Video: अंबाला के आसमान में एक साथ दहाड़े IAF के फाइटर जेट्स राफेल, SU-30 और जगुआर
अंबाला। गुरुवार को फ्रांस से आया फाइटर जेट राफेल औपचारिक तौर पर इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) का हिस्सा बन गया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल थे। साथ ही फ्रेंच रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले ने भी अंबाला में हुए कार्यक्रम में शिरकत की थी। राफेल उसी नंबर 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन का हिस्सा बना है जिसने कारगिल की जंग में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाए थे। 29 जुलाई को फ्रांस से पांच राफेल जेट का पहला बैच भारत आया था।
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एतिहासिक है राफेल की 17 नंबर स्क्वाड्रन
अंबाला में एक बार फिर से कार्यक्रम में राफेल को वॉटर कैनन सैल्युट दिया गया। इसके बाद आसमान राफेल, सुखोई-30 और जगुआर की गर्जना से गूंज उठा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनकी फ्रेंच काउंटरपार्ट ने अंबाला एयरबेस पर 'सर्वधर्म पूजा' की। रक्षा मंत्री के साथ ही इस कार्यक्रम में आईएएफ चीफ आरकेएस भदौरिया, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और रक्षा सचिव डॉक्टर अजय कुमार भी शामिल रहे। राफेल की पहली कॉम्बेट यूनिट वही गोल्डन एरो स्क्वाड्रन होगी जिसे सन् 1999 में कारगिल की जंग के समय आईएएफ के पूर्व मुखिया चीफ एयर मार्शल (रिटायर्ड) बीएस धनोआ ने कमांड किया था। धनोआ इस जेट को भारत के लिए 'गेम चेंजर' करार दे चुके हैं।
#WATCH Rafale fighter aircraft flying at low-speed during an air display at Indian Air Force base in Ambala pic.twitter.com/8UhgbROzRN
— ANI (@ANI) September 10, 2020
बहुत संवेदनशील है अंबाला
वायुसेना सूत्रों की ओर से कहा गया है, 'राफेल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट को हासिल करने वाली पहली यूनिट 17 स्क्वाड्रन होगी। यह यूनिट पहले पंजाब के भटिंडा में थी और अब इसे हरियाणा के अंबाला में स्थानांतरित किया जाएगा। आईएएफ की 17 स्क्वाड्रन ने कारगिल की जंग के समय मिग-21 को ऑपरेट किया था और इसके पास उस समय की नंबर प्लेट भी है।इस एयरक्राफ्ट की दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में होगी । यहां पर राफेल की स्क्वाड्रन को चीन से सटे बॉर्डर को ध्यान में रखते हुए रखा जाएगा। हरियाणा का अंबाला एयरबेस काफी अहम है। यह एयरबेस जगुआर एयरक्राफ्ट स्क्वाड्रन का बेस है और इस पर पाकिस्तान को प्रतिक्रिया देने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। युद्ध की स्थिति में इस एयरबेस से सबसे पहले जेट टेक ऑफ करेंगे।