हरियाणा का एक ऐसा गांव जहां घर-घर में हैं ATM चोर, 10 साल पहले परिवार ने शुरू किया था गिरोह
नई दिल्ली। हरियाणा ने देश को कई आर्मी जवान और खिलाड़ी दिए हैं जिन्होंने विश्वस्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। शायद आपको यह भी पता हो कि यहां बिसाहन, बापोड़ा, गुलियाणा और तिगरा जैसे कई गांव भी हैं जहां हर घर का एक सदस्य सेना में अपनी सेवा दे रहा है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हरियाणा में एक ऐसा गांव भी है जहां घर-घर में शातिर एटीएम चोर रहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो यह गांव अब एटीएम चोरों का हब बन गया है।
हर घर में पाए जाते हैं ATM चोर
बता दें कि हरियाणा पुलिस के लिए यह खतरे की घंटी है, मेवात के होडल ब्लॉक का एक गांव अब साइबर अपराध के लिए बदनाम झारखंड का अगला जामताड़ा गांव बन गया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं पलवल के घाघोट गांव की जहां 200 से अधिक युवा पूरे क्षेत्र में एटीएम धोखाधड़ी के अपराध में शामिल हैं। आरोपी एक संगठित सिंडिकेट मॉडल को अपना कर चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं।
युवाओं को दी जाती है चोरी की कोचिंग
ATM चोरी में शामिल यह गिरोह सिर्फ हरियाणा ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों दिल्ली, राजस्थान, पंजाब में भी एक्टिव है, इन सभी राज्यों के DGP के संज्ञान में अब यह मामला लिया जा चुका है। जानकारी के मुताबिक लगभग 600 लोग, आकड़ों की माने तो गांव में प्रत्येक परिवार का कम से कम एक आदमी अवैध गतिविधि में शामिल है। यह गिरोह विभिन्न शहरों के सदस्यों को कम तकनीकी जागरूकता वाले लोगों के लिए नियुक्त करता है।
एटीएम कार्ड स्वैप कर लूटते हैं पैसे
लोगों को ठगने के लिए आरोपी एटीएम मशीन बूथ के अंदर भोले-भाले ग्राहकों की मदद करने का दिखावा करते हुए वे या तो क्लोन या एटीएम कार्ड स्वैप करते हैं। ग्राहक को कुछ दिन बाद तब पता चलत है जब उनके खाते से पैसे निकाले जाते हैं। मेवात में करीब 10 साल पहले दो-तीन परिवारों द्वारा शुरू किए गए इस गिरोह में आज पूरे गांव के युवा शामिल हैं। अब यह सामूहिक आजीविका का साधन बन गया है।
आसानी से मिल जाती है जमानत
धोखाधड़ी करने वालों पर एफआईआर न दर्ज करने या आईपीसी की धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया जाता है जिससे यह आसानी से जमानत पर बाहर आ जाते हैं। होडल में ही कई मामले हैं जहां शिकायत दर्ज करने में कई साल लग जाते हैं। ऐसे दो शिकायतकर्ताओं ने डीजीपी को खत लिखकर कहा है कि उनकी एफआईआर लगभग एक महीने बाद भी दर्ज नहीं की गई है। जालसाजों को कंप्यूटर के जानकार और एटीएम की कार्यप्रणाली की बकायदा ट्रेनिंग दी जाती है।
10 साल पहले ऐसे शुरू हुआ गिरोह
कुछ ग्रामीणों ने लगभग 10 साल पहले यह गतिविधि शुरू की थी जब मेवात के अधिकांश लोगों को एटीएम कार्ड संचालित करने में समस्या आती थी। वे लोगों को पैसे निकालने और कार्ड स्वैप करने में मदद करने का दिखावा करेंगे और बाद में उनके खाते से पैसे निकाल लेंगे। इस गिरोह के सरदार युवाओं को कार्ड क्लोन करने और मशीनों का उल्लंघन करने के लिए कोचिंग देते हैं।
गांव वाले करते हैं अपराधियों का बचाव
पलवल के एसपी दीपक अहलावत के फोन कॉल न उठाने पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इस गांव की समस्या मेवात में कई अन्य लोगों के समान है, यहां कि निवासी अपराधियों का समर्थन करते हैं। गांव के लोग छापेमारी में बाधा डालते हैं, उन्हें छिपाते हैं और यहां तक कि आरोपियों के अदालत में पहुंचने से पहले शिकायतकर्ताओं से बातचीत भी करते हैं। आधिकारी ने बताया कि आरोपी फोन का उपयोग नहीं करते जिससे उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। अधिकांश जालसाज जिले और राज्य के बाहर भी काम करते हैं।
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