क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

नज़रिया: क्या पाकिस्तान के मुद्दे पर टूटेगा बीजेपी-पीडीपी गठजोड़?

जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात क्या बीजेपी-पीडीपी गठबंधन पर भी असर डालेंगे.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
जम्मू और कश्मीर
TAUSEEF MUSTAFA/AFP/GETTY IMAGES
जम्मू और कश्मीर

जम्मू और कश्मीर की बीजेपी-पीडीपी सरकार के तीन साल बाद भी दोनों पार्टियों के बीच वैचारिक मतभेद कम नहीं हुए हैं.

दोनों पार्टियों के बीच ये वैचारिक खाई एक बार फिर सामने आ गई जब सीएम महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीर में जारी खून-खराबे का दौर ख़त्म होने के लिए पाकिस्तान से बातचीत शुरू होने की वकालत की.

लेकिन इसी दिन भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर में चरमपंथ को भड़काने की कोशिश करने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है.

महबूबा और निर्मला सीतारमण की ओर से आए ये दो विरोधाभासी बयान बीती 10 फ़रवरी को जम्मू में सेना के एक कैंप पर फिदाइन हमले के बाद आए हैं.

BBC SPECIAL: गुस्से में हैं चरमपंथी हमले में मारे गए कश्मीरी सैनिकों के घरवाले

रोहिंग्या की वजह से जम्मू आर्मी कैंप पर हमले: विधानसभा स्पीकर

जम्मू और कश्मीर
SAJJAD HUSSAIN/AFP/GETTY IMAGES
जम्मू और कश्मीर

कश्मीर नीति

इस हमले में सेना के छह जवानों समेत 10 लोगों की मौत हुई थी.

सेना और पुलिस के मुताबिक़, इस हमले को मसूद अज़हर के नेतृत्व में चल रहे चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था.

इसमें दो राय नहीं है कि बीजेपी की ओर से ये बयान इन हमलों के बाद पैदा हो रहे गुस्से की प्रतिक्रिया के रूप में आया है.

केंद्र सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कश्मीर नीति से घाटी की स्थिति में अंतर आया है.

साल 2016 के सितंबर में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से बीजेपी सरकार पाकिस्तान को सबक सिखाने का दावा किया करती थी.

जम्मू में आर्मी कैंप पर चरमपंथी हमले में कम से कम दो जवानों की मौत

जम्मू-कश्मीर में सेना-पुलिस आमने-सामने?

जम्मू और कश्मीर
TAUSEEF MUSTAFA/AFP/GETTY IMAGES
जम्मू और कश्मीर

गठबंधन की बुनियाद

लेकिन बीते दिनों हुए इन हमलों के बाद ये दावे खोखले साबित होते जा रहे हैं.

इसी समय महबूबा मुफ़्ती की पार्टी जो जम्मू-कश्मीर में 'सॉफ़्ट सेपरेटिज़्म' की बात कर रही है, बीजेपी के कड़े रुख़ड को लेकर अकेली पड़ गई है.

जम्मू हमले पर दोनों नेताओं की प्रतिक्रिया बेशक पार्टी लाइन के मुताबिक़ ही थी, लेकिन लोगों का ध्यान एक बार फिर से गठबंधन के नाजुक समीकरणों पर चला गया है.

राजनीति और विचारधारा के लिहाज से दोनों ही पार्टियां नदी के दो किनारों की तरह हैं.

खुद, पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मार्च, 2015 में गठबंधन की बुनियाद रखते समय ये कहा था कि ये उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के एक साथ आने जैसा है.

'मेरी दाढ़ी और टोपी देखकर हमला किया गया'

'भाजपा सत्ता चलाने के खेल को समझ गई है'

जम्मू और कश्मीर
TAUSEEF MUSTAFA/AFP/GETTY IMAGES
जम्मू और कश्मीर

स्पेशल स्टेटस की गारंटी

यहां तक कि सरकार के कामकाज से जुड़े कई संवेदनशील मसलों पर दोनों पार्टियों के बीच गहरे मतभेद हैं.

इनमें संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A को खत्म करने का मसला भी शामिल है.

भारत के संविधान में जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति की गारंटी इन्हीं दोनों प्रावधानों से सुनिश्चित होती है.

इतना ही नहीं बल्कि कुछ प्रशासनिक मसलों पर मतभेदों की वजह से कानून बनाए जाने का काम रुका हुआ है.

लेकिन दोनों ही प्रतिक्रियाओं में पाकिस्तान को लेकर एक तरह की स्पष्टता थी.

चरमपंथी हमले में मारे गए पुलिसकर्मी बाबर के घर का हाल

मोदी सरकार के रहते हल हो पाएगी कश्मीर समस्या?

जम्मू और कश्मीर
TAUSEEF MUSTAFA/AFP/GETTY IMAGES
जम्मू और कश्मीर

जम्मू और कश्मीर विधानसभा

एक तरफ़ जहां रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पाकिस्तान को लेकर सख्त लहजे में बात रखी कि अब बहुत हुआ.

12 फ़रवरी को सुंजवान आर्मी कैंप के दौरे के बाद उन्होंने जम्मू में संवाददाताओं से कहा, "पाकिस्तान को सबूत देते रहना एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है. ये बार-बार साबित किया जाता रहा है कि वे़ ज़िम्मेदार हैं. पाकिस्तान को अपनी कारगुजारियों की कीमत चुकानी होगी."

उसी दिन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू और कश्मीर की विधानसभा में कहा कि पाकिस्तान से बातचीत करने का कोई विकल्प नहीं है.

उन्होंने कहा, "हमें इस ख़ूनख़राबे को रोकने के लिए पाकिस्तान से बात करनी ही होगी. मैं हर दिन अपने लोगों को यूं ही मरते हुए नहीं देख सकती."

महबूबा की बात सीतारमण ने जो कहा, उसके ठीक उलट थी. दोनों की अपनी राजनीतिक और वैचारिक प्रतिबद्धताएं हैं, और दोनों ही उस पर अडिग हैं.

सुंजवान कैंप पर हमले में 5 सैनिकों समेत छह की मौत

अफ़ज़ल गुरू की बरसी पर भाजपा की साझीदार पीडीपी का अफ़सोस

https://twitter.com/BJP4JnK/status/963386518176845824

बीजेपी का स्टैंड

हर गुजरते दिन के साथ राज्य की गठबंधन सरकार को लेकर बीजेपी का स्टैंड अनिश्चित होता जा रहा है.

सालों तक पाकिस्तान विरोधी शोरशराबे की बुनियाद पर बीजेपी ने जो वोट बैंक तैयार किया है, मुमकिन है कि पार्टी को उससे बावस्ता होना पड़ रहा है.

लेकिन सच तो ये भी है कि मार्च, 2015 में जब बीजेपी, पीडीपी के साथ गठबंधन में दाखिल हुई थी तो उसने जम्मू और कश्मीर में साथ सरकार चलाने के लिए कई मुद्दों पर रज़ामंदी दी थी.

गठबंधन के एजेंडे में दोनों ही पार्टियां पाकिस्तान और हुर्रियत से बातचीत से लेकर राज्य के स्पेशल स्टेटस बनाए रखने के सवाल पर सहमत हुई थीं.

पीडीपी-बीजेपी के गठबंधन के एजेंडा में कहा गया है, "केंद्र सरकार ने हाल ही में पाकिस्तान के संबंध सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं.

सरहद पर इतना आक्रामक क्यों हुआ भारत?

भारत-पाकिस्तान: एक दूसरे के सैनिक मारने का दावा

जम्मू और कश्मीर
TAUSEEF MUSTAFA/AFP/GETTY IMAGES
जम्मू और कश्मीर

भारत-पाकिस्तान

गठबंधन सरकार केंद्र की तरफ़ से उठाए गए कदमों का समर्थन करेगी और उसे मजबूत करने की दिशा में काम करेगी.

इसके लिए भारत-पाकिस्तान के दरमियां भरोसे की बहाली के लिए कदम उठाए जाएंगे जिनमें सीमा पार से आम लोगों का एक दूसरे से संपर्क, सिविल सोसायटी का सहयोग, यात्रा, वाणिज्य और व्यापार को बढ़ावा दिया जाना शामिल है."

लेकिन पिछले तीन साल से बीजेपी हर वो काम कर रही है जो इस एजेंडा में शामिल नहीं है.

इससे राज्य में, ख़ासकर कश्मीर में पीडीपी की राजनीतिक साख पर धब्बा लगा है.

चूंकि पीडीपी की घोषित नीति पाकिस्तान और अलगाववादियों के प्रति नरम रुख रखने की रही है.

दूसरा पाकिस्तान मांगने वाले कश्मीर के डिप्टी ग्रैंड मुफ़्ती

'अल्पसंख्यकों पर हमला रोकने में नाकाम रही है मोदी सरकार'

जम्मू और कश्मीर
TAUSEEF MUSTAFA/AFP/GETTY IMAGES
जम्मू और कश्मीर

महबूबा की छवि

लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि पीडीपी अपने राजनीतिक स्टैंड पर कमजोर पड़ती दिख रही है.

राज्य में गठबंधन सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से ही बीजेपी ने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के लिए अदालतों में याचिकाएं डालनी शुरू कर दी.

संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A के विरुद्ध या तो बीजेपी ने सीधे याचिकाएं डालीं या फिर उसकी जैसी ही सोच रखने वाले संगठनों की तरफ़ से दायक कराई गईं.

ये सबकुछ गठबंधन के एजेंडे के सीधे तौर पर ख़िलाफ़ था और महबूबा की छवि इससे कमज़ोर हुई.

बीजेपी की इन कोशिशों को रोकने के लिए पीडीपी ज़्यादा कुछ कर भी नहीं सकी.

बीजेपी ने जम्मू और कश्मीर की सत्ता में आने के लिए गठबंधन के एजेंडे का इस्तेमाल किया, लेकिन खुद अपने किए ही वादों को भुला दिया.

एलओसी पर तनाव के बीच कैसे हैं पाकिस्तान में हालात?

'26 जनवरी के कार्यक्रम में गई तो गोली मार देंगे'

जम्मू और कश्मीर
ROUF BHAT/AFP/GETTY IMAGES
जम्मू और कश्मीर

पाकिस्तान से वार्ता

किसी मुस्लिम बहुल राज्य में पहली बार सत्ता में आने वाली पार्टी स्पष्ट तौर पर विजेता की तरह दिख रही है.

उधर, महबूबा मुफ्ती भी दुविधा में दिख रही हैं. ये उनके बयान से भी झलकता है.

पाकिस्तान से वार्ता का बार-बार जिक्र करके महबूबा अपने समर्थकों से मुखातिब होने की कोशिश कर रही हैं.

पूरे भारत में जिस तरह का माहौल बना हुआ है, महबूबा एक तरह से धारा के विपरीत तैरती हुई दिख रही हैं.

ये भी ध्यान देने वाली बात है कि महबूबा को यहां तक कहना पड़ा कि अगर उन्हें राष्ट्र विरोधी भी कहा जाए तो वो इसकी परवाह नहीं करेंगी.

चाहे जो भी हो, राज्य की गठबंधन सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और राज्य की सुरक्षा स्थिति ऐसी ही रही तो गठबंधन के नाज़ुक समीकरण कभी भी बदल सकते हैं.

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Viewpoint: Will the BJP PDP alliance break the issue
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X