतीय हरजीत मसीह किसी तरह से अपनी जान बचाने में कामयाब रहा था।
लगेगा 8 से 10 दिन का समय
इससे पहले वीके सिंह ने कहा था कि 39 भारतीयों के अवशेषों को भारत लाने में आठ से 10 दिन तक का समय लग सकता है। उन्होंने बताया था कि इस प्रक्रिया में कई तरह के कानूनों का पालन भी करना होगा और इसमें कुछ समय लग सकता है। 20 मार्च को सुषमा ने संसद को बताया था कि इराक में बंधक बनाए गए सभी भारतीयों की हत्या हो चुकी है। चार वर्ष पहले जब आईएसआईएस ने भारतीयों को बंधक बनाया था तो उसके बाद वीके सिंह कई बार इराक गए थे। वीके सिंह के मुताबिक सरकार ने इन भारतीयों का पता लगाने के हर संभव प्रयास किए थे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इस मुद्दे पर आलोचना का शिकार होना पड़ा था। सुषमा ने सदन में कहा था कि बिना सुबूत के किसी को भी मृत घोषित करना पाप है और वह यह पाप नहीं कर सकती है। सुषमा ने बताया था कि इस बात की कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी कि भारतीयों को कहा मारा गया था लेकिन उनके अवशेष बदूश की पहाड़ी पर स्थित एक कब्र से बरामद हुए थे। बदूश, मोसुल के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक गांव है। डीएनए टेस्ट के बाद इन भारतीयों की पहचान की पुष्टि हो सकी थी।
सिर में मारी गई थी गोली
साल 2014 में जब आईएसआईएस ने इराक के शहर मोसुल में अपने पैर पसारने शुरू किए थे तो उस समय आईएसआईएस ने 40 भारतीयों को बंधक बना लिया था। इन भारतीयों के शवों को भारत लाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इन सभी भारतीयों के शव बदूश की पहाड़ी पर स्थित कब्रों में मिले थे।इराक के फॉरेसिंक मेडिसिन डिपार्टमेंट की ओर से इन शवों को डीएनए टेस्ट किया गया है। यह विभाग इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आता है। विभाग के प्रमुख डॉक्टर जैदी अली अब्बास ने भारतीय मीडिया को फोन पर बताया कि ज्यादातर शवों के सिर में गोली लगने के निशान हैं। उन्होंने बताया कि जब उनके पास ये शव टेस्ट के लिए आए थे तो कंकाल में तब्दील हो चुके थे। उनमें न तो कोई कोशिका थी और न ही कोई मांसपेशी बची थी। उन्होंने कहा कि फॉरेसिंक साइंस पर भरोसा करें तो ये सभी लोग एक वर्ष पहले ही मर चुके थे।