मिशन मंगल के अलावा भी कई वैज्ञानिक उपलब्धियां दर्ज करा गया 2014
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। अब अपने अंतिम मुकाम पर पहुंच चुका साल 2014 विज्ञान के क्षेत्र में बहुत सी दर्ज उपलब्धियों के लिए याद रखा जाएगा। खास बात यह है कि आम लोगों को सिर्फ मंगलयान की सफल ही याद रही, जबकि उससे इतर तमाम उपलब्धियां हैं, जो वाकई में देश को गौरवान्वित करने वाली हैं।
नैनो विज्ञान मिशन का विस्तार
कैबिनेट ने बारहवीं योजना के अंतर्गत नैनो विज्ञान और तकनीकी (नैनो मिशन) के दूसरे चरण के विस्तार की अनुमति दे दी। इस पर 650 करोड़ रुपये खर्च होंगे। नैनो तकनीक एक ज्ञान प्रोत्साहन आधारित विज्ञान है जो तकनीकी को और ज्यादा उदार बनाता है, इससे संपूर्ण देशभर के सुदूर क्षेत्रों तक राष्ट्रीय र्अथव्यवस्था और विकास को पहुंचाया जा सकेगा।इस मिशन कार्यक्रम के तहत देशभर के वैज्ञानिकों, संस्थानों और उद्योगों को शामिल किया गया है।
इसके तहत नैनो विज्ञान प्रक्रिया को आगे बढ़ाना, आधारभूत आविष्कार को बढ़ावा देना, मानव संसाधन का विकास करना, शोध के लिए आधारभूत ढ़ांचे का विकास कराना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग लेना, राष्ट्रीय स्तर पर संवाद स्थापित करना और नैनो एप्लीकेशन और तकनीक का विकास करना शामिल है।
थर्मो स्टेबल एसओडी एन्जाइम की खोज
सीएसआईआर-आईएचबीटी (ईस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन बायरिसोर्स टेक्नोलॉजी, पालमपुर ने 11 मई, 2014 को कोलकाता के फीइटो बायोटेक के साथ ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें एसओडी के निर्माण के लिए तकनीकी हस्तांतरण का समझौता किया गया है। इसका प्रयोग कॉस्मेटिक पदार्थों के निर्माण खाद्य एवं फार्मास्युटिकल उद्योगों में किया जाता है। इससे उम्र बढ़ने से रोकने वाली क्रीम बनाने में फलों- सब्जियों को ताजा रखने में प्रयोग किया जाता है। यह लाइसेंस सीएसआर्इआर और उद्योग दोनों को वैश्विक स्तर का एसओडी का व्यवसायिक उत्पादन करने का आधार प्रदान करता है।
इस एंजाइम की खोज सीएसआईआर- आईएचबीटी ने एक सर्वे के दौरान हिमालय क्षेत्र में 10,000 फीट की ऊंचाई पर की थी, यह पोटेंशियल शगुती एस्ट्रो पौबधा बर्फ के नीचे विकसित होता है। कई वर्षों तक कड़ी मेहनत के बाद इसमें से एसओडी जीन का पता चला।
विमानों की आवाजाही तकनीक को बढ़ाया
विमान पतनन के क्षेत्र में मील का पत्थर तब सामने आया जब सीएसआईआर राष्ट्रीय ऐरोस्पेस प्रयोगशाला और भारतीय मौसम विभाग के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए और संयुक्त रूप से दृष्टि उपकरण को बनाया गया जिससे यह सुविधा मिली कि कम दृश्यता होने के बावजूद हवाई अडृडों पर विमानों को सुरक्षित उतरने और उड़ने की सुविधा मिल गई। यह सरकारी क्षेत्र के दो सेक्टरों की जुगलबंदी से नई तरकीब इजाद करने का नायाब उदाहरण के समान है जो कि कुछ विकसित देशों में ही देखने को मिलता है।
'राष्ट्रीय कैंसर संस्थान' स्थापित
विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह ने 2 सितम्बर, 2014 को बायो टेक्नोलॉजी के सहयोग से और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली के साथ एक समझौते के तहत झज्जर, हरियाणा में 'राष्ट्रीय कैंसर संस्थान' की स्थापना की औपचारिक घोषणा की।
आरोग्य ग्राम योजना
विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह ने 18 अक्टूबर, 2014 को सीएसआईआर के सहयोग से जो कि विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय के अंतर्गत आता है, द्वारा जम्मू-कश्मीर आरोग्य ग्राम योजना का शुभारम्भ किया गया। इसके तहत जम्मू- कश्मीर के एक हजार गांवों में सुगंधित पौधों की खेती करना, यहां के स्थानीय किसानों को इसका लाभ दिलाना जैसे अन्य लाभदायक कार्यक्रम शामिल है।