Video:कोरोना के डर से अपनों ने मुंह फेरा, 'राम नाम सत्य...' कहकर मुस्लिमों ने दिया हिंदू को कंधा
नई दिल्ली-कोरोना संकट में डर और आशंका के बीच उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सांप्रदायिक सद्भाव का एक अनोखा मामाल सामने आया है। भारत अभी कोरोना वायरस की वजह से 21 दिन की लॉकडाउन झेलने को मजबूर है। लोग अपने-अपने घरों में बंद हैं, जिससे कि किसी भी तरह से कोविड-19 के वायरस से संक्रमण के खतरे को टाला जा सके। इसको लेकर समाज में डर का एक ऐसा माहौल भी देखा जा रहा है जब लोग अपनों की मदद के लिए भी आसानी से बाहर नहीं निकल रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में यूपी के बुलंदशहर में एक बीमार शख्स की मौत हो गई तो उसे कंधा देने के लिए परिवार वालों को अपने समुदाय के चार लोगों को जुटा पाना भी मुश्किल हो गया। जिस शख्स की मौत हुई थी, उसके बेटे ने सारे जतन कर लिए लेकिन, कोई भी नाते-रिश्तेदार या दोस्त आने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में इस हिंदू परिवार की मदद के लिए उसके मुस्लिम पड़ोसी सामने आए। उन्होंने दुख के वक्त में न तो सिर्फ पीड़ित परिवार को संभलने का हौसला दिया, बल्कि अंतिम संस्कार में पूरे विधि-विधान के साथ सहयोग भी किया। वे सारे रास्ते 'राम नाम सत्य है' के नारे भी लगाते चले।
मुस्लिम पड़ोसी ने दिया हिंदू को कंधा
यूपी के बुलंदशहर में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की वजह से एक गरीब परिवार पर बहुत ज्यादा मुश्किल आ गई थी। यहां एक हिंदू परिवार में एक शख्स की मौत हो गई थी। जब मृतक के बेटे ने अपने रिश्तेदारों को इस घटना की सूचना दी तो वे कोरोना वायरस के डर से अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए नहीं पहुंचे। लेकिन, इसके बाद जो हुआ, उसने सामाजिक सौहार्द का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। मृतक के मुस्लिम पड़ोसी दुख और संकट की ऐसी घड़ी में पीड़ित परिवार के पास पहुंचे और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया। मुसलमानों ने ही अंतिम संस्कार के लिए सारी तैयारियां कीं और शव यात्रा में अपनों की तरह ही शामिल हुए। मुसलमानों ने न केवल हिंदू पड़ोसी के शव को श्मशान तक ले जाने के लिए कंधा दिया, बल्कि हिंदू रीति के मुताबिक 'राम नाम सत्य है' के नारे भी पूरे रास्ते लगाते रहे। बुलंदशहर का ये वाक्या आज इलाके में एक मिसाल की तौर पर पेश किया जा रहा है।
बुलंदशहर के मुस्लिम बहुल इलाके का मामला
मामला बुलंदशहर के आनंद विहार इलाके का है। वहां रविशंकर नाम के एक व्यक्ति की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई थी। वो कैंसर से पीड़ित था। आनंद विहार इलाका मुस्लिम बहुल है। जानकारी के मुताबिक जब रविशंकर की मौत हो गई तो उसके बेटे ने अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोस के नजदीकियों को इस बात की जानकारी दी। लेकिन, गरीब परिवार के रविशंकर को श्मशान तक अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के लिए कोई आने को तैयार नहीं हुआ। दुख की ऐसी घड़ी में रिश्तेदारों और दोस्तों के ऐसे व्यवहार ने पीड़ित परिवार का दर्द और बढ़ा दिया था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान तक कैसे ले जा सकेंगे। लेकिन, उनके पड़ोसी मुसलमानों ने ऐसे समय में उनका साथ देकर उनका दुख कुछ हद तक जरूर कम किया है। मुसलमानों का साथ मिलने से रविशंकर की सारी आखिरी रीति पूरी हो गई।
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मुसलमानों ने लगाए 'राम नाम सत्य है' के नारे
बाद में एक ऐक्टिविस्ट ने सामाजिक सौहार्द वाला वो मार्मिक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर भी किया है। इस विडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि मुसलान लोगों न केवल एक हिंदू की अर्थी को कंधा दे रहे हैं, बल्कि 'राम नाम सत्य है' कहते हुए भी चल रहे हैं।
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