राष्ट्रवाद का मतलब भारत माता की जय कहना नहीं- वेंकैया नायडू
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने राष्ट्रवाद पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत माता की जय करने कहने का मतलब राष्ट्रवाद नहीं होता है। उन्होंने देश के युवाओ से अपील की है कि वह लोगों के साथ जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं करें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सबके लिए जय हो यह होती है देशभक्ति। अगर आप लोगों के साथ जाति, धर्म आदि के आधार पर भेदभाव करते हैं तो आप भारत माता की जय नहीं कह रहे हैं।
समाज की बुराईयों को खत्म करना है
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों से बात करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि युवाओं को न्यू इंडिया पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जोकि भ्रष्टाचार मुक्त हो, शिक्षित हो, भय में ना हो। जहां भुखमरी, गरीबी, भ्रष्टाचार, जाति जैसी बाधा ना हो। हमे परंपरा, मूल्यों को बचाना चाहिए, नकारात्मकता को खत्म करना चाहिए, अपने भीतर सकारात्मकता को बढ़ाना चाहिए, समाज के प्रति जागरूक रहना चाहिए, लोगों के साथ प्रेम और लगाव को बढ़ाना चाहिए। समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ हमे लड़ना चाहिए।
युवा पर जोर
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आने वाला भविष्य उन युवाओं का है जो सपने देखते हैं, जिनके अंदर हिम्मत हो, धैर्य हो और बेहतर कल बनाने के लिए मेहनत कर सकते हों। भारत पिछले कई सालों से तकरीबन 7 फीसदी की दर से विकास कर रहा है। भारत आने वाले 10-15 वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है। राज्य राज्य की स्थापना के लिए लोगों को बेहतर और समृद्ध भारत के निर्माण में अपने योगदान देना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था में ज्ञान ही सबसे बड़ा हथियार साबित होगा।
हमे अपनी संस्कृति को बचाना चाहिए
इस दौरान उपराष्ट्रपति ने शिक्षा में बेहतर सुधार की बात कही। उन्होंने कहा कि हमे उच्च शिक्षा को और भी बेहतर करने की जरूरत है जिससे कि छात्र वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सके। नई शिक्षा व्यवस्था में हमे उपनिवेश की मानसिकता से बाहर आने की जरूरत है, हमे सही इतिहास पढ़ने की जरूरत है, प्राचीन सभ्यता की शिक्षा दी जानी चाहिए। लोगों को संस्कृति, विरासत और राष्ट्रवाद की भावना का विस्तार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को ऐसी क्षिक्षा मिले जिसमे उनके भीतर कौशल का विकास हो और वह रोजगार देने वाले बने नाकि मांगने वाले।