#VijayKeshavGokhale: नए विदेश सचिव के सलेक्शन में चीन रहा सबसे बड़ा फोकस, 10 Points
नई दिल्ली। चीन के साथ डोकलाम को लेकर हुए टकराव के बीच बेहद अहम भूमिका अदा करने वाले विजय केशव गोखले को विदेश सचिव बनाया गया है। उन्होंने एस जयशंकर की जगह पदभार संभाला है। डोकलाम पर टकराव के दौरान गोखले ने बड़ी सावधानी से पूरे मामले को हल कराने में मदद की थी। गोखले 20 जनवरी 2016 से 21 अक्तूबर 2017 तक चीन में भारत के राजदूत भी रह चुके हैं। इसके बाद वे नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के मुख्यालय आ गए। चीन से जुड़े मामलों पर उनकी बेहद मजबूत पकड़ है। विजय गोखले की विदेश सचिव पद पर नियुक्ति यह संकेत करती है कि इस समय मोदी सरकार की विदेश नीति के केंद्र में कौन है। निश्चित तौर पर पाकिस्तान भी इस समय भारत के लिए बड़ा खतरा है, लेकिन खतरा सबसे ज्यादा चीन है। गोखले का चयन बताता है कि मोदी सरकार के लिए चीन ही सबसे बड़ी चुनौती है।
दो वर्ष का होगा गोखले का कार्यकाल
एस जयशंकर की जगह पर नियुक्त किए गए विजय गोखले का विदेश सचिव के तौर पर दो साल का कार्यकाल होगा। वह भारतीय विदेश सेवा के 1981 बैच के अधिकारी हैं। विजय गोखले न केवल चीन में भारत के राजदूत रहे हैं बल्कि 2013 से 2016 तक वह जर्मनी में भी भारत के शीर्ष राजनयिक के तौर पर सेवा दे चुके हैं।
जर्मनी में शानदार काम करने के बाद मिली थी चीन में अहम जिम्मेदारी
विजय गोखले ने जर्मनी में बेहद शानदार काम किया था। इसी के इनाम के तौर पर ही उन्हें चीन में राजदूत का बेहद महत्वपूर्ण पद सौंपा गया था। विजय गोखले विदेश मंत्रालय में चीन और पूर्वी एशिया के डायरेक्टर भी रहे और इसके बाद वह पूर्वी एशिया के ज्वॉइंट सेक्रेटरी भी बने।
पीएम मोदी ने ऐसे किया विजय गोखले का चुनाव
विजय केशव गोखले का चुनाव करने के लिए इस महीने की शुरुआत में एक बैठक हुई थी। कैबिनेट कमेटी की इस बैठक की अध्यक्षता पीएम मोदी ने की थी। गोखले से पहले एस जयशंकर को इसी कमेटी ने 2015 में नियुक्त किया था। एस जयशंकर ने सुजाता सिंह का स्थान लिया था। वैसे तो एस जयशंकर का कार्यकाल दो वर्ष का था, लेकिन उनके अच्छे कार्य को देखते हुए उन्हें एक वर्ष का सेवाविस्तार दिया गया था।
एस जयशंकर हुए रिटायर
विदेश सचिव के रूप में करीब तीन साल के कार्यकाल के बाद एस जयशंकर रविवार को रिटायर हो गए। केवल सिंह (1976 में सेवानिवृत्त) के बाद वह सबसे लंबे समय तक विदेश सचिव रहे। मोदी सरकार की विदेश नीति का खाका तैयार करने में एस जयशंकर की बेहद अहम भूमिका रही है।