हादसे ही हादसे- नेहरु से लेकर नायडू के कारण
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) कहते हैं कि सन 1954 में इलाहाबाद में लगने वाले कुंभ मेले में आठ सौ तीर्थयात्रियों की जान चली गयी थी। जांच रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी थी कि ऐसे भीड़-भाड़ वाले मेलों में वीआईपी को नहीं जाना चाहिए। कहा जाता है कि मेले में आए पं नेहरू को देखने के लिए मची भगदड़ के कारण दुर्घटना हुई थी।
नायडू के कारण
अब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पहुंच गये पुष्करम मेले में सपरिवार स्नान करने। भगदड़ में कई निर्दोषों की जान चली गयी। आंध्र प्रदेश के पुष्करम मेले में मची भगदड में 29 लोगों की मौत का मामला नया मोड ले रहा है। आरोप है कि यह हादसा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को खास तवज्जो देने के कारण हुआ।
जब मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू वहां से स्नान करके निकले तो उसके कुछ ही देर बाद यह हादसा हो गया। प्रत्यदर्शियों के अनुसार, मुख्यमंत्री के आकर्षण को लेकर भी लोगों का उक्त स्थल पर जमाव हुआ। नायडू परिवार के साथ जैसे ही वहां से स्नान पूजन कर निकले गेट को खोल दिया गया और यह दिल दहलाने वाला हादसा हो गया।
जांच के बाद
क्या किसी अफवाह के कारण दुर्घटना हुई, ये तो जांच के बाद पता लगेगा, पर पुरानी घटनाओं से सीख लेने को कोई भी तैयार नहीं है। 1986 के हरिद्धार कुम्भ मेले में तबके हरियाणा के मुख्यमंत्री भजन लाल के आने से लगभग 100 (सरकारी संख्या) लोग भीड़ में भगदड़ से दब कर मर गए थे। अभी 2013 में इलाहाबाद (प्रयाग) कुम्भ में भी मौनी अमावस्या के दिन रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में भी 150 से ऊपर लोग मरे थे।
सबक लेंगे
क्या कभी हम सीखेंगे पुरानी गलतियों से। हमारे इधर हर साल होने वाल बड़े आयोजनों में हादसे होना अब सामान्य बात हो गई। इनमें हादसे ना हो तो यकीन नहीं होता। लगता है कि हमे बड़े आयोजनों की व्यवस्था करना नहीं आता।
अगर आता तो हमारे यहां पर बार-बार हादसे ना होते। वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद शुक्ल कहते हैं कि लगता है कि हमारे यहां पर किसी को बड़े आयोजन करने की तमीज नहीं है। इसलिए ही हादसे होते हैं कुंभ जैसे आयोजनों में।