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Vikas Dubey encounter: यूपी का वह गैंगस्‍टर जिसे मारने के लिए पहली बार इस्‍तेमाल की गई AK47

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कानपुर। गैंगस्‍टर विकास दुबे को उत्‍तर प्रदेश की स्‍पेशल टास्‍क फोर्स (एसटीएफ) ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया। विकास को उस समय ढेर किया गया जब वह भागने की कोशिश कर रहा था। विकास दुबे के साथ ही यूपी में उस एक गैंगस्‍टर की बातें भी होने लगी हैं जिसने राज्‍य में अपराध को जमकर बढ़ावा दिया। श्रीप्रकाश शुक्‍ला, यह वह नाम था जो 90 के दशक में यूपी पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया था। श्रीप्रकाश शुक्‍ला की उम्र बस 25 साल थी तब उसने यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्‍याण सिंह की सुपारी तक ले डाली थी। उस गैंगस्‍टर के एनकाउंटर ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं। विकास दुबे के साथ ही अब एक बार फिर से शुक्‍ला का जिक्र यूपी के लोग कर रहे हैं।

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20 साल की उम्र में क्राइम वर्ल्‍ड में एंट्री

20 साल की उम्र में क्राइम वर्ल्‍ड में एंट्री

गोरखपुर के मामखोर गांव में एक टीचर के घर श्रीप्रकाश शुक्‍ला का जन्‍म हुआ। उसकी उम्र बस 20 साल थी जब वह अपराध की दुनिया में आ गया। सन् 1993 में उसकी बहन को राकेश तिवारी नाम के एक शख्‍स ने छेड़ दिया और उसने हत्‍या करके अपनी बहन के साथ छेड़खानी का बदला लिया। यहीं से उसके अपराधों का सिलसिला शुरू हो गया। यह गैंगस्‍टर शुक्‍ला की जिंदगी का पहला क्राइम था और इसके साथ ही वह पहलवानी से क्राइम की दुनिया में एंट्री कर चुका था। बहन के साथ छेड़खानी करने वाले शख्‍स की हत्‍या करने वाला शुक्‍ला थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक भाग गया था। लेकिन वह भारत लौटा और फिर बिहार पहुंच गया।

CM को मारने के लिए 5 करोड़ की सुपारी

CM को मारने के लिए 5 करोड़ की सुपारी

श्रीप्रकाश शुक्‍ला ने बिहार में सूरजभान गैंग के साथ हाथ मिलाया और फिर और मजबूत होता गया। सन् 1997 में शुक्‍ला ने राजनेता वीरेंद्र साही की हत्‍या की। शुक्‍ला ने इस हत्‍या में एके-47 का प्रयोग किया था। इसके बाद उसकी हिम्‍मत और बढ़ गई। सन् 1998 में उसने बिहार सरकार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को उनके ही सिक्‍योरिटी गार्ड्स के सामने ढेर कर दिया था। इसके बाद शुक्‍ला ने तत्‍तकालीन यूपी सीएम कल्‍याण सिंह की हत्‍या की सुपारी ली। यह सुपारी पांच करोड़ की थी और यही उसकी अंतिम सुपारी बन गई। इस साजिश को फेल करने के लिए ही उसका एनकाउंटर किया गया और पुलिस को सफलता हासिल हुई।

पहली बार मोबाइल सर्विलांस का प्रयोग

पहली बार मोबाइल सर्विलांस का प्रयोग

सन् 1998 में यूपी पुलिस के एडीजी अजयराज शर्मा ने गैंगस्‍टर श्रीप्रकाश शुक्‍ला को पकड़ने के लिए 50 जवानों वाली स्‍पेशल टास्‍क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया। कहते हैं कि यह पहला ऐसा एनकाउंटर था जिसमें पुलिस ने मोबाइल सर्विलांस और एके-47 का प्रयोग किया था। एसटीएफ ने शुक्‍ला के फोन को सर्विलांस पर रखा मगर किसी तरह से उस तक यह बात पहुंच गई। इसके बाद शुक्‍ला अपने फोन की जगह पीसीओ का प्रयोग करने लगा। शुक्‍ला की गर्लफ्रेंड के फोन को भी पुलिस ने सर्विलांस पर रखवाया। पुलिस को तब जाकर पता लगा कि शुक्‍ला गाजियाबाद के किसी पीसीओ का प्रयोग कर रहा है।

25 साल का शुक्‍ला गाजियाबाद में ढेर

25 साल का शुक्‍ला गाजियाबाद में ढेर

पुलिस को जानकारी मिली कि शुक्‍ला गाजियाबाद के इंदिरापुरम के किसी पीसीओ का प्रयोग कर रहा है। 4 मई 1998 को पुलिस शुक्‍ला को दबोचने के लिए वहां पहुंची लेकिन वह पहले ही भाग निकला। एसटीएफ ने वसुंधरा एनक्‍लेव के थोड़ा आगे ही उसे घेर लिया। शुक्‍ला को सरेंडर करने के लिए कहा गया था। उसने इसकी जगह पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी और जवाबी फायरिंग में शुक्‍ला को पुलिस ने ढेर किया। शुक्‍ला की उम्र 25 साल थी जब उसे एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया था। शुक्‍ला के जीवन पर साल 2005 में फिल्‍म 'सहर' रिलीज हुई। इसके अलावा ओटीटी प्‍लेटफॉर्म पर एक सीरीज 'रंगबाज' भी रिलीज हो चुकी है।

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English summary
Vikas Dubey encounter: story of Shri Prakash Shukla encounter when UP police used AK47 for first time.
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