विवेक तिवारी मर्डर केस के वो 7 अनसुलझे सवाल, जिनके जवाब अभी तक नहीं मिले
एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या के मामले में कई अनसुलझी गुत्थियां सामने आ रही हैं।
नई दिल्ली। एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या के मामले में कई अनसुलझी गुत्थियां सामने आ रही हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी प्रशांत चौधरी, दूसरे आरोपी संदीप कुमार, एकमात्र चश्मदीद गवाह सना खान और घटना वाली रात गोमतीनगर थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों के अभी तक के बयानों से केस की जांच में कई पेंच उलझ गए हैं। मामले को लेकर जहां पुलिस की भूमिका शुरुआत से ही संदेह के घेरे में है, वहीं अब कुछ ऐसे सवाल भी सामने आए हैं, जिनके जवाब इस केस में अभी तक नहीं मिले हैं। जानिए कौन से हैं वो सवाल:-
आखिर किस बात पर चली गोली?
1:- इस मामले में सबसे पहला अनसुलझा सवाल यही है कि वो कौन सी परिस्थितियां थीं, जिनमें आरोपी सिपाही प्रशांत चौधरी ने विवेक तिवारी को अपनी पिस्टल निकालकर गोली मार दी। प्रशांत ने मीडिया के सामने बताया कि उसने सेल्फ डिफेंस में गोली चलाई लेकिन बाद में एसआईटी के सामने कहा कि गलती से उससे गोली चल गई। प्रशांत गाड़ी के टायर पर गोली मार सकता था या वायरलेस के जरिए सूचना प्रसारित कर गाड़ी का पीछा कर सकता था, लेकिन आखिर वो कौन सी बात थी, जिसपर उसने सीधे विवेक को निशाना बनाते हुए गोली मार दी।
2:- एसआईटी की टीम इस केस से जुड़े कई लोगों के बयान अभी तक दर्ज कर चुकी है, लेकिन इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिला है कि गोली मारे जाने से पहले विवेक तिवारी की कार सड़क के किनारे खड़ी हुई थी या चल रही थी। सना खान ने घटना के अगले दिन मीडिया के सामने दिए अपने बयान में कहा था कि उनकी गाड़ी धीरे-धीरे चल रही थी, जबकि एसआईटी के सामने सना ने कहा कि वो गाड़ी रोककर बातें कर रहे थे।
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क्या अवैध वसूली का कोई कनेक्शन है?
3:- आरोपी सिपाही प्रशांत ने अपने बयान में कहा है कि विवेक ने अपनी गाड़ी से उन्हें कुचलने की कोशिश की। अगर ऐसा है तो सिपाहियों को कोई चोट क्यों नहीं आई? पुलिस अधिकारियों ने उसी समय दोनों आरोपी सिपाहियों का मेडिकल क्यों नहीं कराया? दोनों को आठ घंटे बाद मेडिकल के लिए क्यों भेजा गया? अगर बाइक को टक्कर मारे जाने की बात कही गई थी तो पुलिस ने क्षतिग्रस्त वाहनों की वीडियोग्राफी क्यों नहीं कराई?
4:- क्या आरोपी दोनों सिपाही रात में अवैध वसूली करते थे? घटना के दो दिन बाद प्राइवेट स्कूल के एक टीचर ने अपना नाम छिपाते हुए बताया कि जिस रात ये घटना हुई, उसी रात आरोपी सिपाहियों ने उससे अवैध वसूली करते हुए 3 हजार रुपए लिए। टीचर ने एक पान की गुमटी का भी जिक्र किया और अंदेशा जताया कि पान वाला ही दोनों सिपाहियों के लिए शिकार की तलाश करता था। तो कहीं विवेक की हत्या के पीछे भी अवैध वसूली ही तो वजह नहीं?
सना के बयानों का सच क्या है?
5:- विवेक तिवारी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि उसे गोली करीब 8-9 फीट की दूरी से मारी गई है। इसका सीधा मतलब ये है कि आरोपी सिपाही ने विंड स्क्रीन से बिल्कुल सटाकर गोली मारी, क्योंकि एसयूवी के बोनट की दूरी (4 फीट) और विंड स्क्रीन से ड्राइवर सीट की दूरी (4 फीट) करीब इतनी ही होती है।। जबकि, सना का कहना है कि प्रशांत ने गाड़ी से करीब 8-9 फीट दूर खड़े होकर चलाई। ऐसे में कुल दूरी करीब 17-18 फीट बैठती है तो आखिर सच क्या है?
6:- घटना वाली रात के बाद विवेक तिवारी की पूर्व सहकर्मी सना खान के मीडिया के सामने दिए गए बयानों और बाद में एसआईटी के सामने दिए गए बयानों में कई मौकों पर विरोधाभास देखने को मिला। ऐसा क्यों? क्या सना खान किसी दबाव या डर में है? सना के बयान भी घटना के दो दिन बाद दर्ज किए गए।
अस्पताल पहुंचाने में देरी क्यों हुई?
7:- विवेक तिवारी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक गोली लगने के बाद वो करीब 55 मिनट तक जिंदा थे। इस मामले में एकमात्र चश्मदीद सना खान ने बताया था कि विवेक तिवारी को रात के करीब 1:30 बजे गोली लगी थी। इसके बाद उनकी गाड़ी अंडरपास की दीवार से टकराई और उन्होंने मदद की गुहार लगाई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का कहना है कि विवेक को गोली लगने के करीब 35 मिनट बाद यानी 2 बजकर 05 मिनट पर अस्पताल लाया गया। इसके 20 मिनट बाद 2:25 बजे विवेक की मौत हो गई। सवाल ये है कि घटनास्थल से अस्पताल तक की दूरी तय करने में इतना लंबा वक्त क्यों लगा?
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