विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत लाना है मुश्किल, फंसे हुए हैं कई पेंच
भारत ने युनाइटेड स्पिरिट्स के पूर्व चेयरमैन और किंगफिशर कंपनी के मालिक विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत लाने की कोशिश शुरू की थी।
नई दिल्ली। भारत ने युनाइटेड स्पिरिट्स के पूर्व चेयरमैन और किंगफिशर कंपनी के मालिक विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत लाने की कोशिश शुरू की थी। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक स्कॉटलैंड यार्ड ने माल्या को लंदन में गिरफ्तार करने के बाद जमानत भी मिल गई है।
भारत-ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि की जटिल प्रक्रिया
इस मामले में विदेश मंत्रालय के जरिए भारत ने दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायुक्त को एक आग्रह सौंपा था। माल्या बीते साल मार्च में देश छोड़कर ब्रिटेन चले गए थे। क्योंकि विजय माल्या को भारत लाना इतना आसान नहीं है। और इसकी वजह है भारत-ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि की जटिल प्रक्रिया है। ब्रिटिश सरकार के मुताबिक बहुराष्ट्रीय कनवेंशन और द्विपक्षीय संधियों के तहत ब्रिटेन दुनिया के करीब 100 मुल्कों के साथ प्रत्यर्पण संधि रखता है। इनमें भारत कैटेगरी 2 के टाइप बी वाले मुल्कों में शामिल है। ब्रिटिश सरकार की वेबसाइट में प्रत्यर्पण की प्रक्रिया से जुड़ा पूरा ब्योरा है। इसके मुताबिक भारत जिस श्रेणी में है, उसमें शुमार देशों से आने वाले आग्रह पर फैसला ब्रिटेन का विदेश मंत्रालय और अदालतें, दोनों करते हैं।
फिर बारी आएगी प्रत्यर्पण सुनवाई की
इसकी प्रक्रिया काफी लंबी है। विदेश मंत्री से आग्रह किया जाएगा, जो इस बात का फैसला करता है कि इसे सर्टिफाई किया जाए या नहीं। जज निर्णय करता है कि गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया जाए या नहीं। इसके बाद शुरुआती सुनवाई होगी। विदेश मंत्री फैसला करता है कि प्रत्यर्पण का आदेश दिया जाए या नहीं। आग्रह करने वाले देश को क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) को आग्रह का शुरुआती मसौदा सौंपने के लिए कहा जाता है, ताकि बाद में कोई दिक्कत पेश ना आए। पहले ब्रिटिश गृह मंत्रालय की इंटरनेशनल क्रिमिनलिटी यूनिट इस आग्रह पर विचार करती है। अगर दुरुस्त पाया जाता है, तो इसे आग्रह अदालत को बढ़ा दिया जाता है।
विदेश मंत्रालय को बढ़ा दिया जाता
अगर अदालत सहमत होती है कि पर्याप्त जानकारी उपलब्ध कराई गई है, तो गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा। इसमें व्यक्ति विशेष से जुड़ी सारी जानकारी होती है। गिरफ्तारी के बाद शुरुआती सुनवाई और प्रत्यर्पण सुनवाई होती है। सुनवाई पूरी होने के बाद जज संतुष्ट होता है तो मामले को विदेश मंत्रालय को बढ़ा दिया जाता है। इसके बावजूद जिसके प्रत्यर्पण पर बातचीत हो रही है, वो शख्स मामला विदेश मंत्रालय को भेजने के जज के फैसले पर अपील कर सकता है। मामले पर विचार के बाद विदेश मंत्रालय फैसला लेता है।
तीन सूरतों में प्रत्यर्पण नहीं हो पाएगा
तीन सूरत ऐसी है, जिनके होने पर प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकेगा। अगर प्रत्यर्पण के बाद व्यक्ति के खिलाफ सजा-ए-मौत का फैसला आने का डर हो तो। अगर आग्रह करने वाले देश के साथ कोई विशेष इंतजाम हो तो। अगर व्यक्ति को किसी तीसरे मुल्क से ब्रिटेन में प्रत्यर्पित किया गया हो तो ।
खास बात ये है कि विदेश मंत्रालय को मामला भेजने के दो महीने के भीतर फैसला करना होता है। ऐसा ना होने पर व्यक्ति रिहा करने के लिए आवेदन कर सकता है। हालांकि विदेश मंत्री अदालत से फैसला देने की तारीख आगे बढ़वा सकता है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद भी व्यक्ति के पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार रहता है। कुल मिलाकर माल्या के भारत लौटने का रास्ता काफी जटिल और लंबा है। पिछले साल मई में भारत सरकार ने ब्रिटेन से कहा था कि माल्या को लौटा दिया जाए क्योंकि उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है। ब्रिटिश सरकार का कहना था कि उनके यहां रहने के लिए किसी के पास वैध पासपोर्ट होना जरूरी नहीं, पर क्योंकि माल्या के खिलाफ गंभीर आरोप है, इसलिए उनके प्रत्यर्पण पर विचार किया जाएगा।