Lockdown में महिलाओं के खिलाफ हिंसा में हुई 50 फीसदी की बढ़ोतरी, जानें क्या-क्या आ रही शिकायतें
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के प्रकोप को बढ़ने से रोकने के लिए भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन लगाया गया था। इस लॉकडाउन के दौरान जहां कई घरों में इस दौरान परिवार के संग हंसी खुशी अधिक समय बिता रहे हैं वहीं दूसराा पहलू ये भी है कि इस दौरान घरेलू हिंसा में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। देश पर छाएं कोरोना वायरस के संक्रमण पर नियंत्रण पाने के लिए लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के खिलाफ भी हिंसा में 40 से 50 % की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
विवाहित महिलाओं की प्रताड़ना के सबसे ज्यादा केस दर्ज हुए
राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलने वाली शिकायतें इस बीच बढ़कर दोगुनी हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को राष्ट्र को संबोधन दिया। अगले दिन से लॉकडाउन हो गया। इसके बाद से फोन कॉल 50% तक बढ़ गए। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने हाल ही में कहा था कि घरेलू हिंसा काफी चिंताजनक है। 'घरेलू हिंसा से संबंधित विभिन्न प्रकार की शिकायतें मिली हैं, जिसमें पति पत्नियों को गाली दे रहे हैं और मारपीट कर रहे है। कुछ तो पत्नी को वायरस तक बुला रहे हैं। महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के विवाहित महिलाओं की प्रताड़ना के सबसे अधिक केस दर्ज हुए इनके अलावा दहेज उत्पीड़न और बलात्कार के केस दर्ज हुए हैं।
पति की प्रताडि़त महिला को लेनी पड़ी हॉस्टल की शरण
शर्मा ने बताया, '24 मार्च से 1 अप्रैल तक, NCW को 69 घरेलू हिंसा की शिकायतें मिली हैं और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। रोजाना दो से चार ईमेल मिल रहे हैं, यहां तक कि सीधे मेरी व्यक्तिगत ईमेल आईडी पर भी। मेरे स्टाफ के सदस्यों को हमारे आधिकारिक ईमेल आईडी और फोन नंबर के अलावा उनके व्यक्तिगत ईमेल और व्हाट्सएप नंबर पर भी घरेलू हिंसा की शिकायतें मिल रही हैं।'उन्होंने आगे बताया, ‘मुझे नैनीताल से एक ईमेल मिला, जहां एक महिला दिल्ली में अपने घर नहीं जा पा रही है और उसका पति उसे लगातार पीटता और प्रताड़ित करता है। उसने एक हॉस्टल में शरण ली है, जहां वह लॉकडाउन के दौरान रह रही है. वह पुलिस के पास भी नहीं जाना चाहती क्योंकि उसका कहना है कि अगर पुलिस उसके पति को पकड़ लेती है तो उसे अपने सास-ससुर के पास रहना पड़ेगा और उसकी प्रताड़ना जारी रहेगी।
लॉकडाउन के कारण मां-बाप के पास भी नहीं जा पा रही महिलाएं
बता दें कि पीड़ित विभिन्न राज्यों में आयोग के कार्यालयों में जाकर, डाक के जरिए, फोन कॉल, ऑनलाइन, ईमेल और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों के जरिए शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। लॉकडाउन के कारण विभिन्न प्रकार की शिकायतें देखने को मिल रही हैं। महिलाएं पुलिस तक नहीं पहुंच पा रही हैं और वे पुलिस में भी नहीं जाना चाहती हैं क्योंकि यदि पति थाने से वापस आता है तो दिन या दो दिन वह फिर से महिला को प्रताड़ित करेगा, यह एक अलग तरह की समस्या है। पहले महिलाएं घर छोड़ कर अपने माता-पिता के पास पहुंचती थीं लेकिन अब वह विकल्प भी बंद हो गया है।
लॉकडाउन में हिंसा बढ़ने का ये बन रहा कारण
घरेलू हिंसा के मामलों के बढ़ने का एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि पहले महिलाएं अपने माता-पिता के घर, काम की जगहों या यहां तक कि सार्वजनिक स्थानों पर भी खुली सांस ले पा रही थी, लेकिन लॉकडाउन के दौरान उन्हें अपने घर पर अपराधिक मानसिकता वाले लोगों के साथ रहना 24 घंटे रहना पड़ रहा है।
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