विशाल यादव को कोरोना होने का खतरा नहीं, HC से बोली दिल्ली पुलिस
नई दिल्ली- नीतीश कटारा हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे विशाल यादव के परोल का दिल्ली ने हाई कोर्ट में ये कहकर विरोध किया है कि उसे जेल में कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। विशाल यादव ने हाई कोर्ट में इसी आधार पर परोल की गुहार लगाई है कि उसे जेल में या तो कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है क्यों वह टीबी जैसी गंभीर बीमारी का मरीज रह चुका है। यही नहीं उसने जेल से निकलने के लिए ये भी दलील दी है कि वहां अभी जिस तरह से जरूरत से ज्यादा भीड़भाड़ है और साफ-सफाई की हालत भी बहुत खराब है, उससे उसका इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो चुका है। अदालत इस मामले में शुक्रवार को आगे सुनवाई करेगी।
जेल में विशाल यादव को कोरोना होने का खतरा नहीं- दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में जस्टिस वी कामेश्वर राव के सामने विशाल यादव को लेकर जो स्टैटस रिपोर्ट पेश की है उसके मुताबिक जेल के रिकॉर्ड से पता चलता है कि दोषी की सेहत ठीक है और उसे टीबी नहीं है। यह स्टैटस रिपोर्ट एडिशनल स्टैंडिंग काउंसल (क्रिमिनल) राजेश महाजन की ओर से दायर की गई है। इस रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि परोल की याचिका में जिस आधार पर दावा किया गया है कि टीबी के मरीज को कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा होता है, वह उनके लिए है, जो मौजूदा समय में टीबी के मरीज हैं, न कि जो पहले कबी इसके मरीज रह चुके हैं। जेल नियमों का हवाला देकर दिल्ली पुलिस ने अदालत में ये भी दलील दी है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान 8 हफ्तों का इमरजेंसी परोल देना सजा को माफ किए जाने जैसा होगा।
गवाहों की जान को खतरा- पुलिस
यहां यह बता देना जरूरी है कि 2015 के फरवरी में विशाल यादव को जेल भेजते वक्त कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इसे तबतक कोई क्षमा नहीं मिलेगी, जब तक यह 25 वर्ष की मूल सजा नहीं काट लेगा। पुलिस की ओर से भी यही रिपोर्ट दी गई है कि, 'इसी की वजह से यह इमरजेंसी परोल पाने का हकदार नहीं है, क्योंकि यह क्षमा देने जैसा होगा।' विशाल यादव की परोल की अर्जी खारिज करने के लिए एक दलील ये दी गई कि वह नियमों के मुताबिक पहले सक्षम अधिकारी के पास परोल मांगने के बजाय सीधे हाई कोर्ट में पहुंच गया है। विशाल यादव की परोल ठुकराने के लिए दिल्ली पुलिस ने अपनी स्टैटस रिपोर्ट में एक और बड़ी दलील अदालत के सामने ये रखी कि पीड़ित नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा और गवाह अजय कटारा की जान को खतरा है, इसलिए विशाल को परोल नहीं दी जानी चाहिए।
25 साल की सजा काट रहे हैं दोनों भाई
इस मामले की अगली सुनवाई अब शुक्रवार को होगी। विशाल की ओर दी गई दलील में ये कहा गया है कि लंबे समय तक टीबी से संक्रमित होने की वजह से उसका इम्यून सिस्टम बहुत ही कमजोर है और जेल में स्वच्छता की कमी के चलते उसे कोरोना वायरस का खतरा बहुत ज्यादा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर, 2016 को अपने फैसले में नीतीश कटारा अपहण और हत्या के मामले में विशाल यादव और उसके चचेरे भाई विकास यादव को बिना माफी 25 साल कैद की सजा सुनाई थी। एक और दोषी सुखदेव पहलवान को भी इसमें 20 साल जेल की सजा मिल चुकी है। बता दें कि दोनों भाइयों ने नीतीश कटारा को इसलिए मार डाला था, क्योंकि उन्हें अपनी बहन भारती यादव के साथ उसका अफेयर नामंजूर था। नीतीश कटारा की हत्या 16-17 फरवरी, 2002 की दरमियानी रात कर दी गई थी। भारती यादव और विकास यादव यूपी के एक दंबग नेता डीपी यादव की संतानें हैं, जो एक और हत्या के मामले जेल की सजा काट रहा है।
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