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IAF: दक्षिण भारत में फाइटर जेट SU-30MKI को मिला पहला बेस, तंजावुर से चीन पर रखी जाएगी नजर!

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तंजावुर। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के खतरनाक फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई को आज दक्षिण भारत के तंजावुर में पहला बेस मिल गया है। तमिलनाडु के तंजावुर में सुखोई की पहली स्‍क्‍वाड्रन जिसे 222 टाइगर शार्क्‍स कहा जाएगा, आधिकारिक तौर पर वायुसेना का हिस्‍सा बन जाएगी। दक्षिण भारत में आईएएफ के फ्रंटलाइन फाइटर जेट्स की यह दूसरी स्‍क्‍वाड्रन है। कोयंबटूर में आईएएफ की एक फाइटर स्‍क्‍वाड्रन पहले से ही है। मगर सुखाई का यह पहला दस्‍ता है जो अब दक्षिण भारत से संचालित होगा।

खतरनाक हथियारों से लैस SU-30MKI

सोमवार को तंजावुर एयरबेस पर सुखोई को वॉटर कैनन सैल्‍यूट दिया गया। मगर सुखोई की यह स्‍क्‍वाड्रन सदर्न एयर कमांड के तहत आएगी। इस मौके रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया भी तंजावुर में मौजूद हैं। आईएएफ चीफ ने मीडिया को इस स्‍क्‍वाड्रन के बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने बताया, 'तंजावुर में सुखोई को तैनात करने का फैसला इसकी रणनीतिक लोकेशन की वजह से लिया गया है।' उन्‍होंने बताया है कि जो सुखोई तंजावुर में तैनात हो रहे हैं वह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जैसे खतरनाक और स्‍पेशल हथियार से लैस हैं।

हिंद महासागर पर रखेगा नजर

हिंद महासागर पर रखेगा नजर

27 मई 2013 को तंजावुर एयरफोर्स स्‍टेशन को आईएएफ में शामिल किया गया था। इस एयरफोर्स स्‍टेशन का हेडक्‍वार्टर तिरुवंतपुरम में है। तंजावुर एयरफोर्स स्‍टेशन के जरिए दक्षिण भारत में आईएएफ की क्षमताओं को मजबूत करना था। हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के आर्थिक हितों और संपत्तियों को बचाना इस एयरफोर्स स्‍टेशन का प्राथमिक उद्देश्‍य है। माना जा रहा है कि भारत, चीन को इस एयरक्राफ्ट की तैनाती के साथ बड़ा संदेश देने की तैयारी में है जिसकी नौसेना अक्‍सर हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में घुसपैठ करती रहती है। तंजावुर और कोयंबटूर में दो एयरबेस की मौजूदगी के बाद आईएएफ की क्षमताओं में इस क्षेत्र में पहले से कहीं ज्‍यादा इजाफा हो सकेगा।

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अस्‍त्र मिसाइल भी दाग सकता है सुखोई

अस्‍त्र मिसाइल भी दाग सकता है सुखोई

हाल ही में आईएएफ ने बियॉन्‍ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर (बीवीआरआरएम) अस्‍त्र मिसाइल के पांच फ्लाइट टेस्‍ट सुखोई की मदद से सफलतापूर्वक अंजाम दिए हैं। इस परीक्षण को ओडिशा से पूरा किया था। आईएएफ ने हर प्रकार के खतरे को भांपते हुए अस्‍त्र का टेस्‍ट किया था। इससे अलग दिसंबर में ब्रह्मोस एयर-लॉन्‍चड क्रूज मिसाइल (एएलसीएम) को सुखोई से दागा गया था। आईएएफ चीफ की मानें तो ब्रह्मोस मिसाइल का एएलसीएम वर्जन ब्रह्मोस एरोस्‍पेस, एचएएल और आईएएफ की तरफ से देश में विकसित किया गया है।

क्या होता है वॉटर कैनन सैल्‍यूट

क्या होता है वॉटर कैनन सैल्‍यूट

किसी भी मिलिट्री एयरक्राफ्ट और एयरलाइन सर्विस को एयरपोर्ट पर लैंड करने पर सम्‍मान स्‍वरूप वॉटर कैनन सैल्‍यूट दिया जाता है। इस सैल्‍यूट में आमतौर पर आग बुझाने वाली दो गाड़‍ियां एयरक्राफ्ट पर पानी की बौछार करते हैं। किसी भी नए एयरक्राफ्ट की लैंडिंग और इसके टेकऑफ के समय वॉटर कैनन सैल्‍यूट दिया जाता है। इस परंपरा का मकसद एयरक्राफ्ट का आभार जताना भी है।

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English summary
Video: Water salute being given to the SU-30MKI fighter aircraft at the induction of the 222 ‘Tigersharks' fighter squadron at the Thanjavur air base.
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