सीमा विवाद के बीच भारत और नेपाल ने की पहली आधिकारिक मीटिंग
नई दिल्ली। भारत और नेपाल के बीच सोमवार को एक वर्चुअल मीटिंग हुई। दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद के दौरान ही यह पहली हाई लेवल मीटिंग थी। नेपाल में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने नेपाली विदेश सचिव शंकर दास बैरागी के साथ काठमांडू में वर्चुअल मीटिंग की। जून माह में नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। इसमें उसने लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया था। दोनों देशों के बीच जारी तनाव पर यह पहली आधिकारिक मीटिंग थी।
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OSM के तहत हुई दोनों की मीटिंग
दोनों देशों के बीच वार्ता का आयोजन ओवरसाइट मैकेनिज्म (ओएसएम) के तहत हुआ था। इस सिस्टम की शुरुआत साल 2016 में हुई थी और इसका मकसद द्विपक्षीय प्रोजेक्ट्स पर नजर रखना था। नेपाल के विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गय है कि मीटिंग के दौरान भारत-नेपाल द्विपक्षीय संबंधों के अलावा क्रॉस बॉर्डर रेलवे, अरुण III हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट, पेट्रोलियम प्रोजेक्ट्स पाइपलान, पंचेश्वर प्रोजेक्ट्स, भूकंप के बाद निर्माण कार्यों पर चर्चा हुई। वहीं भारत सरकार से जुड़ सूत्रों का कहना है कि ये मीटिंग सामान्य चर्चा का ही हिस्सा थी। आठ जुलाई 2019 के बाद ओएसएम मीटिंग का आयोजन हुआ था और यह ऐसी आंठवीं मीटिंग थी।
मई माह से बढ़ा दोनों के बीच विवाद
भारत और नेपाल के बीच यूं तो सीमा विवाद पिछले वर्ष से ही जारी है लेकिन मई माह में इसमें नया मोड़ आ गया था। नवंबर 2019 में भारत ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था और इसमें कालापानी की स्थिति को लेकर नेपाल ने विरोध दर्ज कराया था। भारत और नेपाल के बीच मई माह में उस समय विवाद पैदा हो गया था जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए 78 किलोमीटर लंबे लिपुलेख पास का उद्घाटन किया था। ये रास्ता पिथौरागढ़ जिले में है और सड़क धारचूला को जोड़ती है। शनिवार को नेपाल के प्रधानमंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की थी। इस वार्ता के बाद ही दोनों देशों के बीच मीटिंग हुई है।