जानिए विकास दुबे को ढेर करने वाली UP STF के बारे में ये खास बातें
लखनऊ। 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे आज सुबह एनकाउंटर में मारा गया,जिसके बारे में बात करते हुए कानपुर पश्चिम के एसपी ने बताया कि विकास दुबे को जब UP STF कानपुर लेकर आ रही थी तब अचानक ही वो गाड़ी पलट गई, जिसमें विकास दुबे था, मौके का फायदा उठाकर विकास ने पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनने की कोशिश की, तब पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर कर आत्मसमर्पण कराने की कोशिश की जिसमें उसने जवाबी फायरिंग की, आत्मरक्षा में पुलिस ने भी फायरिंग की। जिसके बाद उसे कानपुर के अस्पताल लाया गया और चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
विकास दुबे को ढेर करने वाली UP STF
इस घटना के बाद जहां विपक्ष, योगी सरकार और यूपी पुलिस के पर सवाल खड़े कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर यूपी STF की काफी चर्चा हो रही है, सोशल मीडिया पर काफी लोगों ने यूपी STF की तारीफ की है।
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तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि यूपी STF के बारे में...
एसटीएफ का मतलब होता है स्पेशल टास्क फोर्स
दरअसल एसटीएफ का मतलब होता है स्पेशल टास्क फोर्स , जिसका गठन साल 1998 में किया गया था, जिसका नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक रैंक (ADG) का अधिकारी करता है।
इस फोर्स के गठन के पीछे 5 प्रमुख कारण थे, जो कि निम्निलखित हैं..
माफियाओं के खात्मे के लिए STF का गठन हुआ था
- गुंडों, गैंगस्टर और माफिया गैंग्स के बारे में सारी जानकारी हासिल करना और अपने हिसाब से उस पर एक्शन लेना, इनके पास अपने ऑप्रेशन को गुप्त रखने की आजादी भी होती है।
- STF अपने हिसाब से प्लान बनाकर ऑप्रेशन को अंजाम देने काम काम तय करती है।
- सूचीबद्ध गैंग के खात्मे के लिए STF का गठन हुआ था, STF अपने काम में जिला पुलिस की मदद ले सकती है।
- डिस्ट्रिक्ट बदमाशों के गिरोहों और डाकूओं के अंत के लिए STF गठित हुई थी।
- जिलों के माफियाओं के खात्मे के लिए STF बनाई गई थी।
क्यों हुआ था गठन
STF के गठन के पीछे भी एक कहानी है, यूपी में साल 1998 में माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला का आतंक था, जो सबूतों के अभाव में पुलिस की गिरफ्त से दूर था, उसी के खात्मे के लिए 4 मई 1998 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी की मीटिंग के बाद STF के गठन का ऐलान हुआ था, इस फोर्स के लिए तत्कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने प्रांत के 50 एकदम फिट पुलिसकर्मियों को शामिल किया था।
कुछ खास बातें
बता दें कि STF सभी अभियानों के प्रभारी एसएसपी होते हैं, मात्र 15 साल के अंदर भारत के राष्ट्रपति से 81 एसटीएफ के जवानों ने वीरता पदक मिल चुका है और 60 पुलिसकर्मी को प्रमोशन भी मिल चुका है, ये टीम राज्य के अंदर और राज्य के बाहर दोनों जगह काम कर सकती है।
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