बूस्टर डोज कर सकता है इंतजार, पहले भारतीय वयस्कों को फुली वैक्सीनेट करना जरूरी: वीके पॉल
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर। भारत ने गुरुवार को टीकाकरण अभियान में 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया। इस बीच देश में वैक्सीन के बूस्टर डोज को लेकर पूछे जा रहे सवालों पर कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख और नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने अहम जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बूस्टर शॉट्स की प्रभावकारिता को साबित करने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है, इसलिए भारत का ध्यान फिलहाल देश में वयस्क आबादी का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करने पर है।
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न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक वीके पॉल ने कहा कि भारत अभी तक कोविड-19 टीकों के बूस्टर शॉट्स को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर विचार नहीं कर रहा है क्योंकि यह अभी भी विकसित होने के क्रम में है। बहुत से देश बूस्टर खुराक की तरफ अभी कदम नहीं बढ़ाया है। यहां तक कि अमेरिकी एजेंसियों के विचार भी हमसे मिलते-जुलते हैं। हालांकि कुछ देशों ने बूस्टर डोज देना शुरू किया है, लेकिन वहां विवाद है।
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जो कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में सरकार के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे डॉ वीके पॉल ने आगे कहा, 'एमआरएनए' आधारित टीकों के प्रभाव को लेकर कई रिपोर्टें सामने आ रही हैं। एमआरएनए वैक्सीन पर आने वाली जानकारी यह है कि छह महीने में इसकी प्रभावकारिता को कम हो सकती है, लेकिन यह अन्य टीकों पर लागू नहीं हो सकता है। हमारे पास तथाकथित बूस्टर खुराक के लिए समय या ऐसे टीकों के असर के बारे में पर्याप्त डेटा नहीं है। यह एक विकसित विज्ञान है। बूस्टर के लिए अभी कोई अनुकूल समय नहीं दिया गया है, यह साइंस के ग्रे जोन में है, इसलिए पहले इसे पूरी तरह विकसित होने दें। वर्तमान में हमारी प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि जिनकी उम्र हो गई है वो वयस्क खुद अपना पूर्ण टीकाकरण करवाएं।