वीडियो-US-Taliban समझौते पर बोले जयशंकर-17 साल से बस ट्रेलर देख रहे थे, अब जाकर रिलीज हुई फिल्म 'पाकीजा'
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले दिनों अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते पर अपनी राय व्यक्त की है। जयशंकर ने इस शांति समझौते की तुलना क्लासिक बॉलीवुड फिल्म 'पाकीजा' से कर डाली है। विदेश मंत्री सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की तरफ से आयोजित 'डायलॉग 2020' में थे और यहीं पर उन्होंने यह बात कही है। आपको बता दें कि कतर के दोहा में शनिवार 29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ है। इस समझौते के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं के जाने का रास्ता खुल सका है।
यह
भी
पढ़ें-राष्ट्रवाद
पर
बोले
विदेश
मंत्री
एस
जयशंकर,
कहा-इस
पर
रक्षात्मक
होने
की
जरूरत
नहीं
बहुत सालों से था इस 'फिल्म' का इंतजार
जयशंकर ने कहा दोहा में हुए इस समझौते का इंतजार बिल्कुल उस फिल्म की तरह था जिसका इंतजार दर्शकों को बहुत साल से है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत, करीब से पूरी स्थिति पर नजर रखेगा ताकि दो दशकों में जो फायदा हुआ है, वह खोने न पाए। विदेश मंत्री के शब्दों में, 'इस समझौते का इंतजार पिछले कई वर्षों से था। यह बिल्कुल उसी तरह से है जैसे बहुत सारे ट्रेलर्स के बाद आपको अंतत: 'पाकीजा' फिल्म देखने का मौका मिला है।' आपको बता दें कि सन् 1972 में रिलीज हुई फिल्म 'पाकिजा' को पूरा होकर रिलीज होने में 15 साल का समय लग गया था। इस फिल्म को कमाल अमरोही ने निर्देशित किया था और राजकुमार, मीना कुमारी लीड रोल में थे।
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अफगानिस्तान से जा सकेंगी अमेरिकी सेनाएं
साल 2001 में जब अफगानिस्तान में तालिबान के शासन का अंत हुआ तो भारत की तरफ से अफगानिस्तान में लोकतंत्र, मानवाधिकार, महिला अधिकारों और दूसरी उपलब्धियों के भविष्स के बारे में बात की गई। ये ऐसे मुद्दे हैं जिस पर अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते में कोई जिक्र नहीं हुआ है। 29 फरवरी को इस समझौते पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपेयो ने साइन किए हैं। अब मई 2001 से जो सेनाएं अफगानिस्तान में तैनात हैं, वे यहां से जा सकेंगी। जयशंकर पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन के साथ वार्ता में हिस्सा ले रहे थे। उन्होंने यह भी कहा उनका मानना है कि समझौता होने के बाद ही अब 'वास्तविक समझौते' की शुरुआत हो सकेगी। जयशंकर का इशारा 10 मार्च से शुरू होने वाले इंट्रा-अफगान डायलॉग की तरफ था। इसके अलावा पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच भी वार्ता शुरू होने वाली है जिसकी पहल अमेरिका की तरफ से हुई है।
भारत ने सावधानी से दिया बयान
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच होने वाली वार्ता का मकसद सीमाओं की सुरक्षा और आतंकियों की सुरक्षित पनाहगार को खत्म करना है। जयशंकर ने कहा, 'क्या तालिबान अब लोकतांत्रित प्रक्रिया का हिस्सा बनेगा या फिर तालिबान के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था को समायोजित करना पड़ेगा, अब हमारी नजरें इस तरफ हैं।' भारत की तरफ से शनिवार को हुए समझौते पर बड़ी सावधानी के साथ बयान जारी किया गया था। भारत ने तटस्थ रहते हुए प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था, 'भारत की नीति ही उस मौके का समर्थन करने की है जिसके तहत अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता आ सकती है और हिंसा पर पूर्णविराम लग सकता है, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के साथ संबंध खत्म हो सकें और एक नीति जिसके तहत राजनीतिक स्थिरता आए।'
घनी सरकार का भविष्य अधर में
हालांकि भारत ने इसके विपरीत राष्ट्रपति अशरफ घनी को अफगानिस्तान का चुनाव जीतने पर बधाई दी। अमेरिका और तालिबान के बीच हुए इस समझौता से यह इशारा नहीं मिलता है कि घनी की सरकार का क्या भविष्य होगा। भारत समेत दुनियाभर में अफगानिस्तान मामलों के विशेषज्ञों की तरफ से इस बात पर चिंता जताई गई है। जयशंकर ने कहा, 'हमें यह ध्यान रखना होगा कि आज अफगानिस्तान वह अफगानिस्तान नहीं है जो साल 2000-2001 में था। बहुत ही चीजें उसके बाद हुई हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों को आज भी हमारा यही संदेश है कि पिछले 18 सालों में जो उपलब्धियां हासिल की गई हैं, उनके साथ समझौता नहीं होना चाहिए।'