Video: LAC पर अब IAF के हेलीकॉप्टर चिनुक ने संभाला मोर्चा, लादेन को मारने के लिए पाकिस्तान में हुए हमले से है कनेक्शन
लेह। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) का चिनुक हेलीकॉप्टर लगातार गश्त लगा रहा है। भारत और चीन के बीच पांच मई से लद्दाख में टकराव जारी है। इस टकराव के दौरान आईएएफ की गतिविधियों में भी तेजी आई है। चिनुक के अलावा अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर भी लगातार एलएसी पर नजर रख रहे हैं। भारत ने चीन पर द्विपक्षीय संबंधों को बिगाड़ने और इसे फिर से 90 के दशक में ले जाने का आरोप लगाया है।
यह भी पढ़ें-भारत ने चीन पर लगाया युद्ध जैसे हालात पैदा करने का आरोप
एबोटाबाद में इसकी मदद से हुआ था हमला
चिनुक अमेरिका में बना हेलीकॉप्टर है और इसे बोइंग कंपनी ने तैयार किया है। यह वही हेलीकॉप्टर है जिसे साल 2011 में अमेरिकी नेवी सील ने अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को एबोटाबाद में ढेर करने के लिए हुई सर्जिकल स्ट्राइक में प्रयोग किया था। पिछले वर्ष मार्च में दो चिनुक हेलीकॉप्टर भारत पहुंचे थे और भारत ने तीन बिलियन डॉलर की लागत से 15 चिनुक और 22 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर्स की डील की थी। चिनुह इस समय वेस्टर्न एयर कमांड का हिस्सा है। चिनुक हेलीकॉप्टर्स का बेस चंडीगढ़ है। इन्हें चंडीगढ़ में इसलिए तैनात किया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर इन्हें सियाचिन और लद्दाख के लिए रवाना किया जा सके।
|
पांच अटैक हेलीकॉप्टर्स की ताकत
साल 1962 से अमेरिकी सेनाएं इसका प्रयोग कर रही हैं। साल 1967 में वियतनाम युद्ध के दौरान पहली बार इसका प्रयोग किया गया था। ईरान और लीबिया की सेनांए भी इस हेलीकॉप्टर का प्रयोग कर रही हैं। चिनुक हेलीकॉप्टर्स को अमेरिका ने अफगानिस्तान में कोल्ड वॉर के दौरान तैनात किया था। इसके बाद ईराक में इन्हें तैनात किया गया। अफगानिस्तान में जहां पर ऊंचे पहाड़ हैंऔर तापमान भी अनिश्चित रहता है, वहां पर सैनिकों को एयरलिफ्ट करने में इस हेलीकॉप्टर ने अपनी क्षमताओं का बखूबी प्रदर्शन किया। जरूरत पड़ने पर यह अमेरिका के पांच यूएच-60 अटैक हेलीकॉप्टर्स की जगह ले सकता है।
Recommended Video
सुखोई और मिराज की पेट्रोलिंग में आई तेजी
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक क्षेत्र में चीन के साथ जारी टकराव के दौरान ही आईएएफ की गतिविधियों में तेजी आई है। सुखोई और मिराज-2000 जैसे फाइटर जेट्स लगातार गश्त लगा रहे हैं। भारत और चीन के बीच 15/16 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर स्थितियां बदलती हुई नजर आ रही हैं। सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि भारत ने अब चीन को जवाब देने के लिए नियमों में बदलाव किया है। भारत की तरफ से एलएसी पर लगातार जवानों की तैनाती को बढ़ाया जा रहा है। फाइटर जेट्स भी तैनात कर दिए गए हैं। चीन की तरफ से भी एलएसी पर फाइटर जेट्स और बॉम्बर्स की संख्या को बढ़ा दिया गया है।
टैंक्स भी हुए LAC पर तैनात
पैंगोंग त्सो में पीएलए गैर-कानूनी तौर पर एलएसी को बदलने की कोशिशें कर रहा है। भारत की तरफ से देपसांग, मुरगो, गलवान, हॉट स्प्रिंग्स, कोयूल, फुकशे और डेमचोक में तैनाती को बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा अपाचे हेलीकॉप्टर्स, सुखोई फाइटर जेट्स और टैंक्स को भी एलएसी पर तैनात किया गया है। इंडियन आर्मी चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सेना की एक डिविजन को दो हफ्तों के बाद 14,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात कर दिया गया है। अब सेना की तीन डिविजन तैनात हैं और चीन के किसी भी हमले का जवाब देने के लिए पूरी तरह से रेडी हैं।