RTI से खुलासा, भारतीय रेलवे से नहीं जा रहा VIP कल्चर का जिन्न
नई दिल्ली। कहने को तो देश में वीआईपी कल्चर में कमी आ रही है इसी साल खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से तमाम मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों की गाड़ी से लाल बत्ती हटाई गई। हालांकि अब भी कुछ ऐसे काम हैं जिनके जरिए लोग अपना वीआईपी कल्चर नहीं भूल पा रहे हैं।
RTI से हुआ खुलासा
खास तौर से हमारे माननीय जो हमेशा वीआईपी कल्चर की बात मंचो से हटाने की बात तो करते हैं लेकिन अपने जीवन में इसे नहीं उतार पा रहे हैं। लेकिन क्या वाकई वीआईपी कल्चर खत्म हो गया है? इसका खुलासा एक सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।
आरटीआई में पूछा गया है कि
आरटीआई में पूछा गया है कि ट्रेन में कितनी सीटों का आवंटन वीआईपी कोटे के तहत प्रतिदिन किया जाता है। इस आरटीआई में रेल मंत्रालय से 10 साल का औसत भी पूछा गया इसके साथ ही उस आदेश की कॉपी भी मांगी गई जिसके तहत रेल मंत्रालय VIP कोटा देता है। हालांकि रेल मंत्रालय ने 10 साल का आंकड़ा देना संभव नहीं है।
VIP यात्रियों के लिए 1.91 फीसदी कोटे का प्रयोग
RTI में जवाब में रेल मंत्रालय की ओर से साल 2016-17 की जानकारी दी गई है। इसमें प्रतिदिन औसत 73.014 सीट यानी कुल 5.15 फीसदी सीटें VIP कोटे के अधीन होती हैं। इसमें प्रतिदिन का औसत कोटा 27,105 यात्रियों को दिया गया है। VIP यात्रियों के लिए 1.91 फीसदी कोटे का प्रयोग किया गया है। बाकी की सीटें आम यात्रियों को दी गई है।