जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों पर SC ने क्या-क्या कहा, जानिए फैसले की 10 बड़ी बातें
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर मामले पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कई बड़े फैसले सुनाए हैं। कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म करने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों की एक हफ्ते के भीतर समीक्षा करने को भी कहा है।
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कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से बैंकिंग, अस्पताल, शिक्षण संस्थानों समेत सभी जरूरी सेवाएं देने वाले संस्थानों में इंटरनेट सेवा को बहाल करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि सरकार इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं कर सकती है। कोर्ट ने इंटरनेट के इस्तेमाल को अभिव्यक्ति के अधिकार का ही हिस्सा माना है।
चलिए कोर्ट के फैसले की 10 बड़ी बातें जानते हैं-
- कोर्ट ने कहा है कि लोगों को असहमति जताने का पूरा अधिकार है।
- सरकार को अपने सभी आदेशों की एक हफ्ते के भीतर समीक्षा करनी है।
- कोर्ट ने कहा कि सरकार कश्मीर में अपने गैरजरूरी आदेश वापस ले।
- सरकार को कहा गया है कि वह प्रतिबंध से जुड़े सभी आदेशों को सार्वजनिक करे।
- आदेशों की बीच-बीच में समीक्षा करने को भी कहा गया है।
- कोर्ट ने कहा कि बिना किसी वजह के इंटरनेट पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है।
- इंटरनेट प्रतिबंध पर सरकार को विचार करने को भी कहा गया है।
- इस बीच कोर्ट ने सबसे अहम बात जो कही, वो ये है कि इंटरनेट पर पूरा प्रतिबंध एक सख्त कदम है, ऐसे में जब जरूरी हो तभी प्रतिबंध लगे।
- कोर्ट ने सभी जरूरी सेवाओं में इंटरनेट को बहाल करने का आदेश दिया।
- चिकित्सा जैसी सभी जरूरी सेवाओं में कोई बाधा ना आए, ये बात भी आदेश में कही गई है।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हिंसा का एक लंबा इतिहास रहा है। हमें स्वतंत्रता और सुरक्षा में संतुलन बनाए रखना है, साथ ही नागरिकों के अधिकारों की रक्षा भी जरूरी है। इंटरनेट को लेकर कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का ही एक अंग है। इंटरनेट इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता भी आर्टिकल 19 (1) का हिस्सा है। धारा 144 का इस्तेमाल किसी के विचारों को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में बीते साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के बाद यहां इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई थीं। यहां के लोग ब्रोडबैंड के जरिए ही इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन कर पा रहे हैं। हालांकि सरकार ने लैंडलाइन फोन और पोस्टपेड मोबाइल पर लगी पाबंदियों को कुछ दिन के बाद बहाल कर दिया था। यहां लगी पाबंदियों को लेकर शीत सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में भी काफी हंगामा हुआ था।
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