विवेक तिवारी मर्डर केस: 36 घंटे बाद क्राइम सीन पर पहुंची SIT, सामने आई ये पांच बड़ी लापरवाही
लखनऊ। विवेक तिवारी मर्डर केस की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है जिसने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद मौके से कुछ सबूत इकट्ठे किए हैं। लेकिन घटना के 36 घंटे बाद एसआईटी के निरीक्षण करने को लेकर सवाल उठने लगे हैं। शुरू से ही इस हत्याकांड में सवाल उठ रहे हैं कि लखनऊ का पुलिस महकमा इस मामले को दबाने की कोशिश क्यों कर रहा है? इस मामले में पीड़ित परिवार पहले ही प्रशासन पर सवाल उठा चुका है।
गोमतीनगर पुलिस ने जांच टीम के पहुंचने से पहले ही हटाई बैरिकेडिंग
28 सितंबर की रात को घटना के बाद गोमतीनगर थाने की पुलिस ने मौके पर जांच शुरू कर दी और क्राइम सीन को कब्जे में ले लिया था। क्राइम सीन को बैरिकेडिंग से घेर दिया गया था। लेकिन शनिवार दोपहर ये बैरिकेडिंग मौके से हटा दी गई। एक्सयूवी और बाइक गोमतीनगर थाने पहुंचा दी गई। आईजी सुजीत पांडेय के नेतृत्व में एसआईटी गठित होने के बाद बैरिकेडिंग हटाए जाने को लेकर पहला सवाल खड़ा होता है। जांच के लिए क्राइम सीन को सुरक्षित रखा जाना चाहिए था। इस मामले में गोमतीनगर पुलिस के रवैये को लेकर कई सवाल किए जा रहे हैं।
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36 घंटे बाद पहुंची थी एसआईटी
जबकि क्राइम सीन का निरीक्षण करने एसआईटी 36 घंटे के बाद पहुंची थी, उस वक्त बैरिकेडिंग भी नहीं थी तो उनको ऐसे कितने साक्ष्य मिल पाए होंगे जिसके जरिए वे विवेक की हत्या के आरोपियों को सजा दिलाने में कामयाब हो पाएंगे। एसआईटी ने मौके से मिट्टी के सैंपल, गाड़ी के टूटे शीशे और टायर के निशान लिए हैं। ऐसे में एसआईटी के सामने इस केस में कई चुनौतियां आ सकती हैं।
घटना के बाद एक्सयूवी और बाइक की हालत
इस घटना के बाद जो पहली तस्वीर सामने आई थी, उसमें बाइक और एक्सयूवी दोनों मामूली रूप से क्षतिग्रस्त थी। एक्सयूवी का नंबर प्लेट भी उस वक्त मौजूद था, बंपर सेफ था, गाड़ी का एयर बैलून भी खुला था। इसको लेकर भी मीडिया में कई तरह की खबरें चली हैं। एक्सयूवी और बाइक की दूसरी तस्वीर आने के बाद से सवाल उठाए जा रहे हैं कि कुछ ही घंटों में एक्सयूवी और बाइक इस कदर कैसे क्षतिग्रस्त हो गई। घटना के वक्त विवेक के साथ मौजूद सना ने भी कहा था कि बाइक के आगे के पहिए पर कार हल्की सी चढ़ी थी और कार भी अंडरपास से टकराने के बाद मामूली रूप से क्षतिग्रस्त हुई थी। इन सवालों से पुलिस बचने की कोशिश करती नजर आ रही है कि आखिर कैसे गाड़ियां इतनी डैमेज हो गईं।
सीन रीक्रिएशन पर उठ रहे सवाल
जांच करने वाली टीम मौके पर सीन रीक्रिएट कराती है और इस बात को समझने की कोशिश की जाती है कि घटना कैसे हुई होगी। जबकि सीन रीक्रिएट करने के तौर-तरीकों पर भी सवाल उठ रहे हैं। सीन रीक्रिएशन के लिए एसआईटी जब मौके पर पहुंची तो उस वक्त गवाह साथ नहीं थी। ना ही उस वक्त मौके पर कार थी, ना बाइक। तो ऐसे में टीम को क्या हासिल हुआ होगा? इसकी चर्चाएं भी जोरों पर हैं।
गोमतीनगर पुलिस का रवैया
मीडिया में विवेक तिवारी मर्डर की खबर आने के बाद प्रशासन और सरकार पर इस घटना की जांच कराने को लेकर लगातार दबाव बन रहा था। सरकार ने इस घटना की एसआईटी जांच के आदेश दे दिए। लेकिन जैसे ही एसआईटी जांच की बात गोमतीनगर पुलिस को पता चली तो उन्होंने बैरिकेडिंग हटाने के साथ ही गाड़ियों को लाकर थाने में खड़ा कर दिया। गोमतीनगर पुलिस पर पहले ही तहरीर को लेकर घटना की एकमात्र गवाह ने सवाल उठाए थे कि सादे कागज पर साइन कराकर ले लिया गया था। सना ने आरोपियों के नाम भी बताए थे लेकिन नामजद FIR दर्ज नहीं की गई थी। पुलिस अभी तक आरोपियों के मेडिकल रिपोर्ट पर भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।