प्रख्यात संगीतकार खय्याम का लंबी बीमारी के बाद 93 साल में हुआ निधन
मुंबई: भारतीय सिनेमा के दिग्गज संगीतकार खय्याम का निधन शनिवार को मुंबई के एक हॉस्पिटल में हुआ। वो 93 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। मशहूर संगीतकार के निधन से फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। बॉलीवुड के दिग्गज कलाकारों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी था लेकिन फिल्म जगत में उन्हें खय्याम के नाम से जाना जाता था।
खय्याम का 93 साल में निधन
खय्याम ने अपने करियर की शुरुआत 1947 में की थी। उन्हें 'कभी-कभी' और 'उमराव जान' जैसी फिल्मों के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। 'वो सुबह कभी तो आएगी', 'जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें', 'बुझा दिए हैं खुद अपने हाथों, 'ठहरिए होश में आ लूं', 'तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो', 'शामे गम की कसम', 'बहारों मेरा जीवन भी संवारो' जैसे अनेकों गीत में उन्होंने अपने संगीत से सबका दिल जीत लिया था।
हीर रांझा में दिया पहली दफा संगीत
खय्याम ने पहली बार फिल्म 'हीर रांझा' में संगीत दिया लेकिन मोहम्मद रफ़ी के गीत 'अकेले में वह घबराते तो होंगे' से उन्हें पहचान मिली। फिल्म 'शोला और शबनम' ने उन्हें संगीतकार के रूप में स्थापित कर दिया। खय्याम की पत्नी जगजीत कौर भी अच्छी गायिका हैं और उन्होंने खय्याम के साथ 'बाज़ार', 'शगुन' और 'उमराव जान' में काम भी किया है।
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बॉलीवुड में शोक की लहर
खय्याम के निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर है। उनके निधन पर दिग्गज गायिका लता मंगेशकर ने ट्वीट कर कहा कि खय्याम साहब मुझे अपनी छोटी बहन मानते थे। वो मेरे लिए अपनी खास पसंद के गाने बनाते थे। उनके साथ काम करते वक्त बहुत अच्छा लगता था और थोड़ा डर भी लगता था, क्योंकि वो बड़े परफेक्टनिस्ट थे। उनकी शायकरी की समझ बड़ी कमाल थी।
खय्याम ने 10 साल में छोड़ा था घर
फिल्म जगत में ख्ययाम के नाम से मशहूर खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी था, लेकिन संगीत और बॉलीवुड जगत में उन्हें खय्याम के नाम से प्रसिद्धी मिली। उनका जन्म अविभाजित पंजाब के नवांशहर में 18 फरवरी 1927 में हुआ था। खय्याम का रुझान बचपन से ही संगीत से था। वो फिल्म देखने के शौकीन थे। कई बार को घर से भागकर फिल्म देखने चले जाते थे। उनकी इस आदत से उनके घर वाले परेशान रहा करते थे। सिर्फ 10 साल की उम्र में ही उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और फिल्मों में किस्मत अपनाने के लिए अपने चाचा के घर दिल्ली आ गए।
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