फिर निकलेगा राम मंदिर का जिन्न? वीएचपी मंदिर निर्माण को लेकर बनाएगी नई रणनीति
नई दिल्ली। भारत में भगवान राम लोगों के अंतर्मन में बसे हैं। आज भी आप गांव में जाएंगे तो लोग एक दूसरे का अभिवादन राम-राम कह के करते हैं। इसके पीछे ना तो उनकी कोई राजनीतिक मंशा होती है और ना ही ये दिखावा होता है कि वो राम के कितने बड़े भक्त हैं। लेकिन इस देश की राजनीति ने मर्यादा पुरुषोत्तम को भी नहीं छोड़ा है। राम के नाम पर सरकारें बनी और सरकारें गिरी भी। जब-जब खासकर लोकसभा चुनाव नज़दीक आते हैं तब-तब राजनीतिक दल और कुछ संगठन भगवान राम और राम मंदिर के मुद्दे को अपने पिटारे से निकालते हैं। इसमें उन्हें फायदा ही फायदा होता है अगर किसी का नुकसान होता है तो राम को मानने वाले उस आम इंसान का होता है जिसकी आस्था के साथ खिलवाड़ किया जाता है।
राम मंदिर का मुकदमा इस वक्त देश की सबसे बड़ी अदालत में चल रहा है लेकिन इसके बावजूद राममंदिर को लेकर गाहे बगाहे कोई ना कोई बयानबाजी कर ही देता है। अब राम मंदिर को लेकर एक बार फिर से विश्व हिंदू परिषद नई रणनीति बनाने की तैयारी कर रही है।
राम मंदिर पर बैठक
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने तय किया था कि अगर सितंबर 2018 तक अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर कोई रास्ता नहीं निकलता है तो संगठन इसके बाद इस पर एक नई रणनीति तैयार करने की योजना बना सकता है। खबर है कि वीएचपी भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद यानी 2 अक्टूबर 2018 के बाद दिल्ली-एनसीआर में हिंदू संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक का आयोजन करेगी। हालांकि अगर राम जन्मभूमि न्यास के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास की तबीयत ठीक नहीं रहती है तो ये बैठक लखनऊ में भी की जा सकती है।
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कोर्ट के फैसले में हो रही देरी
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने वन इंडिया को बताया कि संत समाज आश्वस्त था कि मामला मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सेवानिवृत्त होने से पहले सुलझ जाएगा। केंद्र सरकार ने साढ़े चार साल पूरे कर लिए हैं लेकिन राम मंदिर को लेकर अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है। बंसल ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के मामले को अनावश्यक रूप से अदालत में लंबा खींचा गया। इस स्थिति में अब ये जरूरी हो गया कि इसे लेकर कोई नई कार्य योजना तैयार की जाए। वीएचपी नेतृत्व के लिए ये बड़ा झटका है क्योंकि इस मुद्दे पर फिलहाल अदालत का कोई फैसला जल्द आता नहीं दिखाई दे रहा है। इसलिए संत समाज ने एक नई योजना तैयार करने का फैसला किया है जिस पर 2 अक्टूबर के बाद चर्चा की जाएगी।
बीजेपी के लिए मुद्दा महत्वपूर्ण
सूत्रों से खबर है कि उच्चाधिकार समिति की इस बैठक में पूरा संत समाज, वीएचपी के शीर्ष नेता और आरएसएस के वो लोग भी शामिल होंगे जिन्हें राम जन्माभूमि मामले को देखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। राममंदिर निर्माण का मुद्दा ना सिर्फ वीएचपी के एजेंडे में है बल्कि आरएसएस और बीजेपी के लिए भी ये बेहद महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ कई बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं। दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद राम मंदिर निर्माण के पक्ष में संसद में कानून पारित कराने की भी कोशिश में है।
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